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बिलासपुर: मीसाबंदियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, पेंशन राशि देने का आदेश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों को बड़ी राहत दी है. जस्टिस पी सैम कोशी की एकल पीठ ने अपना फैसला 12 मार्च 2020 को सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी कर दिया गया है.

chhattisgarh high court order pension to misabandi of bilaspur
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : May 28, 2020, 5:32 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को मीसाबंदियों की रोकी गई पेंशन राशि को देने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने यह आदेश सरकार के उस फैसले के खिलाफ लगाई गई तमाम याचिकाओं का निराकरण करते हुए दिया है, जिसके तहत प्रदेश सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन राशि को बंद कर दिया था.

वहीं मीसाबंदियों की विधवाओं को भी रोकी गई एक साल का पेंशन देने का आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया है. बता दें कि मीसाबंदी की मौत के बाद उसकी विधवा को सम्मान निधि की आधी राशि सरकार देती थी.

एकल पीठ में हुई सुनवाई

इस मामले में बड़ी संख्या में मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मामले को लेकर 40 से ज्यादा याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हुई थीं. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी की एकल पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुना दिया गया है.

पूर्व की रमन सरकार ने की थी शुरुआत

प्रदेश में मीसाबंदियों को पेंशन देने की शुरुआत रमन सरकार के कार्यकाल में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 के तहत हुई थी. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश में आपातकाल की घोषणा के बाद जेल में बंद किए गए राजनीतिक बंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए पेंशन व्यवस्था लागू की थी.

मीसाबंदियों को पेंशन के लिए दो श्रेणी बनाई गई थी. 6 महीने से कम जेल में रहने वाले बंदियों को प्रति महीने 15 हजार रुपए और 6 महीने से ज्यादा जेल में बंद रहने वाले मीसाबंदियों को हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन देने की व्यवस्था शुरू की थी.

जिसे मौजूदा भूपेश सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए रोक दिया. याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही. मामले में फैसला जारी करने के बाद अदालत ने सभी याचिकाओं को निराकृत कर दिया है.

28 मीसाबंदियों को पेंशन देने का आदेश

मीसाबंदियों की पेंशन के मामले में दायर याचिका पर उच्च न्यायालय की जस्टिस पी सैम कोशी की एकल पीठ ने बड़ा फैसला दिया है. फैसले में उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को सभी 28 मीसाबंदियों की रोकी गई पेंशन राशि का तत्काल भुगतान करने का फैसला सुनाया है.

राज्य शासन ने रोक दी थी पेंशन

राज्य सरकार ने मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन और समीक्षा के निर्देश जारी करते हुए पेंशन पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद से मीसाबंदी पिछले 9 महीने से पेंशन बंद होने से परेशान थे.

मीसाबंदियों ने याचिका में ये कहा था

पेंशन बंद होने के बाद बिलासपुर के ही रहने वाले 28 मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है, जिसमें तत्काल भौतिक सत्यापन कर याचिकाकर्ताओं को पूरी पेंशन, एरियर्स सहित देने का आदेश दिया है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को मीसाबंदियों की रोकी गई पेंशन राशि को देने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने यह आदेश सरकार के उस फैसले के खिलाफ लगाई गई तमाम याचिकाओं का निराकरण करते हुए दिया है, जिसके तहत प्रदेश सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन राशि को बंद कर दिया था.

वहीं मीसाबंदियों की विधवाओं को भी रोकी गई एक साल का पेंशन देने का आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया है. बता दें कि मीसाबंदी की मौत के बाद उसकी विधवा को सम्मान निधि की आधी राशि सरकार देती थी.

एकल पीठ में हुई सुनवाई

इस मामले में बड़ी संख्या में मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मामले को लेकर 40 से ज्यादा याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हुई थीं. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी की एकल पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुना दिया गया है.

पूर्व की रमन सरकार ने की थी शुरुआत

प्रदेश में मीसाबंदियों को पेंशन देने की शुरुआत रमन सरकार के कार्यकाल में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 के तहत हुई थी. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश में आपातकाल की घोषणा के बाद जेल में बंद किए गए राजनीतिक बंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए पेंशन व्यवस्था लागू की थी.

मीसाबंदियों को पेंशन के लिए दो श्रेणी बनाई गई थी. 6 महीने से कम जेल में रहने वाले बंदियों को प्रति महीने 15 हजार रुपए और 6 महीने से ज्यादा जेल में बंद रहने वाले मीसाबंदियों को हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन देने की व्यवस्था शुरू की थी.

जिसे मौजूदा भूपेश सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए रोक दिया. याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही. मामले में फैसला जारी करने के बाद अदालत ने सभी याचिकाओं को निराकृत कर दिया है.

28 मीसाबंदियों को पेंशन देने का आदेश

मीसाबंदियों की पेंशन के मामले में दायर याचिका पर उच्च न्यायालय की जस्टिस पी सैम कोशी की एकल पीठ ने बड़ा फैसला दिया है. फैसले में उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को सभी 28 मीसाबंदियों की रोकी गई पेंशन राशि का तत्काल भुगतान करने का फैसला सुनाया है.

राज्य शासन ने रोक दी थी पेंशन

राज्य सरकार ने मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन और समीक्षा के निर्देश जारी करते हुए पेंशन पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद से मीसाबंदी पिछले 9 महीने से पेंशन बंद होने से परेशान थे.

मीसाबंदियों ने याचिका में ये कहा था

पेंशन बंद होने के बाद बिलासपुर के ही रहने वाले 28 मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के इस फैसले से अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है, जिसमें तत्काल भौतिक सत्यापन कर याचिकाकर्ताओं को पूरी पेंशन, एरियर्स सहित देने का आदेश दिया है.

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