बिलासपुर: छत्तीसगढ़ को पांच संभाग में बांटा गया है. जिसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर संभाग हैं. इन संभागों को मिलाकर कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें रायपुर संभाग में विधानसभा की 20 सीटें हैं. बस्तर संभाग में विधानसभा की 12 सीटें हैं. दुर्ग संभाग में विधानसभा की 20 सीटें आती हैं. सरगुजा संभाग में विधानसभा की 14 सीटें हैं. सभी पांचों संभाग की बात की जाए तो इन संभागों में सबसे बड़ा जिला बिलासपुर है. यहां कुल 8 जिले हैं और इसमें कुल 24 सीटें हैं. साल 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस ने यहां सबसे शानदार परफॉरमेंस किया था. उसने 24 सीटों में से 13 सीटें जीती थी. बीजेपी को यहां 7 सीटें मिली थी. जबकि बीएसपी और जोगी कांग्रेस के खाते में कुल चार सीटें आई थी. जिसमें जोगी कांग्रेस को दो सीटों और बीएसपी को दो सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने यहां अच्छी लीड ली थी. लिहाजा पूरे प्रदेश में उसकी लीड बनी रही. वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. यही वजह है कि कांग्रेस ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी के बड़े नेता भी इस संभाग का दौरा कर रहे हैं. लगातार कई सभाएं कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी सहित अन्य पार्टियां भी यहां हुंकार भर रही है.
कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने बिलासपुर संभाग पर फोकस बढ़ाया (Political Equation Of Bilaspur Sambhag): बिलासपुर संभाग में 24 विधानसभा सीट आती है. इस इलाके में सभी राजनीतिक पार्टियां जोर लगा रही हैं, और इसे अपना बनाने देश के कई बड़े नेता इस संभाग के अलग अलग विधानसभा सीटों पर राजनीतिक रैली और आमसभा कर चुके हैं. पीएम मोदी सहित अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित आप के नेता भी यहां जोर आजमाइश में लग चुके हैं. पीएम ने अभी यहां रैली नहीं की है. आने वाले दिनों में उनकी यहां रैली हो सकती है.
किन पार्टियों के नेताओं ने की रैली
- बीजेपी की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की रैली
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां सभा की
- कांग्रेस की तरफ से इस संभाग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की जनसभा
- आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी यहां ठोक चुके हैं ताल
- पंजाब के सीएम भगवंत मान भी आप की सभा में हो चुके हैं शामिल
बिलासपुर संभाग में कांग्रेस और बीजेपी में मुख्य मुकाबला (Chhattisgarh election 2023): इस बार के चुनाव में बिलासपुर संभाग में कांग्रेस और बीजेपी में बिग फाइट की बात कही जा रही है. संभाग के आठ जिलों में कांग्रेस और भाजपा की टक्कर की बात कही जा रही है. कांग्रेस ने बीते चुनाव में 13 सीटों पर जीत दर्ज की तो बीजेपी को उसके लगभग फिफ्टी परसेंट यानी की 7 सीटों पर जीत मिली. यही वजह है कि इस बार बीजेपी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.
बिलासपुर संभाग के जातिगत समीकरण को समझिए (Bilaspur Division): बिलासपुर संभाग में जातिगत समीकरण राजनीति को साधने में अहम भूमिका निभाती है. इस संभाग में सबसे ज्यादा एससी वोटों का दबदबा माना जाता है. जांजगीर चांपा, सारंगढ़, रायगढ़, सक्ती, मुंगेली जिलों में एससी वोटरों की संख्या ज्यादा है. जो किसी भी चुनाव में गेम चेंजर की भूमिका निभाते आए हैं. छत्तीसगढ़ में जिन 10 एससी कोटे की सीट है. उसमें चार एससी सीट बिलासपुर संभाग से है. यहां बीएसपी पार्टी का भी अच्छा प्रभाव रहा है. बीते चुनाव में बीएसपी को दो सीटों पर जीत मिली थी. यही वजह है कि कांग्रेस की तरफ से खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जो दलित वर्ग से आते हैं. उन्होंने जांजगीर चांपा में सभा की थी. यह क्षेत्र बीएसपी का स्ट्रॉन्ग होल्ड माना जाता है.
नए आरक्षण बिल पर भी यहां हो रही राजनीति: भूपेश बघेल ने जो नया आरक्षण विधेयक विधानसभा से पास कराया था. उसमें एससी कोटे में चार फीसदी की कटौती की गई थी. यह मुद्दा भी बिलासपुर संभाग में गरमाया हुआ है. हालांकि अभी आरक्षण बिल पर राज्यपाल का साइन नहीं हुआ है. इस मुद्दे को बीजेपी यहां भुनाने में लगी है ताकि उसे राजनैतिक फायदा मिल सके. उधर इस मामले पर कांग्रेस सरकार बीजेपी की रमन सरकार के उस फैसले को दोहरा रही है. जिसमें एससी कोटे के 16 फीसदी आरक्षण को घटाकर 12 फीसदी किया गया था. कुल मिलाकर दोनों ही पार्टियां इस जंग में दलित वोट बैंक को इस संभाग में साधने की जुगत में है. जिसके जरिए उनकी चुनावी नैया पार हो सके.