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बिलासपुर: सरपंच प्रत्याशी को मिले शून्य वोट, SDM और थाने को सौंपा ज्ञापन - बिलासपुर न्यूज

पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी को शून्य मत मिलने का मामला सामने आया है. एक दिव्यांग प्रत्याशी को मतगणना के दौरान शून्य मत मिले हैं. मामले में प्रत्याशी ने SDM को लिखित शिकायत की है.

Candidate did not get single vote in Marwahi district panchayat of Bilaspur
सरपंच को मिले शून्य वोट
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Published : Feb 4, 2020, 10:35 AM IST

Updated : Feb 4, 2020, 11:40 AM IST

बिलासपुर: पंचायत चुनाव के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया जब सरपंच पद के प्रत्याशी को मतगणना के दौरान एक भी मत नहीं मिले. इस तरह उसे शून्य मत देना बता कर जमानत जब्त कर ली गई है. प्रत्याशी ने पीठासीन अधिकारी और प्रक्रिया की शिकायत अनुविभागीय अधिकारी SDM के साथ गौरेला थाने में भी की है.

सरपंच प्रत्याशी को नहीं मिले एक भी वोट

मामला मरवाही जनपद पंचायत क्षेत्र के पिपरिया ग्राम पंचायत का है. शारीरिक रूप से दिव्यांग रमेश ने मतदान और मतगणना के दौरान रहने के लिए एक एजेंट की नियुक्ति की थी. बताते हैं, मतदान के दौरान सब कुछ ठीक रहा. जब मतगणना का वक्त आया तब पीठासीन अधिकारी ने रमेश के प्रतिनिधि के बार-बार आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी उसे मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया और दरवाजा भी बंद कर दिया.

पूरे परिवार ने मुझे दिया वोट: रमेश
रमेश ने कहा कि 'मैं खुद काउंटिंग में बैठने के लिए गया पर अधिकारी ने दरवाजा नहीं खोला'. कुछ देर बाद जब परिणाम आया तो रमेश को एक भी वोट नहीं मिले थे. उसके वोटों की संख्या शून्य बताई गई. रमेश ने कहा कि 'माता-पिता, भाई-बहन, बहू और पत्नी के साथ मेरे परिवार के सदस्यों की संख्या ही 12 है. यदि मैं मान लूं कि माता-पिता के अलावा भाई बहनों ने भी मुझे वोट नहीं किया, पत्नी ने भी वोट नहीं किया, तो भी मेरा खुद का वोट कहां गया. क्या मैं अपने आप को भी वोट नहीं करूंगा'.

कार्रवाई का आश्वासन
मामले में फिलहाल अनुविभागीय अधिकारी और पुलिस अधिकारी ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है, लेकिन पीड़ित के मुताबिक अधिकारियों ने उसे कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

बिलासपुर: पंचायत चुनाव के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया जब सरपंच पद के प्रत्याशी को मतगणना के दौरान एक भी मत नहीं मिले. इस तरह उसे शून्य मत देना बता कर जमानत जब्त कर ली गई है. प्रत्याशी ने पीठासीन अधिकारी और प्रक्रिया की शिकायत अनुविभागीय अधिकारी SDM के साथ गौरेला थाने में भी की है.

सरपंच प्रत्याशी को नहीं मिले एक भी वोट

मामला मरवाही जनपद पंचायत क्षेत्र के पिपरिया ग्राम पंचायत का है. शारीरिक रूप से दिव्यांग रमेश ने मतदान और मतगणना के दौरान रहने के लिए एक एजेंट की नियुक्ति की थी. बताते हैं, मतदान के दौरान सब कुछ ठीक रहा. जब मतगणना का वक्त आया तब पीठासीन अधिकारी ने रमेश के प्रतिनिधि के बार-बार आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी उसे मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया और दरवाजा भी बंद कर दिया.

पूरे परिवार ने मुझे दिया वोट: रमेश
रमेश ने कहा कि 'मैं खुद काउंटिंग में बैठने के लिए गया पर अधिकारी ने दरवाजा नहीं खोला'. कुछ देर बाद जब परिणाम आया तो रमेश को एक भी वोट नहीं मिले थे. उसके वोटों की संख्या शून्य बताई गई. रमेश ने कहा कि 'माता-पिता, भाई-बहन, बहू और पत्नी के साथ मेरे परिवार के सदस्यों की संख्या ही 12 है. यदि मैं मान लूं कि माता-पिता के अलावा भाई बहनों ने भी मुझे वोट नहीं किया, पत्नी ने भी वोट नहीं किया, तो भी मेरा खुद का वोट कहां गया. क्या मैं अपने आप को भी वोट नहीं करूंगा'.

कार्रवाई का आश्वासन
मामले में फिलहाल अनुविभागीय अधिकारी और पुलिस अधिकारी ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है, लेकिन पीड़ित के मुताबिक अधिकारियों ने उसे कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

Intro:cg_bls_01_no_vote_avb_CGC10013


बिलासपुर पंचायत चुनाव के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया जब सरपंच पद के प्रत्याशी को मतगणना के दौरान कोई भी मत प्राप्त नहीं हुए इस तरह उसे शून्य मत देना बता कर जमानत जप्त कर ली गई सारी रूप से दिव्यांग रमेश के अंदर गांव की सेवा करने का जज्बा है पर मामले में दुखी प्रत्याशी ने पीठासीन अधिकारी और प्रक्रिया की शिकायत अनुविभागीय अधिकारी SDM के साथ गौरेला थाने में भी की है पीड़ित के अनुसार अधिकारियों ने उसे कार्यवाही का आश्वासन दिया है पर चुनाव आयोग और चुनाव का हवाला देते हुए मीडिया के सामने कुछ भी कहने से अधिकारी बचते नजर आए...Body:cg_bls_01_no_vote_avb_CGC10013


मामला मरवाही जनपद पंचायत क्षेत्र के पिपरिया ग्राम पंचायत का है जहां सरपंच पद के प्रत्याशी रहे रमेश कुमार मरावी को ट्यूबलाइट छाप का चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया रमेश ने भी चुनाव जीतने की प्रत्याशा में हैंड बिल और पंपलेट छपवा कर अपना प्रचार घर-घर किया शारीरिक रूप से दिव्यांग रमेश ने मतदान और मतगणना के दौरान बार-बार खड़े होने और बैठने से बचने के लिए अपने एक एजेंट की नियुक्ति कर दी मतदान के दौरान सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा पर जब मतगणना का वक्त आया तब पीठासीन अधिकारी ने रमेश के प्रतिनिधि के बार-बार आपत्ति दर्ज कराने पर आपत्ति करते हुए उसे मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया और दरवाजा भी बंद कर दिया रमेश का कहना है कि मैं खुद काउंटिंग में बैठने के लिए गया पर अधिकारी ने दरवाजा नहीं खोला और जब रिजल्ट आया तो रमेश के पैरों तले जमीन खिसक गई मतगणना के बाद रमेश को एक भी वोट प्राप्त नहीं हुए उसके वोटों की संख्या शून्य 0 बताई गई रमेश का कहना है कि माता-पिता भाई-बहन बहू और पत्नी के साथ मेरे परिवार के सदस्यों की संख्या ही 12:00 है यदि मैं मान लूं कि माता-पिता के अलावा भाई बहनों ने भी मुझे वोट नहीं किया पत्नी ने भी वोट नहीं किया तो भी मेरा खुद का वोट कहां गया क्या मैं अपने आप को भी वोट नहीं करूंगा.. जबकि मेरे माता पिता और भाई पत्नी का कहना है कि हम सब ने आप को वोट किया है तुम्हारे अलावा हम किसे वोट कर सकते हैं रमेश के साथ आए उसका भाई गंगा भी परिणाम से काफी हदप्रद है.. उसे अपने साथ पक्षपात का शक है और उसने पूरे मामले की लिखित शिकायत अनुविभागीय अधिकारी से की है साथी उसके शिकायत के बाद उसे शक है कि विरोधी लोग उसके ऊपर हमला न कर दें इसलिए उसने पूरे मामले की शिकायत एवं सुरक्षा की मांग गोरेला थाने में लिखित रूप से की है.. Conclusion:cg_bls_01_no_vote_avb_CGC10013


चुनाव के संवेदनशील मामले का हवाला देकर अनुविभागीय अधिकारी और पुलिस अधिकारी ने मामले में कुछ भी कहने से मना कर दिया पर पीड़ित के अनुसार उन्होंने उसे कार्यवाही का आश्वासन दिया है...

बाइट रमेश मरावी सरपंच प्रत्याशी पिपरिया
Last Updated : Feb 4, 2020, 11:40 AM IST
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