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Terror Of Street Dogs : बिलासपुर में स्ट्रीट डॉग्स का आतंक,रोजाना सामने आ रहे डॉग बाइट के मामले, जानिए कैसे हो सकता है समाधान ?

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 28, 2023, 2:14 PM IST

Terror Of Street Dogs बिलासपुर शहर में आवारा डॉग्स से लोग परेशान हैं.सड़कों पर आवारा घूम रहे डॉग्स अब राहगीरों को निशाना बना रहे हैं.बात यदि आंकड़ों की करें तो अब तक सरकारी और निजी अस्पतालों में डॉग बाइट के पचास से ज्यादा मामले पहुंच चुके हैं. वहीं रोजाना डॉग्स के कारण एक्सीडेंट भी हो रहे हैं.निगम डॉग्स की संख्या को रोकने के लिए नसबंदी का कार्यक्रम तो चलाया था,लेकिन ये भी नाकाफी साबित हो रही है.Bilaspur News

Terror Of Street Dogs
बिलासपुर में स्ट्रीट डॉग्स का आतंक
बिलासपुर में बढ़े डॉग बाइट के मामले

बिलासपुर: न्यायधानी में आवारा डॉग्स लोगों के लिए सिरदर्द बन रहे हैं.आवारा डॉग्स के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक शहर में 50 से ज्यादा मामले डॉग बाइट के सामने आ चुके हैं.नगर निगम क्षेत्र में ऐसे आवारा डॉग्स की संख्या 30 हजार से ज्यादा है.जो आने वाली सर्दी के मौसम में और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.

छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा : आवारा डॉग्स से राहगीरों के अलावा छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है.क्योंकि बच्चे अनजाने में इनके करीब चले जाते हैं.डॉग्स भी बच्चों को अपना शिकार मानकर आसानी से उन पर झपट पड़ते हैं.प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं,जिनमें आवारा डॉग्स ने बच्चों को गंभीर हालत तक पहुंचाया है.

सिम्स में रोजाना रेबीज इंजेक्शन लगाने वालों की संख्या बढ़ी : जिला अस्पताल और सिम्स मेडिकल कॉलेज की बात करें, तो रोजाना 50 से भी ज्यादा मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं, जिनमें 20 से 25 नए मरीज होते हैं. हालांकि सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. लेकिन डॉग बाइट की घटनाओं को लेकर आम जनता परेशान है.

कैसे करें आवारा डॉग्स को कंट्रोल : पहले के समय में आवारा डॉग्स की संख्या बढ़ने पर उन्हें जहर देकर मारा जाता था.लेकिन पशु क्रूरता कानून बनने के बाद ऐसा करने पर रोक लगा दी गई है. इस मामले में समाजसेवियों का कहना है कि डॉग्स का आतंक खत्म करने या उनकी जनसंख्या कम करने का प्रयास किसी एक के करने से नहीं होगा. बल्कि शासन प्रशासन के साथ ही आम जनता को भी इसके लिए सामने आना चाहिए.

"कुत्तों के जनसंख्या कम करने के लिए भले ही नसबंदी अभियान चलाया गया है.लेकिन आवारा कुत्तों को किसी एक जगह रखने शेल्टर बनाने की आवश्यकता है. शेल्टर होने पर यह कुत्ते सड़कों पर नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें आशियाना मिल जाएगा. ऐसे में कुत्तों का सड़कों से आतंक भी खत्म हो जाएगा.'' - नंद कश्यप, समाजसेवी

बिलासपुर में पालतू डॉग का आतंक, कॉलोनीवासियों को दौड़ा-दौड़ाकर काटा
गौठान की तर्ज पर डॉग हाउस बनाने की मांग

सरकार को बनवाने चाहिए शेल्टर्स : समाजसेवी राकेश शर्मा ने कहा कि सरकार को कुत्तों के लिए शेल्टर बनाना चाहिए.फिर उसे सामाजिक संस्थाओं को संचालित करने के लिए देना चाहिए. ताकि कुत्तों की देखरेख भी अच्छी तरह से हो सके और उन्हें पेट भर खाना मिल सके. कई बार कुत्ते भूखे होने की वजह से आक्रामक हो जाते हैं और लोगों को दौड़कर काटने लगते हैं. नसबंदी से भी डॉग्स में काफी बदलाव आता है.

बिलासपुर में बढ़े डॉग बाइट के मामले

बिलासपुर: न्यायधानी में आवारा डॉग्स लोगों के लिए सिरदर्द बन रहे हैं.आवारा डॉग्स के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक शहर में 50 से ज्यादा मामले डॉग बाइट के सामने आ चुके हैं.नगर निगम क्षेत्र में ऐसे आवारा डॉग्स की संख्या 30 हजार से ज्यादा है.जो आने वाली सर्दी के मौसम में और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.

छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा : आवारा डॉग्स से राहगीरों के अलावा छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है.क्योंकि बच्चे अनजाने में इनके करीब चले जाते हैं.डॉग्स भी बच्चों को अपना शिकार मानकर आसानी से उन पर झपट पड़ते हैं.प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं,जिनमें आवारा डॉग्स ने बच्चों को गंभीर हालत तक पहुंचाया है.

सिम्स में रोजाना रेबीज इंजेक्शन लगाने वालों की संख्या बढ़ी : जिला अस्पताल और सिम्स मेडिकल कॉलेज की बात करें, तो रोजाना 50 से भी ज्यादा मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं, जिनमें 20 से 25 नए मरीज होते हैं. हालांकि सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. लेकिन डॉग बाइट की घटनाओं को लेकर आम जनता परेशान है.

कैसे करें आवारा डॉग्स को कंट्रोल : पहले के समय में आवारा डॉग्स की संख्या बढ़ने पर उन्हें जहर देकर मारा जाता था.लेकिन पशु क्रूरता कानून बनने के बाद ऐसा करने पर रोक लगा दी गई है. इस मामले में समाजसेवियों का कहना है कि डॉग्स का आतंक खत्म करने या उनकी जनसंख्या कम करने का प्रयास किसी एक के करने से नहीं होगा. बल्कि शासन प्रशासन के साथ ही आम जनता को भी इसके लिए सामने आना चाहिए.

"कुत्तों के जनसंख्या कम करने के लिए भले ही नसबंदी अभियान चलाया गया है.लेकिन आवारा कुत्तों को किसी एक जगह रखने शेल्टर बनाने की आवश्यकता है. शेल्टर होने पर यह कुत्ते सड़कों पर नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें आशियाना मिल जाएगा. ऐसे में कुत्तों का सड़कों से आतंक भी खत्म हो जाएगा.'' - नंद कश्यप, समाजसेवी

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गौठान की तर्ज पर डॉग हाउस बनाने की मांग

सरकार को बनवाने चाहिए शेल्टर्स : समाजसेवी राकेश शर्मा ने कहा कि सरकार को कुत्तों के लिए शेल्टर बनाना चाहिए.फिर उसे सामाजिक संस्थाओं को संचालित करने के लिए देना चाहिए. ताकि कुत्तों की देखरेख भी अच्छी तरह से हो सके और उन्हें पेट भर खाना मिल सके. कई बार कुत्ते भूखे होने की वजह से आक्रामक हो जाते हैं और लोगों को दौड़कर काटने लगते हैं. नसबंदी से भी डॉग्स में काफी बदलाव आता है.

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