बिलासपुर: इस बार दो महीने का सावन माह पड़ा है. चार जुलाई से शुरू हुआ सावन 30 अगस्त को खत्म होगा. इस दो महीने शिव भक्त भोले को याद कर उनकी पूजा पाठ में डूबे हुए हैं. व्रत और शाकाहार भोजन खाकर लोग शिव की पूजा अर्चना कर रहे हैं. इस दौरान कई ऐसे लोग है जिन्होंने सावन के महीने में मांसाहार खाना छोड़ दिया है. इससे मांस, मछली और अंडों की बिक्री में भारी कमी आई है. चिकन और मछली व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है.
मांस मछली व्यवसायियों को 2 महीने का सावन पड़ा भारी: आमतौर पर सावन के महीने में मांस मटन का व्यवसाय मंदा होने लगता है. लेकिन इस साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा फर्क पड़ा है. व्यवसायी बता रहे हैं कि इस बार बिक्री में 80 प्रतिशत की गिरावट आ गई है. लगभग हर साल सावन का महीना 30 दिनों का होता है. लेकिन इस बार 58 दिनों का सावन पड़ने के कारण ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है.
पिछले सावन और इस सावन में बिक्री में काफी अंतर: सावन से पहले बिलासपुर जिले में एक दिन में 50 से 55 टन चिकन की खपत होती थी, जबकि शहर में 22 से 25 टन चिकन बिकता था. लेकिन सावन में अब जिले में 15 टन और शहर में सिर्फ 5 टन चिकन बिक रहा है. मछली की बात करें तो पहले जिले में 12 से 15 टन मछली बिकती थी, शहर में 5 से 7 टन मछली लोग खा जाते थे लेकिन सावन में पूरे जिले में 5 टन और शहर में 15 से 20 क्विंटल मछली लोग खरीद रहे हैं. मटन की बिक्री में सामान्य अंतर आया है. मटन का रेट ज्यादा होने के कारण इसके लिमिटेड ग्राहक है जिनपर दाम बढ़ने का कोई खास असर नहीं पड़ रहा है.
क्या कहते है चिकन और मछली के व्यापारी: मछली और चिकन व्यापारी बताते हैं कि हर साल सावन के महीने में मांसाहार में 10 से 15 परसेंट की गिरावट आती थी, लेकिन इस बार 15 से 25 परसेंट की गिरावट आई हैं. आम दिनों के मुकाबले 20 प्रतिशत ही धंधा रह गया है.
पहले की अपेक्षा 25 प्रतिशत की कमी आ गई है. पहले पूरी एक गाड़ी चिकन की खपत होती थी. अब सिर्फ 8 से 10 जाली की बिक्री हो रही है. पहले 2 टन अब सिर्फ 8 से 10 क्विंटल की बिक्री होती है. मजहर खान, चिकन व्यापारी
सावन के कारण बिक्री में बहुत कमी हुई है. पहले जिले में हर रोज 40 से 50 टन चिकन की खपत होती थी, अब 15 से 20 टन की खपत हो रही है. डबल सावन के कारण बहुत नुकसान हो रहा है- मो.साहिल, चिकन व्यापारी
मछली व्यापारी भी परेशान: इसी तरह मछली के व्यवसाय से जुड़े व्यापारी भी परेशान है. ठीक से बिक्री नहीं होने के कारण मछली उत्पादन करने वाले किसान तालाबों से मछली नहीं निकाल रहे हैं. मछली उत्पादकों को नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही छोटे व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा रहा है.
धंधे में बहुत फर्क पड़ा है. सावन से पहले 100 पेटी या 4 टन मछली की खपत होती थी अब सिर्फ 1 से डेढ़ टन बिक रहा है. 80 प्रतिशत मार्केट खत्म है- अभी तो पूरा महीना बचा है- अजय कुमार, मछली व्यवसायी
सावन के कारण 80 प्रतिशत लोगों ने धंधा बंद कर दिया है. इस साल दो सावन है. पहला सावन किसी तरह गुजर गया. देखना होगा आगे क्या होगा- -सजल भद्र, मछली व्यवसायी
दो महीने के सावन में शिव भक्त भोले का उपासना करके खुश है तो मछली व्यापारियों को उम्मीद है कि कुछ लोग एक सावन मानते हुए दूसरे सावन में कुछ ढील देते हुए मछली जरूर खाएंगे. जिससे उनका व्यापार बढ़ेगा.