बिलासपुर : बीजेपी की परिवर्तन यात्रा बिलासपुर में समाप्त होगी. 30 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी परिवर्तन यात्रा के समापन समारोह में शामिल होंगे.लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस परिवर्तन यात्रा का बिलासपुर की छह विधानसभाओं में कितना असर होगा.क्योंकि बिलासपुर की छह विधानसभाओं में कांग्रेस की पकड़ पिछले चुनाव में कमजोर थी. पिछले चुनाव में बीजेपी ने छह में से तीन विधानसभा में कब्जा किया था.ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार इसमें इजाफा होगा.
बिलासपुर संभाग की 24 सीटों पर नजर : बिलासपुर संभाग की यदि बात करें तो यहां 24 सीटें हैं. जहां पर बीजेपी की परिवर्तन यात्रा पहुंच चुकी है. ऐसे में जहां-जहां से परिवर्तन यात्रा गुजरी वहां के दिग्गज नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश करने के लिए अपनी ताकत भी केंद्रीय नेताओं को दिखाई लेकिन क्या उम्मीदवार केंद्रीय नेतृत्व को अपनी परफॉर्मेंस से खुश कर पाए ये एक बड़ा सवाल है.
बिलासपुर संभाग में ही है परिवर्तन यात्रा का आखिरी पड़ाव : 25 सितंबर से बिलासपुर संभाग में परिवर्तन यात्रा प्रवेश कर चुकी है.जिसमें मीनाक्षी लेखी, मनोज तिवारी जैसे दिग्गज नेताओं ने अपनी मौजूदगी दी है. परिवर्तन यात्रा में बीजेपी जहां पीएम मोदी के शासन के दौरान छत्तीसगढ़ के विकास की बात कह रही है,वहीं प्रदेश सरकार की नाकामियों को भी उजागर कर रही है.ऐसे में ये जानना जरुरी है कि जिन जगहों पर बीजेपी के विधायक नहीं हैं,वहां परिवर्तन यात्रा का कितना असर होगा.क्या बीजेपी सरकार के नाकामियों को सामने ला पाएगी.या एक बार फिर कांग्रेस का जलवा बरकरार रहेगा.इस बारे में विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है.
परिवर्तन यात्रा को लेकर अलग-अलग तर्क : परिवर्तन यात्रा को लेकर राजनीति के जानकारों का अलग-अलग तर्क है. कांग्रेस की राजनीति के जानकार निर्मल मानिक का कहना है कि कांग्रेस राज्य बनने के पहले जिले में 9 विधानसभा सीटों में से 5 से 7 सीट लाती थी. जो मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सहयोगी बनती थी .हमेशा से ही बिलासपुर विधानसभा से जीतने वाले विधायक को मंत्री पद से नवाजा जाता था. लेकिन राज्य बनने के बाद यह क्रम टूटने लगा. बिलासपुर जिले से अलग होकर चार जिले बन गए.जिससे जिले में सिर्फ छह विधानसभाएं ही बची. जिसका कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ.यही वजह रही कि पिछले चुनाव में कांग्रेस का परफॉर्मेंस जिले में कमजोर रहा.
''बीजेपी की परिवर्तन यात्रा भले ही राजनीतिक है लेकिन बीजेपी ने एक अच्छा काम शुरू किया है. जो अपने पुराने बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को फिर से तवज्जो दे रही है आने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन कांग्रेस ने जनता पर ध्यान नहीं दिया तो उसे नुकसान उठाना पड़ेगा.'' निर्मल मानिक, राजनीति के जानकार
बीजेपी और कांग्रेस की योजनाओं में अंतर : वरिष्ठ समाजसेवी और राजनीति के जानकार हबीब खान के मुताबिक पिछले 30 साल में बीजेपी की योजनाओं और विकास कार्यों की समीक्षा उन्होंने की है. बीजेपी योजनाएं अच्छी बनाती है. व्यक्तिगत रूप से लोगों को लाभ भी पहुंचाती है. लेकिन कांग्रेस सीधे तौर पर किसानों को लाभ पहुंचा रही है. जिनकी मतदाताओं में संख्या सबसे ज्यादा है. कांग्रेस पिछले 4 साल में किसानों को पहुंचाएं लाभ को लेकर जन-जन तक अपनी पैठ बना चुकी है. शहरी क्षेत्र की यदि बात करें तो शहरी क्षेत्र में कांग्रेस भले ही कमजोर नजर आ रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का बोलबाला अधिक है.
कांग्रेस का किसानों पर है फोकस : आगामी विधानसभा चुनाव में बिलासपुर जिले की 6 सीटों में दो सीट ही शहरी क्षेत्र में हैं. बाकी ग्रामीण इलाकों में है. इन ग्रामीण इलाकों में किसानों की संख्या ज्यादा है. कांग्रेस ने किसानों के लिए किए गए कर्ज माफ और बोनस के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में 1 एकड़ में 20 क्विंटल धान खरीदी के साथ ही कीमत बढ़ाने का वादा करके किसानों को अपनी ओर करने का काम किया है.
''आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टी कम ज्यादा तो नहीं लेकिन बराबरी की सीट पा सकती है. परिवर्तन यात्रा या फिर इस तरह की कोई भी बड़ी आमसभा या रैलियां बहुत ज्यादा प्रभाव तो नहीं डालते, लेकिन कार्यकर्ताओं में जोश जरुर पैदा होता है.'' हबीब खान, राजनीति के जानकार
किसका पलड़ा रहेगा भारी : बीजेपी जहां एक ओर परिवर्तन यात्रा निकालकर जनता के बीच कांग्रेस की नाकामियां पहुंचाने का काम किया है.वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भरोसे का सम्मेलन करके हर घर तक अपनी सरकार की खूबियों को पहुंचाएगी.भले ही पिछले चुनाव में बिलासपुर जिले में कांग्रेस कमजोर रही,लेकिन सरकार के कामकाज और संगठन की मेहनत के बूते इस बार पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी.ऐसे में सिर्फ यात्राएं करके वोट हासिल करने की रणनीति कितनी सफल होगी ये चुनाव के बाद ही पता चलेगा.