बिलासपुर: प्रदेशभर में आज गौरा-गौरी पूजा और गोवेर्धन पूजा बड़ी धूम धाम से मनाया गया. शहरी और ग्रामीण इलाकों में होने वाले पूजा के दौरान बिलासपुर महापौर रामशरण यादव भी इस पूजा में शामिल हुए. इस दौरान मेयर मांदर लेकर सबके साथ झूमते नजर आए.
गौरा-गौरी के विसर्जन के लिए निकली शोभायात्रा में मेयर रामशरण यादव भी पहुंचे. उन्होंने खुद मांदर बजाई. साथ ही जमकर थिरकते हुए नजर आए. इस दौरान लोग भी उनके साथ थिरकते दिखे. बाजे-गाजे के साथ आदिवासी समाज की ओर से निकाली गई शोभायात्रा में गौरा-गौरी की प्रतिमा का स्वागत हर चौक-चैराहों पर किया गया.
शिव-पार्वती की होती है पूजा
छत्तीसगढ़ में गौरी-गौरा पूजा का विशेष महत्व है. इस त्योहार में लोग मिट्टी से गौरा-गौरी (शिव-पार्वती) की प्रतिमा बनाकर रात भर पूजा अर्चना करते हैं. पूरा कार्यक्रम विवाह समारोह जैसा होता है. गौरी (पार्वती) की प्रतिमा का गौरा (शिव) से विवाह कराया जाता है. आदिवासी समाज इसे शंकर-पार्वती का रूप मानते हैं.
![Ramsharan Yadav playing mandar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bls-01-visharjan-avb-cgc10065_15112020155456_1511f_1605435896_780.jpg)
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कोरोना का दिखा असर
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल गौरा-गौरी की प्रतिमा के साथ आकर्षक झांकी भी निकाली जाती थी, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से झांकी नहीं निकाली गई. ग्रामीण बताते हैं कि 24 घंटे के लिए गौरा-गौरी को पूजा के लिए आमंत्रित किया जाता है. इसके बाद दोनों की प्रतिमाओं को विधि-विधान के साथ और गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से नदी तक ले जाया जाता है. जहां नदी के तट पर एक बार फिर दोनों प्रतिमाओं की पूजा की जाती है. इसके बाद आदरपूर्वक प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है.