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हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने लोक आयोग की कार्रवाई पर लगाई रोक - लोक आयोग की कार्रवाई

बिलासपुर हाईकोर्ट ने डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक आयोग की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. आयोग ने स्वेच्छा से ही जांच शुरू कर दी थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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Published : Jan 11, 2021, 4:06 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक आयोग की कार्रवाई पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है. आयोग ने रायपुर स्थित पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के एक डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू की थी. खास बात यह है कि आयोग जिस मामले की जांच कर रहा था. उसकी शिकायत ही नहीं की गई थी. आयोग ने स्वेच्छा से ही जांच शुरू कर दी थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

रायपुर के डॉक्टर शिव शंकर अग्रवाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उन्होंने बताया था कि उनके खिलाफ लोक आयोग ने कार्रवाई शुरू करते हुए उन्हें जवाब तलब किया है. लोक आयोग की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि आयोग के अधिनियम और परिनियम में प्रावधान है. लोक सेवक के खिलाफ शिकायत होने पर ही आयोग जांच करेगा, लेकिन उनके मामले में बिना शिकायत ही जांच शुरु कर दी गई.

पढ़ें : किसान आंदोलन मामले में दो चरणों में हो सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

क्या कहता है नियम ?

नियमों के मुताबिक, शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत निर्धारित प्रपत्र, शुल्क और शपथ-पत्र की जानकारी और आरोप की प्रति आरोपी को उपलब्ध कराई जानी चाहिए. लेकिन याचिकाकर्ता के मामले में आयोग की तरफ से जानकारी नहीं दी गई. याचिकाकर्ता ने RTI के तहत जानकारी मांगी. इस पर आयोग ने अपने जवाब में कहा कि शिकायत निर्धारित प्रपत्र में नहीं दी गई है. शपथ पत्र और शुल्क भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. पूरे मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने लोक आयोग की आगे की कार्रवाई पर आगामी आदेश तक रोक लगाते हुए जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक आयोग की कार्रवाई पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है. आयोग ने रायपुर स्थित पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के एक डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू की थी. खास बात यह है कि आयोग जिस मामले की जांच कर रहा था. उसकी शिकायत ही नहीं की गई थी. आयोग ने स्वेच्छा से ही जांच शुरू कर दी थी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

रायपुर के डॉक्टर शिव शंकर अग्रवाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उन्होंने बताया था कि उनके खिलाफ लोक आयोग ने कार्रवाई शुरू करते हुए उन्हें जवाब तलब किया है. लोक आयोग की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि आयोग के अधिनियम और परिनियम में प्रावधान है. लोक सेवक के खिलाफ शिकायत होने पर ही आयोग जांच करेगा, लेकिन उनके मामले में बिना शिकायत ही जांच शुरु कर दी गई.

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क्या कहता है नियम ?

नियमों के मुताबिक, शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत निर्धारित प्रपत्र, शुल्क और शपथ-पत्र की जानकारी और आरोप की प्रति आरोपी को उपलब्ध कराई जानी चाहिए. लेकिन याचिकाकर्ता के मामले में आयोग की तरफ से जानकारी नहीं दी गई. याचिकाकर्ता ने RTI के तहत जानकारी मांगी. इस पर आयोग ने अपने जवाब में कहा कि शिकायत निर्धारित प्रपत्र में नहीं दी गई है. शपथ पत्र और शुल्क भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. पूरे मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने लोक आयोग की आगे की कार्रवाई पर आगामी आदेश तक रोक लगाते हुए जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

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