बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े एक मामले में एडिशनल रिप्लाई नहीं करने पर 20 हजार रुपए का कॉस्ट लगाया है. हेड मास्टर की नियुक्ति को लेकर 2012 में याचिका दायर की गई थी. लेकिन, समय पर शिक्षा विभाग के जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर और बार-बार जवाब प्रस्तुत करने के आदेश के बाद भी ध्यान नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है. नाराज हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव पर कॉस्ट लगाया है. कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि, आगामी सुनवाई के पहले अपना जवाब प्रस्तुत करें. याचिका पर अगली सुनवाई 23 मार्च को रखी गई है.
क्या है पूरा मामला : बलौदा बाजार के रहने वाले शिक्षक प्रेम लाल साहू ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 2012 में एक याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने 2012 में याचिका दायर कर बताया कि '' हेड मास्टर के एग्जाम में उन्होंने 60 परसेंट अंक प्राप्त किया. लेकिन उनके नीचे यानी 60 परसेंट से भी कम अंक प्राप्त करने वालों को स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रोमोट करते हुए हेड मास्टर नियुक्त कर दिया. लेकिन मेरा प्रमोशन नहीं किया गया, जबकि प्रमोट किये अन्य शिक्षकों से मैने ज्यादा अंक हासिल किए थे.''
हेड मास्टर बनाने के लिए लगाई याचिका : हेड मास्टर पद पर प्रमोट करने के लिए याचिकाकर्ता का अधिकार पहले बनता है. इसलिए उन्होंने कोर्ट में यह याचिका लगाई.
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जिला शिक्षा अधिकारी ने समय पर नहीं दिया जवाब : इस पूरे मामले में चल रही सुनवाई में सोमवार को कोर्ट ने एडिशनल रिप्लाई नहीं आने पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव पर 20 हजार रुपए कॉस्ट लगाया है और इसे जमा करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में जानकारी के अनुसार बलौदा बाजार के जिला शिक्षा अधिकारी को समय पर एडिशनल रिप्लाई कोर्ट के सामने पेश करना था. लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने समय पर एडिशनल रिप्लाई नहीं किया. जब कोर्ट ने मामले में स्कूल शिक्षा सचिव को तलब किया तो उनकी जगह में बलौदा बाजार के जिला शिक्षा अधिकारी खुद प्रस्तुत हो गए. इससे नाराज होकर कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव पर 20 हजार रुपए का कॉस्ट लगाया है. आगामी सुनवाई 23 मार्च के पहले जवाब प्रस्तुत करने की हिदायत कोर्ट ने दी है. इसके साथ ही स्कूल शिक्षा सचिव को कोर्ट में पेश होने के निर्देश जारी किए गए हैं.