बिलासपुर : छत्तीसगढ़ आयुर्वेद विज्ञान संस्थान यानी सिम्स में इलाज को लेकर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करवाकर सुनवाई के माध्यम से सिम्स की अवस्था पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है. मरीज को मिलने वाली सुविधाओं और साफ सफाई के साथ ही वार्डों की अव्यवस्था को लेकर कोर्ट ने सुनवाई में राज्य शासन के साथ ही सिम्स प्रबंधन को कड़ी फटकार लगाई है.
चार दिन पहले ही हाईकोर्ट ने दिए थे निर्देश : चार दिन पहले मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिम्स की व्यवस्था और मरीजों की लगातार हो रही मौत को लेकर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की थी. हाईकोर्ट ने सिम्स मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही कोर्ट ने न्याय मित्र टीम गठित कर सिम्स मेडिकल कॉलेज की अवस्था पर न्याय मित्रों के द्वारा निरीक्षण किए जाने और वीडियो ग्राफी और फोटोग्राफ्स के माध्यम से रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे.
रिपोर्ट देखने के बाद सकते में आया हाईकोर्ट : न्याय मित्रों की रिपोर्ट देखकर हाईकोर्ट भी सकते में आ गया. जिसके बाद हाईकोर्ट ने सिम्स मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर लापरवाही और अव्यवस्था को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने सुनवाई में उपस्थित अधिकारियों और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर नाराजगी जाहिर की है.
क्या कहा हाईकोर्ट ने ? : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की विशेष डीबी में सिम्स में अव्यवस्था मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने वीडियो क्लिप और डीएम की रिपोर्ट में जमीन आसमान का अंतर होने पर नाराजगी व्यक्त की .कोर्ट ने कहा कि यंग आईएएस से बहुत उम्मीद रहता है किंतु यह कैज्यूवल रिपोर्ट है. कोर्ट ने सिम्स की स्थिति सुधारने महाधिवक्ता को तीन कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने और 26 एवं 27 अक्टूबर को एसीएस को सिम्स का निरीक्षण करने के निर्देश दिए. जिसमें मेडिकल सुविधाओं की स्थिति, एक्सरे मशीन, ऑपरेशन थियेटर, आईसीयू की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने और कोर्ट कमिश्नर को अलग से रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
1 नवंबर को होगी अगली सुनवाई : मामले में अगली सुनवाई 1 नवंबर को रेग्युलर बेंच में होगी. कोर्ट ने भी कहा कि सालाना करोड़ों रुपए मेंटेनेंस बजट मिलने के बाद भी इस तरह की व्यवस्था समझ से परे है. मरीज को किस तरह से ट्रीटमेंट मिल रहा है और क्या व्यवस्था है यह वीडियो ग्राफी देखकर ही समझ में आ रहा है. इतनी खराब व्यवस्था होने के बाद भी अधिकारियों को इसे ठीक करने का फुर्सत नहीं है. ऐसे में क्या इलाज होता होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है.