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आपकी मदद के इंतजार में हैं 'बिलासपुर के बाबा' - gulab papadi

नए साल पर आप नया संकल्प लेते हैं, तो बिलासपुर के बाबा की मदद की कोशिश कीजिए. इस बुरे दौर ने दुनिया में अकेले को और अकेला, दुखी को और दुखी, गरीब को और गरीब कर दिया है. हमारी अपील है कि आप भी बिलासपुर के इस बाबा के पास जाइए कुछ खरीद लीजिए, जिससे ये भी नये साल में कुछ नया महसूस कर सकें.

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बिलासपुर के बाबा
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Published : Dec 31, 2020, 4:07 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 1:29 PM IST

बिलासपुर: सोशल मीडिया पर एक छोटे से वायरल वीडियो ने दिल्ली के बाबा का ढाबा की जिंदगी बदल दी थी. जहां एक ग्राहक नहीं थे, वहां कस्टमर्स की लाइन लग गई थी. उन्हीं की तरह छत्तीसगढ़ में भी एक बुजुर्ग अपने दिन बदलने के इंतजार में हैं. बुजुर्ग का नाम है एम आदिनारायणा. वे आंध्र प्रदेश के गुडीवारा गांव के रहने वाले हैं. उम्र की वजह से शरीर जवाब दे रहा है. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हर रोज वे स्टेशन क्षेत्र में खाने का सामान बेचने को मजबूर हैं. बुजुर्ग अपनी पत्नी के हाथ का बना सामान बेचते हैं.

बिलासपुर के बाबा

एक बेटे की मौत, दूसरा साथ नहीं रहता

बुजुर्ग हर रोज 100 से 150 रुपए का सामान बेचते हैं. 30 साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, एक आदिनारायणा पत्नी के साथ बिलासपुर आए और यहीं बस गए. वे 12 सौ के किराए के मकान में रहते हैं. 200 से 300 रुपये बिजली बिल के साथ 1500 रुपया इनका किराए में चला जाता है. उम्र के इस पड़ाव पर कोरोना महामारी के दौर ने बड़ा बेटा छीन लिया. छोटा अपने परिवार के साथ रहता है. और वे अपनी पत्नी के साथ सड़क पर खाने का सामान बेचते हैं. क्योंकि जिंदगी किसी के सामने हाथ फैला कर नहीं जीनी है.

Want a taste of South Indian cuisine come to  M Adinarayana Dhaba of Bilaspur
सोशल मीडिया के जरिए पहुंचे युवा

पढ़ें: खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर 7 परिवार के लोग

दुकान और मकान दोनों चला गया

10 साल पहले इडली-दोसा बेचना बंद हुआ. जिस जगह रहते थे, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में वो झुग्गी और दुकान भी चली गई. लेकिन एम आदिनारायणा की हिम्मत बची रही. कोरोनाकाल में बुरा वक्त गुजारने के बाद इन्होंने होम मेड सामान लेकर सड़क किनारे बेचना शुरू किया. लोगों को इनकी गुलाब पपड़ी पसंद कर रहे हैं.

Want a taste of South Indian cuisine come to  M Adinarayana Dhaba of Bilaspur
दक्षिण भारतीय व्यंजन

सोशल मीडिया के जरिए मिली जानकारी

सोशल मीडिया के जरिए कुछ युवाओं को पता चला तो वे भी इनके पास आए. युवाओं का कहना था कि सबको इनके पास सामान लेने आना चाहिए, जिससे मदद हो सके. कुछ लोग बाबा के रेग्युलर ग्राहक निकले. उन लोगों का कहना था कि एक बार कोई एम आदिनारायणा की पत्नी के हाथ के बने स्नैक्स खाएगा, बार-बार ले जाएगा.

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दक्षिण भारतीय व्यंजन

आइए करें 'बिलासपुर के बाबा' की मदद

हम भी आपसे अपील करते हैं कि आइए नए साल में किसी की जिंदगी में नई रोशनी भरते हैं. एक-दूसरे का साथ देकर बड़ी से बड़ी मुश्किलों से निकला जा सकता है. 'बिलासपुर के बाबा' एम आदिनारायणा को हमारे प्यार और सपोर्ट की जरूरत है. हमारी छोटी सी मदद, उनकी जिंदगी की मुश्किलें कम कर सकती है.

बिलासपुर: सोशल मीडिया पर एक छोटे से वायरल वीडियो ने दिल्ली के बाबा का ढाबा की जिंदगी बदल दी थी. जहां एक ग्राहक नहीं थे, वहां कस्टमर्स की लाइन लग गई थी. उन्हीं की तरह छत्तीसगढ़ में भी एक बुजुर्ग अपने दिन बदलने के इंतजार में हैं. बुजुर्ग का नाम है एम आदिनारायणा. वे आंध्र प्रदेश के गुडीवारा गांव के रहने वाले हैं. उम्र की वजह से शरीर जवाब दे रहा है. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से हर रोज वे स्टेशन क्षेत्र में खाने का सामान बेचने को मजबूर हैं. बुजुर्ग अपनी पत्नी के हाथ का बना सामान बेचते हैं.

बिलासपुर के बाबा

एक बेटे की मौत, दूसरा साथ नहीं रहता

बुजुर्ग हर रोज 100 से 150 रुपए का सामान बेचते हैं. 30 साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, एक आदिनारायणा पत्नी के साथ बिलासपुर आए और यहीं बस गए. वे 12 सौ के किराए के मकान में रहते हैं. 200 से 300 रुपये बिजली बिल के साथ 1500 रुपया इनका किराए में चला जाता है. उम्र के इस पड़ाव पर कोरोना महामारी के दौर ने बड़ा बेटा छीन लिया. छोटा अपने परिवार के साथ रहता है. और वे अपनी पत्नी के साथ सड़क पर खाने का सामान बेचते हैं. क्योंकि जिंदगी किसी के सामने हाथ फैला कर नहीं जीनी है.

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सोशल मीडिया के जरिए पहुंचे युवा

पढ़ें: खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर 7 परिवार के लोग

दुकान और मकान दोनों चला गया

10 साल पहले इडली-दोसा बेचना बंद हुआ. जिस जगह रहते थे, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में वो झुग्गी और दुकान भी चली गई. लेकिन एम आदिनारायणा की हिम्मत बची रही. कोरोनाकाल में बुरा वक्त गुजारने के बाद इन्होंने होम मेड सामान लेकर सड़क किनारे बेचना शुरू किया. लोगों को इनकी गुलाब पपड़ी पसंद कर रहे हैं.

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दक्षिण भारतीय व्यंजन

सोशल मीडिया के जरिए मिली जानकारी

सोशल मीडिया के जरिए कुछ युवाओं को पता चला तो वे भी इनके पास आए. युवाओं का कहना था कि सबको इनके पास सामान लेने आना चाहिए, जिससे मदद हो सके. कुछ लोग बाबा के रेग्युलर ग्राहक निकले. उन लोगों का कहना था कि एक बार कोई एम आदिनारायणा की पत्नी के हाथ के बने स्नैक्स खाएगा, बार-बार ले जाएगा.

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दक्षिण भारतीय व्यंजन

आइए करें 'बिलासपुर के बाबा' की मदद

हम भी आपसे अपील करते हैं कि आइए नए साल में किसी की जिंदगी में नई रोशनी भरते हैं. एक-दूसरे का साथ देकर बड़ी से बड़ी मुश्किलों से निकला जा सकता है. 'बिलासपुर के बाबा' एम आदिनारायणा को हमारे प्यार और सपोर्ट की जरूरत है. हमारी छोटी सी मदद, उनकी जिंदगी की मुश्किलें कम कर सकती है.

Last Updated : Jan 1, 2021, 1:29 PM IST
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