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डिजिटल एजुकेशन के युग में ऐसे भी हैं स्कूल, जानिए तखतपुर की प्राथमिक शाला का हाल

तखतपुर जनपद मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव चुलघट की शासकीय प्राथमिक शाला बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

स्कूल का है ऐसा हाल
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Published : Apr 29, 2019, 8:31 AM IST

Updated : Apr 29, 2019, 11:57 AM IST

तखतपुर: एक तरफ देश के कई स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन दी जा रही है तो वहीं कई जगहों पर स्कूलों के नाम पर सिर्फ दीवारे खड़ी कर दी गई हैं. तखतपुर के चुलघट गांव के सरकारी स्कूलों का हाल ऐसा है कि बच्चे बाहर खुले में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं.

स्कूल का है ऐसा हाल

तखतपुर जनपद मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव चुलघट की शासकीय प्राथमिक शाला में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां पाचवीं कक्षा तक की प्राथमिक शाला में महज 3 कक्ष हैं. कमरे नहीं होने की वजह से 3 रूम में 5 कक्षाएं चलाने की मजबूरी है.

पीने को साफ पानी उपलब्ध नहीं

जर्जर भवन के साथ ही पीने का साफ पानी भी नहीं है. बच्चों ने बताया कि एक ही शौचालय है, जिसका उपयोग छात्र और छात्राएं दोनों करते हैं. वहीं प्राथमिक शाला में दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय का निर्माण किया गया है, लेकिन यहां हमेशा ताला जड़ा रहता है.

इसके साथ ही स्कूल में 3 शिक्षकों की नियुक्ति है, लेकिन 2 शिक्षक ही स्कूल पहुंचते हैं. जानकारी के अनुसार तीसरे शिक्षक की ड्यूटी तहसील और निर्वाचन सम्बंधी कार्यों में लगी रहती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई में समस्या आती है.

तखतपुर: एक तरफ देश के कई स्कूलों में डिजिटल एजुकेशन दी जा रही है तो वहीं कई जगहों पर स्कूलों के नाम पर सिर्फ दीवारे खड़ी कर दी गई हैं. तखतपुर के चुलघट गांव के सरकारी स्कूलों का हाल ऐसा है कि बच्चे बाहर खुले में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं.

स्कूल का है ऐसा हाल

तखतपुर जनपद मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव चुलघट की शासकीय प्राथमिक शाला में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां पाचवीं कक्षा तक की प्राथमिक शाला में महज 3 कक्ष हैं. कमरे नहीं होने की वजह से 3 रूम में 5 कक्षाएं चलाने की मजबूरी है.

पीने को साफ पानी उपलब्ध नहीं

जर्जर भवन के साथ ही पीने का साफ पानी भी नहीं है. बच्चों ने बताया कि एक ही शौचालय है, जिसका उपयोग छात्र और छात्राएं दोनों करते हैं. वहीं प्राथमिक शाला में दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय का निर्माण किया गया है, लेकिन यहां हमेशा ताला जड़ा रहता है.

इसके साथ ही स्कूल में 3 शिक्षकों की नियुक्ति है, लेकिन 2 शिक्षक ही स्कूल पहुंचते हैं. जानकारी के अनुसार तीसरे शिक्षक की ड्यूटी तहसील और निर्वाचन सम्बंधी कार्यों में लगी रहती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई में समस्या आती है.

Intro:Body: तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के क्षेत्र में विकास देखना चाहते है तो गाँव के स्कूल का हाल जानना जरूरी है।
तखतपुर जनपद मुख्यालय से महज़ 5 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत परसाकापा के ग्राम चुलघट के शासकीय प्राथमिक शाला का निरक्षण किया। जहाँ टीम ने अव्यवस्था से ग्रसित ग्रामीण सरकारी शिक्षा संस्था का हाल बेहाल देखा ।
बाउण्ड्रीवाल की कमी - प्राथमिक शाला की प्रथम आवश्यकताओं में एक आवश्यक है सुरक्षा,शाला में बच्चों की सुरक्षा के लिए विद्यालय के चारो ओर बाउण्ड्रीवाल होना अतिआवश्यक है।सुरक्षा दीवार की कमी है। इन सुरक्षा के अभाव में ग्रामीण बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है। शाला से लगा मुख्य सड़क तखतपुर पोंडी है जहाँ प्रतिदिन सैकड़ों वाहन का आवागमन रहता है।
जर्जर भवन - 5 तक की कक्षा में लगभग 84 बच्चे पढ़ते है, स्कूल भवन जर्जर हाल में है, प्रतिवर्ष मामूली जीर्णोध्दार कर गुजारा किया जा रहा है। जर्जर भवन में जान हथेली में रख कर शिक्षा लेने मजबूर है ग्रामीण छोटे बच्चे, जिसपर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं।
कक्ष की कमी - 5 कक्षा के शासकीय प्राथमिक शाला में 3कक्ष है। कक्षा की कमी के कारण 3 कक्ष में 5 कक्षाएं संचालन करना मजबूरी बना हुआ है। हालांकि एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हुआ है परन्तु उपयोग नहीं होता है। स्टोर रुम के रूप में उपयोग होता है।
जर्जर शौचालय - आपको बता दे कि एक ओर केन्द्र सरकार शौचालय का उपयोग को प्राथमिकता देते है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय में शौचालय जर्जर है। शौचालय अस्वच्छ और दरवाज़ा खराब है, सुरक्षा की दृष्टि से किसी प्रकार का उचित व्यवस्था नहीं है।
एक शौचालय में गुजारा - बालक बालिका के लिए एक ही शौचालय है। ग्रामीण बालक बालिकाए एक शौचालय उपयोग करने मजबूर है।
दिव्यांग शौचालय का उपयोग नहीं - ग्राम के प्राथमिक शाला में दिव्यांग शौचालय का निर्माण किया गया है जो हमेशा ताला जड़ा रहता है। शासन के रुपये का दुरूपयोग दिखाई दिया।
पानी की क़िल्लत, शुद्धता का अभाव - शाला के उपयोग के लिए एक हैण्डपम्प है जो शुद्धता के आभाव में साफ सफाई के लिए उपयोग किया जाता है। स्कूली बच्चों द्वारा समीप के हैण्डपम्प का उपयोग करने मजबूर है। जंकदार पानी से बच्चों का स्वास्थ्य ख़राब होने की सम्भावना बढ़ा है।
शिक्षक की कमी - शाला में 3शिक्षक की नियुक्ति है परन्तु 2 शिक्षक ही स्कूल पहुंचते है, जानकारी के अनुसार तीसरे शिक्षक की ड्यूटी तहसील तथा निर्वाचन सम्बन्धी कार्यों में हमेशा व्यस्त रखा जाता है जिससे बच्चों के पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है।
मध्यान भोजन भगवान भरोसे - शिक्षक ने बताया कि मध्यान भोजन ग्रामीण स्तर के हिसाब से ठीक है मेनू के अनुसार भोजन दिया जाता है। परन्तु शाला विकास की ओर नजर डालने पर यह एक सपना लगता है । आफ द रिकार्ड में ग्रामीण पालकों ने जमकर भड़ास निकाला स्कूल संचालन से लेकर मध्यान भोजन, शिक्षा गुणवत्ता, शिक्षक, कक्ष की कमी जर्जर भवन जैसे सैकड़ों शिकायत किया।

रिपोर्ट नरेन्द्र ध्रुव तखतपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़। Conclusion:
Last Updated : Apr 29, 2019, 11:57 AM IST
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