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WORLD AIDS DAY: बेसहारा पीड़ित बच्चों का सहारा बना बिलासपुर का 'अपना घर' - मासूमों का सहारा बना 'अपना घर'

AIDS पीड़ितों को लेकर आज भी हमारे समाज की सोच नहीं बदली है. जहां आज भी इस बीमारी से ग्रसित लोगों को परिवार से नफरत और समाज से तौहीन मिलती है वहीं बिलासपुर के संजीव ठक्कर ने एक ऐसा घर बनाया है जहां इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को प्यार,सहारा और अपनापन मिलता है.

WORLD AIDS DAY: मासूमों का सहारा बना 'अपना घर
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Published : Dec 1, 2019, 3:42 PM IST

Updated : Dec 1, 2019, 4:12 PM IST

बिलासपुर: AIDS पीड़ितों का दुख दर्द समझने के बजाय आज भी हमारा समाज उनके साथ भेदभाव करता है. ऐसे में बिलासपुर के संजीव ठक्कर एड्स पीड़ित बच्चों के लिए अपना घर का संचालन करते हैं जहां उन्हें प्यार, और अपनापन मिलता है. संजीव ठक्कर और उनकी पत्नी एड्स पीड़ित बच्चों का जीवन संवारने का काम करते हैं और उनके इलाज और शिक्षा का जिम्मा भी संभालते हैं.

WORLD AIDS DAY: एड्स पीड़ित बच्चों का सहारा बना बिलासपुर का 'अपना घर'

चेन्नई से संजीव ठक्कर को मिली थी प्रेरणा

संजीव ठक्कर ने बताया कि वह साल 2005 में चेन्नई के एक आश्रम में गए थे. जहां एचआईवी संक्रमित महिलाएं अपने बच्चों के साथ रह रही थीं। इसी बीच एक नन्ही सी बच्ची उनकी गोद में आकर बैठ गई। पूछने पर पता चला कि AIDS पीड़ित पिता की मौत के बाद बच्ची अकेली रह गई है. HIV ग्रसित महिला की उस बच्ची को उसके मां से इसलिए दूर रखा गया था क्योंकि वो महिला टीबी से ग्रसित होकर अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी. इस घटना ने संजीव को झकझोर कर रख दिया. तभी उन्होंने एड्स पीड़ित बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी.

18 साल से कर रहे हैं देखरेख

संजीव ठक्कर बीते 18 साल से एड्स पीड़ित मासूमों की देख रेख कर रहे हैं. अपनी पत्नी के सहयोग से एक छात्रावास का संचालन कर रहे हैं जहां डेढ़ दर्जन एड्स संक्रमित बच्चियां रहती है. उन्हें यहां प्यार और अपनापन मिल रहा है. यहां रह रहे बच्चों को हर आधारभूत सुविधा मिलती है जो हर एक बच्चे को चाहिए.

पूरी जिम्मेदारी ठक्कर दंपति ने उठाई

यह छत्तीसगढ़ की एकमात्र संस्था है जहां एचआईवी पीड़ित उपेक्षित बच्चों की पूरी देख रेख की जाती है. इन बच्चों के खाने-पीने, रहने और पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी ठक्कर दम्पति ने उठाई है.इनके साथ उनके सहयोगी के रूप में कई सदस्य भी हैं जो बच्चों की देखरेख करने में उनका सहयोग देते हैं.

जब आज के इस दौर में जहां लोगों के पास अपनों के लिए भी समय बमुश्किल मिल पाता है ऐसे में संजीव ठक्कर और उनकी पत्नी एड्स पीड़ित बच्चों को न सिर्फ एक आशियाना दे रखा है बल्कि उन्हें प्यार और अपनापन भी दे रहे हैं ताकि ये मासूम अपनी जिंदगी खुशनुमा तरीके से जी सके.

बिलासपुर: AIDS पीड़ितों का दुख दर्द समझने के बजाय आज भी हमारा समाज उनके साथ भेदभाव करता है. ऐसे में बिलासपुर के संजीव ठक्कर एड्स पीड़ित बच्चों के लिए अपना घर का संचालन करते हैं जहां उन्हें प्यार, और अपनापन मिलता है. संजीव ठक्कर और उनकी पत्नी एड्स पीड़ित बच्चों का जीवन संवारने का काम करते हैं और उनके इलाज और शिक्षा का जिम्मा भी संभालते हैं.

WORLD AIDS DAY: एड्स पीड़ित बच्चों का सहारा बना बिलासपुर का 'अपना घर'

चेन्नई से संजीव ठक्कर को मिली थी प्रेरणा

संजीव ठक्कर ने बताया कि वह साल 2005 में चेन्नई के एक आश्रम में गए थे. जहां एचआईवी संक्रमित महिलाएं अपने बच्चों के साथ रह रही थीं। इसी बीच एक नन्ही सी बच्ची उनकी गोद में आकर बैठ गई। पूछने पर पता चला कि AIDS पीड़ित पिता की मौत के बाद बच्ची अकेली रह गई है. HIV ग्रसित महिला की उस बच्ची को उसके मां से इसलिए दूर रखा गया था क्योंकि वो महिला टीबी से ग्रसित होकर अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी. इस घटना ने संजीव को झकझोर कर रख दिया. तभी उन्होंने एड्स पीड़ित बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी.

18 साल से कर रहे हैं देखरेख

संजीव ठक्कर बीते 18 साल से एड्स पीड़ित मासूमों की देख रेख कर रहे हैं. अपनी पत्नी के सहयोग से एक छात्रावास का संचालन कर रहे हैं जहां डेढ़ दर्जन एड्स संक्रमित बच्चियां रहती है. उन्हें यहां प्यार और अपनापन मिल रहा है. यहां रह रहे बच्चों को हर आधारभूत सुविधा मिलती है जो हर एक बच्चे को चाहिए.

पूरी जिम्मेदारी ठक्कर दंपति ने उठाई

यह छत्तीसगढ़ की एकमात्र संस्था है जहां एचआईवी पीड़ित उपेक्षित बच्चों की पूरी देख रेख की जाती है. इन बच्चों के खाने-पीने, रहने और पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी ठक्कर दम्पति ने उठाई है.इनके साथ उनके सहयोगी के रूप में कई सदस्य भी हैं जो बच्चों की देखरेख करने में उनका सहयोग देते हैं.

जब आज के इस दौर में जहां लोगों के पास अपनों के लिए भी समय बमुश्किल मिल पाता है ऐसे में संजीव ठक्कर और उनकी पत्नी एड्स पीड़ित बच्चों को न सिर्फ एक आशियाना दे रखा है बल्कि उन्हें प्यार और अपनापन भी दे रहे हैं ताकि ये मासूम अपनी जिंदगी खुशनुमा तरीके से जी सके.

Intro:आज विश्व एड्स दिवस है और दुनियाभर में इस लाइलाज बीमारी को लेकर पूरा विश्व चिंतन में डूबा हुआ है । वैज्ञानिक अपने स्तर पर शोध में डूबे हुए नजर आ रहे हैं लेकिन इस लाइलाज बीमारी का एक स्याह पक्ष यह भी है कि हमारा समाज एड्स पीड़ित मासूमों को भी गलत निगाह से देखता है और वो कई बार अपने ही परिवार में घोर उपेक्षा और प्रताड़ना के शिकार हो जाते हैं । तो आइए आज हम बिलासपुर के उस दम्पति से आपको मिलाते हैं जिन्होंने एचआईवी पीड़ित उन मासूमों के देखरेख का जिम्मा उठाया है जो अपने ही घर और समाज से ठुकराए हुए हैं । एक ख़ास रिपोर्ट....


Body:वर्षों पहले बिलासपुर के रहनेवाले संजीव ठक्कड़ जब चेन्नई गए थे तो वो hiv पीड़ित महिलाओं के एक संस्था से रूबरू हुए । संजीव ने देखा कि उस संस्था की एक एचआईवी पीड़ित महिला की मासूम बच्ची को उसके माँ से इसलिए दूर रखा गया है क्योंकि वो महिला टीवी से ग्रसित होकर अंतिम स्थिति में आ चुकी थी, और इस हालात में एड्स संक्रमित बच्ची को अपने माँ के संपर्क में नहीं लाया जा सकता है । इस बेहद ही मार्मिक दृश्य को देखकर संजीव का हृदय पसीज गया और वो बीते 18 सालों से एचआईवी संक्रमित मासूमों की देखरेख कर रहे हैं । संजीव अपनी पत्नी के सहयोग से एक छात्रावास का संचालन कर रहे हैं जहाँ डेढ़ दर्जन एड्स संक्रमित बच्चियों का देख रेख किया जाता है । यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र संस्था है जहाँ एचआईवी पीड़ित उपेक्षित बच्चों की पूरी देख रेख की जाती है ।इन बच्चों की खाने-पीने,रहने और पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी ठक्कड़ दम्पति ने उठाई है ।



Conclusion:हॉस्टल में एक दूसरे से घुले मिले बच्चे इस कदर खुश नजर आते हैं कि मानो जिस तथाकथित सभ्य समाज ने उन्हें उपेक्षित किया उसी समाज में उनकी देखरेख करनेवाला कोई धरती का भगवान उन्हें मिल गया हो । ठक्कड़ दम्पति भी इन बच्चों को बिल्कुल ही अपने बच्चों की तरह प्यार देते हैं । सचमुच बेसहारा एचआईवी पीड़ित बच्चों के लिए एक परिवार का इतना त्याग समाज में किसी मिसाल से कम नहीं है और समाज के उस बेपरवाह वर्ग के लिए सीख भी जो अपनी गलती की सज़ा मासूम बच्चों को भोगने के लिए मजबूर कर देते हैं ।
bite.... संजीव ठक्कड़...हॉस्टल संचालक
bite.... रीटा ठक्कड़.... संजीव ठक्कड़ की पत्नी
(ब्लैक स्वेटर में)
bite.... दीपिका सिंह...हॉस्टल अधीक्षिका
bite.... एचआईवी पीड़ित बच्चे
पीटूसी ।
विशाल झा...... बिलासपुर
Last Updated : Dec 1, 2019, 4:12 PM IST
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