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Bilaspur : स्मार्ट सिटी कंपनियों में निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार हड़पने का आरोप,हाईकोर्ट में बहस पूरी

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Published : May 6, 2023, 6:52 PM IST

स्मार्ट सिटी कंपनियों के निर्वाचित संस्थाओं के अधिकारों को हड़पने के मामले में हाईकोर्ट बहस पूरी हो गई है.

smart city companies
निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार हड़पने का आरोप

बिलासपुर : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने तीन दिनों तक याचिकाओं पर सुनवाई की है. याचिका में बताया गया है कि निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है.जबकि ये सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है.

किसने लगाई है याचिका : केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के कई नगर निगमों में स्मार्ट सिटी के तहत शहर विकास को लेकर कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अधिकारियों को सदस्य और डायरेक्टर के रूप में शामिल किया गया है. लेकिन नगर निगम के महापौर, पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधियों को नहीं रखा गया है. इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में कई लोगों ने जनहित याचिका दायर की है. कोर्ट में लगी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने तीन दिनों तक याचिकाओं पर सुनवाई की.

ये भी पढ़ें- दुर्ग आईजी का आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द

जनहित याचिका में क्या है : बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया गया है. जबकि ये सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं. जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है. पिछले 5 सालों में कराए गए सभी कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर इन काउंसिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है. साथ ही कंपनी का स्वामित्व राज्य शासन और निगम की 50 फीसदी भागीदारी होने के बाद भी राज्य सरकार की है. अधिकारियों को ही डायरेक्टर बनाया गया है. यह स्थानीय निकाय को कमजोर करने का प्रयास भी किया जा रहा है.'' इस मामले में बहस 3 मई से शुरु हुई थी.

बिलासपुर : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने तीन दिनों तक याचिकाओं पर सुनवाई की है. याचिका में बताया गया है कि निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है.जबकि ये सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है.

किसने लगाई है याचिका : केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के कई नगर निगमों में स्मार्ट सिटी के तहत शहर विकास को लेकर कई प्रोजेक्ट चलाए जा रहे है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अधिकारियों को सदस्य और डायरेक्टर के रूप में शामिल किया गया है. लेकिन नगर निगम के महापौर, पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधियों को नहीं रखा गया है. इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में कई लोगों ने जनहित याचिका दायर की है. कोर्ट में लगी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने तीन दिनों तक याचिकाओं पर सुनवाई की.

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जनहित याचिका में क्या है : बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया गया है. जबकि ये सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं. जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है. पिछले 5 सालों में कराए गए सभी कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर इन काउंसिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है. साथ ही कंपनी का स्वामित्व राज्य शासन और निगम की 50 फीसदी भागीदारी होने के बाद भी राज्य सरकार की है. अधिकारियों को ही डायरेक्टर बनाया गया है. यह स्थानीय निकाय को कमजोर करने का प्रयास भी किया जा रहा है.'' इस मामले में बहस 3 मई से शुरु हुई थी.

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