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ग्रामीणों इलाकों में पेड़-पौधों को पानी देकर मनाया अक्ती का त्योहार

तखतपुर में रविवार को पेड़-पौधों को पानी दे कर अक्ती का त्योहार मनाया गया. ग्रामीणों का मानन है कि 'प्रकृति की सुरक्षा और उपभोग इस जीवन का मूल मंत्र है'.

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Published : Apr 26, 2020, 11:41 PM IST

Akti festival celebrated by worshiping trees and plants in-bilaspur
ग्रामीण इलाकों में मनाया अक्ती का त्यौहार

बिलासपुर: तखतपुर के ग्रामीण इलाकों में रविवार को अक्ती का त्यौहार मनाया गया. जिसमें ग्रामीणों ने प्रकृति के रूप में पेड़ पौधों को अन्न-जल देकर पूर्वजों को याद किया. ग्रामीण इलाकों में इसी दिन से पानी भरने के लिए मटका, घड़ा, सुराही का उपयोग शुरू किया जाता है. अक्ती के ही दिन फलों (आम, बेल) को खाने-पीने की शुरुआत किया जाता है.

ग्रामीणों को मानना है कि उनके पूर्वज गंभीर महामारी का इलाज पत्ते, फल, फूल, जड़ आदि से करते थे. जो आज केवल एक त्यौहार बन गया है. प्रकृति को भेंट करने के बाद अक्ती के दिन खेतों में किसान गोबर खाद डालकर खेती की शुरुआत करते हैं.

पीपल, आम, नीम, बरगद, गस्ती जैसे विशाल वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के बाद अब उनकी कमी बढ़ते तापमान में दिखाई दे रही है. ग्रामीणों ने प्रकृति की सुरक्षा और उपभोग इस जीवन का मूल मंत्र बताया है. जो की वर्तमान समय में आधुनिकता के चकाचौंध में विनाश की ओर अग्रसर है.

बिलासपुर: तखतपुर के ग्रामीण इलाकों में रविवार को अक्ती का त्यौहार मनाया गया. जिसमें ग्रामीणों ने प्रकृति के रूप में पेड़ पौधों को अन्न-जल देकर पूर्वजों को याद किया. ग्रामीण इलाकों में इसी दिन से पानी भरने के लिए मटका, घड़ा, सुराही का उपयोग शुरू किया जाता है. अक्ती के ही दिन फलों (आम, बेल) को खाने-पीने की शुरुआत किया जाता है.

ग्रामीणों को मानना है कि उनके पूर्वज गंभीर महामारी का इलाज पत्ते, फल, फूल, जड़ आदि से करते थे. जो आज केवल एक त्यौहार बन गया है. प्रकृति को भेंट करने के बाद अक्ती के दिन खेतों में किसान गोबर खाद डालकर खेती की शुरुआत करते हैं.

पीपल, आम, नीम, बरगद, गस्ती जैसे विशाल वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के बाद अब उनकी कमी बढ़ते तापमान में दिखाई दे रही है. ग्रामीणों ने प्रकृति की सुरक्षा और उपभोग इस जीवन का मूल मंत्र बताया है. जो की वर्तमान समय में आधुनिकता के चकाचौंध में विनाश की ओर अग्रसर है.

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