बीजापुर: गुरुवार को इंद्रवती टायगर फारेस्ट के डीएफओ गणवीर धम्मशील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाया था. इस दौरान बताया गया कि शिकारियों से बाघ की खाल वाले मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वन विभान ने दावा किया है कि तस्करी करने वालों में सीआरपीएफ का एक अधिकारी भी शामिल हैं. लेकिन अधिकारी के फरार होने की वजह से अभी कब्जे में नहीं हैं. वन विभाग ने बहुत जल्दी ही उसे गिरफ्तार किये जाने का दावा किया है.
सीआरपीएफ अधिकारी पर गंभीर आरोप: बीजापुर वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में जब्त की गई बाघ की खाल को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक अधिकारी को सौंपा जाना था. जिन्होंने कथित तौर पर इसे खरीदने के लिए एडवांस 7.5 लाख रुपये का भुगतान किया था. नक्सल प्रभावित जिले के नैमेड़ इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 222वीं बटालियन के एक उप निरीक्षक को बीजापुर वन विभाग ने इस संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया है.
"बाघ की खाल 30 जून की रात को इंद्रावती बाघ अभयारण्य के मद्देड़ बफर रेंज के रुद्रराम गांव से बरामद की गई थी. यह कार्रवाई इंद्रावती टाइगर रिजर्व, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (गरियाबंद जिला) और बीजापुर वन प्रभाग की अवैध शिकार विरोधी टीम द्वारा की गई थी. इस सिलसिले में शुरुआत में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था. बाद में दो पुलिसकर्मियों समेत छह और लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले में पुलिस अन्य आरोपियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है." - गणवीर धम्मशील, उप निदेशक, इंद्रावती बाघ अभयारण्य
सीआरपीएफ अधिकारी पूछताछ हेतू तलब: पूछताछ के दौरान आरोपियों ने जांचकर्ताओं को बताया कि बाघ का शिकार बीजापुर वन प्रभाग के भोपालपटनम क्षेत्र में कांडला (छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर) गांव के पास किया गया था. नैमेड शिविर में तैनात एक सीआरपीएफ अधिकारी ने बाघ की खाल खरीदने के लिए कथित तौर पर पैसे दिए थे. आरोपियों के इस बयान के बाद बीजापुर वन विभाग ने उक्त सीआरपीएफ अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया है. मामले की जांच चल रही है.
बार्डर एरिया के चलते होती है तस्करी: बस्तर संभाग के जंगल के एक बड़े हिस्से में इंद्रावती टाइगर रिजर्व है. जिसकी बड़ी सीमा महाराष्ट्र से लगती है. शिकारियों को इससे शिकार करने और भागने में आसानी होती है. यही वजह है कि बाघों के शिकार की शिकायतें अक्सर सामने आती हैं. कई बार तस्कर पकड़े भी जाते हैं. इन वन अपराधियों का काम ही गैरकानूनी तरीके से वन्यजीवों का शिकार को रोकना है. लेकिन इस बार सीआरपीएफ के एक अफसर का नाम भी शिकारियों से सौदा करने वाले के रूप में जुड़ गया है.