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पिछले चुनाव में मारे गए मतदानकर्मियों के परिवार की बातें आपको रुला देंगी

नीले आसमान में गड़गड़ाता हेलीकॉप्टर पोलिंग पार्टी को सुरक्षित पोलिंग बूथ तक पहुंचा रहा है. हेलीकॉप्टर का शोर बार-बार मेरे दिल को कुरेदता है जहन में हर वक्त यह सवाल गुंजता है कि काश उस वक्त भी ऐसे इंतजाम होते, इतनी ही सजगता होती, ऐसे ही कदम उठाए गए होते तो शायद आज मेरी मांग का सिंदूर सलामत होता,ये बातें आपकी आंखें नम करने के लिए काफी हैं.

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Published : Apr 10, 2019, 1:09 PM IST

Updated : Apr 10, 2019, 2:38 PM IST

दिवंगत मतदानकर्मी का परिवार

बीजापुर: आज से ठीक पांच बरस पहले लोकसभा चुनाव हुए थे और उन्हीं चुनावों में हुआ था कुछ ऐसा जो पुष्पा को जिंदगी भर का गम दे गया. बात 11 अप्रैल 2014 के दिन मतदान संपन्न कराने के बाद मतदान दल वापस लौट रहा था. तभी नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी से भरी बस को विस्फोट कर उड़ा दिया. नक्सल हमले में करीब आधा दर्जन मतदानकर्मी अपना फर्ज निभाते हुए जान गंवा बैठे.
आज भी हरे हैं जख्म
इस घटना में शहादत देने वालों में बीजापुर के तोयनार गांव के एनमैया झाड़ी भी शामिल थे. घटना ने बीजापुर सहित पूरे देश को झकझोरकर रख दिया था. वारदात को हुए को पांच साल बीत गए अगली सरकार चुनने का वक्त आ गया लेकिन तोयनार में रहने वाले लोगों के जख्म अभी भी हरे हैं.
देर से ही सही इंतजाम तो हुए
हालांकि सरकार की ओर से मुआवजा और एमनैया के बड़े बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दी गई. लेकिन अगर नौकरी के नौकरी और जान के बदले कागज के टुकड़ों से जख्म भर जाते तो शायद दुनिया में दुखों का नामोनिशां नहीं होता. चलिए देर से ही सही सिस्टम को समझ तो आई.
मतदानकर्मियों को मिलेगी सुरक्षा
इस बार के सरकारी इंतजाम देखकर हम यह कह सकते हैं इस बार 'लाल आतंक' अपनी कायराना हरकत से किसी बेगुनाह मतदान कर्मी का खून पीने में कामयाब नहीं हो पाएगा.

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बीजापुर: आज से ठीक पांच बरस पहले लोकसभा चुनाव हुए थे और उन्हीं चुनावों में हुआ था कुछ ऐसा जो पुष्पा को जिंदगी भर का गम दे गया. बात 11 अप्रैल 2014 के दिन मतदान संपन्न कराने के बाद मतदान दल वापस लौट रहा था. तभी नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी से भरी बस को विस्फोट कर उड़ा दिया. नक्सल हमले में करीब आधा दर्जन मतदानकर्मी अपना फर्ज निभाते हुए जान गंवा बैठे.
आज भी हरे हैं जख्म
इस घटना में शहादत देने वालों में बीजापुर के तोयनार गांव के एनमैया झाड़ी भी शामिल थे. घटना ने बीजापुर सहित पूरे देश को झकझोरकर रख दिया था. वारदात को हुए को पांच साल बीत गए अगली सरकार चुनने का वक्त आ गया लेकिन तोयनार में रहने वाले लोगों के जख्म अभी भी हरे हैं.
देर से ही सही इंतजाम तो हुए
हालांकि सरकार की ओर से मुआवजा और एमनैया के बड़े बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दी गई. लेकिन अगर नौकरी के नौकरी और जान के बदले कागज के टुकड़ों से जख्म भर जाते तो शायद दुनिया में दुखों का नामोनिशां नहीं होता. चलिए देर से ही सही सिस्टम को समझ तो आई.
मतदानकर्मियों को मिलेगी सुरक्षा
इस बार के सरकारी इंतजाम देखकर हम यह कह सकते हैं इस बार 'लाल आतंक' अपनी कायराना हरकत से किसी बेगुनाह मतदान कर्मी का खून पीने में कामयाब नहीं हो पाएगा.

Intro:बीजापुर:--नीले आसमान पर गडगडाता हेलीकॉप्टर ,मतदान दल को नियत स्थान तक पहुंचा रहा है,हेलीकॉप्टर का यह शोर और मतदान को लेकर तेज हलचल मुझे बारबार यह कहने को मजबूर करती है कि काश उस वक़्त भी हेलीकॉप्टर मिल जाता तो शायद मेरे पति ही नही बल्कि मतदान कर्मियों का वह दल भी आज जीवित होता ।रुंधे कंठ से यह बात तोयनार की श्रीमती पुष्पा झाड़ी ईटीवी के कैमरे पर कह राह थी,डबडबायी अपनी आंखों को साड़ी की पल्लु से पोछती यह महिला,ठीक ठीक पांच साल पहले लोकसभा चुनाव के दरमियान माओवादी हमले में मारे शिक्षक दिवंगत एनमैया झाड़ी की पत्नी है,जिन्हें वर्तमान लोकसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की तैयारियों पर खुशी तो है मगर अफसोस भी है उन्हें सिर्फ और सिर्फ मलाल इस बात का है कि आज मतदान कर्मियों की सुरक्षा को लेकर जिस तरह निर्वाचन आयोग चिंतित है ठीक पांच साल पहले अगर इस बात की फिक्र की गई होती तो वो हादसा नही होता जिसमे कुछ महिलाओं के सुहाग उजड़ गए तो कई मासूमो के सिर से पिता का साया छिन गया।
बात पिछले लोकसभा चुनाव की है जब 11 अप्रैल 2014 को लोकसभा चुनाव के बाद 12 अप्रैल को वापस लौट रहे मतदान कर्मियों से भरे बस को नक्सलियों ने विस्फोट से उड़ा दिया था जिसमे तोयनार निवासी शिक्षक एनमैया झाड़ी समेत आधा दर्जन मतदान कर्मी मारे गए थे,इस घटना ने पूरे बीजापुर को झकजोर कर रख दिया था,घटना को पांच साल बीत गए है पर उस हमले में मारे गए लोगो के जख्म अभी भी हरे है,दिवंगत एनमैया झाड़ी की पत्नी पुष्पा बताती है कि उस दौरान भी अगर चुनाव आयोग इतनी तत्परता दिखाता तो निश्चित ही आज उसके पति जीवित होते,वह यह भी कहती है कि चुनाव नजदीक आते ही वह भय से कांप जाती है।हालांकि इस हमले के बाद सरकार की ओर से अनुकम्पा नियुक्ति के साथ साथ पूरी मदद की गई है पर पति की याद में सारी सुविधाएं किसी काम की नही है। तोयनार गांव में परिजनों ने अपने घर के पास ही दिवंगत शिक्षक को यादों में संजोये रखने के लिए एक आदमकद मूर्ति भी बना रखी है।

बाइट:-पुष्पा झाड़ी दिवंगत शिक्षक की पत्नी


Body:बीजापुर


Conclusion:तोयनार
Last Updated : Apr 10, 2019, 2:38 PM IST
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