बीजापुर : हाथों में किताबें और मन में उज्जवल भविष्य की कामना लिए इन बच्चों को आखिरकार शिक्षा का अधिकार मिल ही गया. 14 साल बाद जब गांव में स्कूल खुला तो इनके चेहरे पर खिली मुस्कान साबित कर रही थी कि वक्त के साथ नक्सलियों के दिए जख्म भर गए हैं और गांव में शिक्षा की अलख जाग गई है.
14 साल पहले बंद हो गए थे स्कूल
हम बात कर रहे हैं बीजापुर के धुर नक्सल प्रभावित गांव पदमुर की, जहां 14 साल पहले 2005 में सलवा जुडूम के दौरान नक्सलियों ने ऐसा उत्पात मचाया कि स्कूल बंद हो गए और बच्चे शिक्षा से दूर..
ग्रामीणों ने भी दिया साथ
गांव दुर्गम है, लिहाजा आज तक यहां सड़क, पानी और बिजली नहीं पहुंची है. गांव नदी के पार था ऐसे में शिक्षा विभाग के लिए गांव में स्कूल खौलना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन अधिकारियों ने हार नहीं मानी.
पहले दिन 52 बच्चे पहुंचे स्कूल
शिक्षा विभाग की इस पहल को ग्रामीणों का भी भरपूर साथ मिला. ग्रामीणों ने मिलकर गांव में झोपड़ी का निर्माण किया, जहां पहली से लेकर पांचवीं तक प्राथमिक स्कूल खोला गया है. स्कूल में पहले ही दिन 52 बच्चों पहुंचना जाहिर कर रहा था कि शिक्षा विभाग की ये नेक पहल सफल हुई है.
काबिल-ए-तारीफ है पहल
प्रदेशभर से सरकारी स्कूलों की बदहाली की तस्वीरें सामने आती रहती हैं, लेकिन बीजापुर के इस नक्सल प्रभावित गांव में 14 साल बाद स्कूल खोलने की शिक्षा विभाग की पहल और ग्रामीणों का जज्बा दोनों ही काबिल-ए-तारीफ है.