बीजापुर: छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल खासतौर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कहीं स्कूल नहीं हैं तो कहीं बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर होते हैं. नदी-नालों को पार करते, टूटे भवनों में पढ़ते बच्चों की तस्वीर से उलट एक सुकून भरी तस्वीर आपको दिखाते हैं.
धुर नक्सल प्रभावित गोरना गांव में 15 साल से बंद पड़े स्कूल को फिर खोला गया है. जिला प्रशासन ने 15 साल से बंद पड़े स्कूल को यहां दोबारा शुरू किया गया है. इस गांव में बिजली, पानी जैसी सुविधाओं का अभाव है. जिला प्रशासन ने गांववालों की मदद से यहां फिर से पढ़ाई शुरू कराई है. इससे पहले सुकमा से ऐसी ही खबर सामने आई थी, वहां 13 साल से बंद पड़े स्कूल को सरकार ने फिर शुरू कराया था.
इस गांव में बारिश के दिनों में पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है. जिसे देखते हुए गांव के ही पढ़े-लिखे युवकों को शिक्षा दूत के नाम पर नियुक्त किया गया है जो बच्चों का शिक्षा देंगे.
प्रशासन की पहल से खुश है ग्रामीण
प्रशासन की इस पहल से नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले ग्रामीण बहुत खुश हैं. क्षेत्रीय विधायक का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में बंद पड़े स्कूल को खोलने का जो वादा किया था, वो पूरा हो रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में 50 से 60 स्कूल जल्द खोले जाएंगे, जो बंद पड़े हैं.