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SPECIAL: 15 साल बाद खुला इस स्कूल का ताला, अब फैलेगा शिक्षा का उजाला

धुर नक्सल प्रभावित गोरना गांव में 15 साल से बंद पड़े स्कूल को फिर खोला गया है. जिला प्रशासन ने 15 साल से बंद पड़े स्कूल को यहां दोबारा शुरू किया है.

बीजापुर में खुला स्कूल
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Published : Nov 12, 2019, 3:20 PM IST

Updated : Nov 12, 2019, 5:33 PM IST

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल खासतौर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कहीं स्कूल नहीं हैं तो कहीं बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर होते हैं. नदी-नालों को पार करते, टूटे भवनों में पढ़ते बच्चों की तस्वीर से उलट एक सुकून भरी तस्वीर आपको दिखाते हैं.

15 साल बाद खुला इस स्कूल का ताला

धुर नक्सल प्रभावित गोरना गांव में 15 साल से बंद पड़े स्कूल को फिर खोला गया है. जिला प्रशासन ने 15 साल से बंद पड़े स्कूल को यहां दोबारा शुरू किया गया है. इस गांव में बिजली, पानी जैसी सुविधाओं का अभाव है. जिला प्रशासन ने गांववालों की मदद से यहां फिर से पढ़ाई शुरू कराई है. इससे पहले सुकमा से ऐसी ही खबर सामने आई थी, वहां 13 साल से बंद पड़े स्कूल को सरकार ने फिर शुरू कराया था.

इस गांव में बारिश के दिनों में पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है. जिसे देखते हुए गांव के ही पढ़े-लिखे युवकों को शिक्षा दूत के नाम पर नियुक्त किया गया है जो बच्चों का शिक्षा देंगे.

प्रशासन की पहल से खुश है ग्रामीण

प्रशासन की इस पहल से नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले ग्रामीण बहुत खुश हैं. क्षेत्रीय विधायक का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में बंद पड़े स्कूल को खोलने का जो वादा किया था, वो पूरा हो रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में 50 से 60 स्कूल जल्द खोले जाएंगे, जो बंद पड़े हैं.

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल खासतौर पर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कहीं स्कूल नहीं हैं तो कहीं बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर होते हैं. नदी-नालों को पार करते, टूटे भवनों में पढ़ते बच्चों की तस्वीर से उलट एक सुकून भरी तस्वीर आपको दिखाते हैं.

15 साल बाद खुला इस स्कूल का ताला

धुर नक्सल प्रभावित गोरना गांव में 15 साल से बंद पड़े स्कूल को फिर खोला गया है. जिला प्रशासन ने 15 साल से बंद पड़े स्कूल को यहां दोबारा शुरू किया गया है. इस गांव में बिजली, पानी जैसी सुविधाओं का अभाव है. जिला प्रशासन ने गांववालों की मदद से यहां फिर से पढ़ाई शुरू कराई है. इससे पहले सुकमा से ऐसी ही खबर सामने आई थी, वहां 13 साल से बंद पड़े स्कूल को सरकार ने फिर शुरू कराया था.

इस गांव में बारिश के दिनों में पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है. जिसे देखते हुए गांव के ही पढ़े-लिखे युवकों को शिक्षा दूत के नाम पर नियुक्त किया गया है जो बच्चों का शिक्षा देंगे.

प्रशासन की पहल से खुश है ग्रामीण

प्रशासन की इस पहल से नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले ग्रामीण बहुत खुश हैं. क्षेत्रीय विधायक का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ में बंद पड़े स्कूल को खोलने का जो वादा किया था, वो पूरा हो रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में 50 से 60 स्कूल जल्द खोले जाएंगे, जो बंद पड़े हैं.

Intro:धूर माओवादी प्रभावित इलाके में वर्षों से बंद पड़ी स्कूल एक बार फिर शुरू हुई और इस गांव में क ख ग घ की आवाज से गांव गुजं उठा। इस गांव में पहुंचने के लिए ना तो सड़क है नहीं बिजली ऐसे गांव में करीब 15 सालों से बंद स्कूल चालू हुआ।


Body:कहते हैं कि शिक्षा के बिना कोई भी मनुष्य प्रकृति नहीं कर सकता है और नहीं भविष्य बन सकता पहली प्राथमिकता शिक्षा है इसलिए शिक्षा विभाग ने इस दिशा पर अहम पहल कर रही है। इस गांव में बारिश के दिनों में गांव तक पहुंच पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है इस सब लिहाजा को देखते हुए उसी गांव के पढ़े-लिखे युवकों को शिक्षा धूत के नाम से रखा गया और वे बच्चों को शिक्षा देंगे।


Conclusion:इस नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले ग्रामीणों में खुशी की लहर है जो खेत और गाय बैल चराने वाली युवकों को अब शिक्षा का स्तर पर जाने का मौका मिल रहा है इसको खुलने से गांव के ग्रामीणों में खुशी देखी जा रही है क्षेत्रीय विधायक का कहना है कि छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार आई है बंद ही स्कूल खुलने का वादा किया था जो हम पूरा कर रहे हैं 50 से 60 स्कूल और जल्दी खोले जाएंगे चुप बंद पड़े हैं स्कूल।

बाईट - शिवा ,ग्रामीण
बाईट - सुरेश,शिक्षा धुत
बाईट - डोनेस, शिक्षा धुत
बाईट - मो.जाकिर खान
बाईट - विक्रम शाह मंडावी,विद्यायक
Last Updated : Nov 12, 2019, 5:33 PM IST
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