बीजापुर: नक्सलियों और जवानों के बीच हुए मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए थे. शहीद जवानों में समैया मड़वी भी शामिल हैं. समैया की दो साल पहले ही शादी हुई थी. शहीद का 10 महीने का एक बेटा है. शहीद के परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है. ETV भारत शहीद समैया के घर पहुंचा. शहीद की पत्नी विश्वास ही नहीं कर पा रही है कि उसका पति अब इस दुनिया में नहीं है. वहीं उसके पिता कहते हैं कि बेटा देश के लिए शहीद हुआ इसका उन्हें गर्व तो है लेकिन पोता और बहु के प्रति चिंता है.
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वीडियो कॉल पर हुई थी अंतिम बार बात
शहीद समैया मड़वी की पत्नी लक्ष्मी पति को याद कर फफक-फफक कर रो पड़ती हैं. वो कहती हैं कि मेरा तो सहारा ही छिन गया. शहीद का एक 10 महीने का बेटा भी है. शहीद समैया ने सर्चिंग ऑपरेशन में जाने से पहले पत्नी को वीडियो कॉल कर आखिरी बार अपने बच्चे को देखा था. उसने 2 घंटे बाद फिर फोन किया लेकिन पत्नी रिसीव नहीं कर सकी थी. लक्ष्मी के मोबाइल में बैलेंस नहीं था, लिहाज़ा वो चाहकर भी फोन नहीं कर पाईं, जिसका उन्हें अब अफसोस है.
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परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
2 साल पहले ही लक्ष्मी की शादी हुई थी. एक बच्चे के आने के बाद खुशियां चहक उठी थीं लेकिन अब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. सारकेगुड़ा में बस्तर बटालियन में पदस्थ शहीद समैया के परिवार में 8 भाई और एक बहन थे. एक भाई पहले ही बीमारी से चल बसा था. पिता को समैया के देश सेवा में शहीद होने पर गर्व है, लेकिन बहू और नाती की चिंता है. शहीद के घर का काम भी अधूरा ही रह गया है. पिता किसी तरह खुद को और परिवार को संभालने की कोशिश कर रहे हैं.
पति की शहादत के बाद अब लक्ष्मी की जिंदगी से ये नई जंग शुरू हो गई है. ETV भारत भी शहीद परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है. साथ ही देश के लिए जीवन कुर्बान करने वाले जवानों को सलाम करता है..