बीजापुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट के इस दौर में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए राज्य सरकार ने पढ़ई तुंहर द्वार योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत बच्चों और शिक्षकों को स्मार्ट फोन के जरिए इंटरनेट से जोड़कर पढ़ाई करने की तैयारी की गई. लेकिन वनांचल क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी नहीं होने से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है. बीजापुर के ग्रामीण अंचलों में ज्यादातर घरों में स्मार्ट फोन नहीं होने से भी बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं.
वनांचल क्षेत्र आज भी टेक्नोलॉजी की दुनिया से वंचित हैं. आज भी ग्रामीण इलाकों में विकास पिछड़ा हुआ है. राज्य सरकार ने भले ही ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एप्लीकेशन तैयार करा दिया हो, लेकिन इस एप्लीकेशन के जरिए ग्रामीण इलाकों के बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे.
साल 2020 के शिक्षा सत्र का बीत चुका है लंबा वक्त
जो गांव शहरों के पास हैं, वहां रहने वाले बच्चे अपने आस-पास के लोगों से मोबाइल फोन मांग कर भी पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि कब तक बीजापुर के वनांचलों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाई से दूर रहना होगा. साल 2020 के शिक्षा सत्र का लंबा समय बीत जाने के बाद भी बच्चों को कोर्स के बारे में भी जानकारी नहीं है. ऐसे में ये बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे और भविष्य में कैसे परीक्षा दे पाएंगे.
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ऑनलाइन क्लास, सुनने में जरूर आधुनिकता का अहसास कराता है लेकिन बीजापुर जैसे जिलों की तस्वीरें कुछ और ही बयां करती हैं. ऐसे में सुविधा से लैस शहरी स्टूडेंट्स और वनांचल में रहने वाले विद्यार्थियों के बीच तकनीकी खाई बढ़ती जा रही है. हालांकि शिक्षा विभाग ने बस्तर संभाग में ऑफलाइन योजना के तहत शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, जहां ब्लूटूथ के जरिए बच्चों को पढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है. बहुत जल्द यह योजना शुरू की जाएगी, जिसकी घोषणा राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. जल्द ही बिना मोबाइल, बिना इंटरनेट के बच्चों को पढ़ाने लिखाने का काम किया जाएगा. इस पर काम किया जा रहा है. सभी विशेषज्ञ इस पर काम कर रहे हैं. इस योजना के तहत ग्रामीण अंचलों और दुर्गम इलाकों में भी बच्चों तक शिक्षा पहुंचाई जा सकेगी.