बीजापुर: बीजापुर: नक्सलियों ने फिर कायराना करतूत को अंजाम दिया है. नक्सलियों ने गंगालूर थाने से दो ग्रामीणों अगवा कर उनकी हत्या कर दी है. गांववालों पर मुखबिरी का आरोप लगाकर नक्सलियों ने उनकी जान ली और शव सड़क पर फेंक दिया. घटना के बाद से इलाके में दहशत है.
गंगालूर थाना क्षेत्र के सन्नू उइका और सुनील बोडडु को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. गुरुवार को दोनों की हत्या कर नक्सलियों ने शव रोड पर फेंक दिया. दोनों युवा कमकानार के रहने वाले हैं. पुलिस लगातार सर्चिंग कर रही है. नक्सली लगातार आमजनों को मौत के घाट उतार रहे हैं. कहीं ग्रामीणों की पुलिस मुखबिरी के नाम पर हत्या तो कहीं रोड बनाने पर ठेकेदारों की हत्या की जा रही है
पीछले 1 महीने में नक्सली वारदात
- पिछले मंगलवार को बासागुड़ा के पास एक निजी वाहन को आईईडी से उड़ा दिया था, जिसमें दो गांववाले घायल हो गए थे. हालांकि दोनों की जान बच गई.
- मंगलवार को ही नक्सलियों ने सरपंच पति की हत्या कर दी. मृतक का नाम संतोष कश्यप है, जो हांदावाड़ा सरपंच का पति है. दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने घटना की पुष्टि की है. मृतक बेड़मा का रहने वाला था.
- नवंबर में धमतरी के रिसगांव क्षेत्र की करही ग्राम पंचायत के सरपंच पति नीरेश कुमार कुंजाम को अगवा कर नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था. नक्सलियों ने पहले मुखबिरी के शक में सरपंच पति का अपहरण किया था. इसके बाद धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी. इस वारदात के बाद इलाके में दशहत का माहौल है.
ग्रामीणों में दहशत फैलाने की कोशिश
पुलिस की लगातार कार्रवाई से बौखलाए नक्सली लोगों में दहशत फैलाने के लिए लगातार किसी न किसी कायराना करतूत को अंजाम देने में लगे हुए हैं. इससे पहले भी नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बासागुड़ा के पास एक निजी वाहन को IED से उड़ा दिया था. जिसमें दो ग्रामीण घायल हुए है. इसके अलावा नक्सलियों ने सीएएफ के पायनियर प्लाटून में पदस्थ जवान की हत्या कर दी थी. जवान की हत्या के बाद से इलाके में दहशत का माहौल है. जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों ने 5 दिन पहले जवान का अपहरण किया था. 5 दिन तक जवान का कुछ पता नहीं चल पाया था. जिसके बाद जवान की हत्या कर शव को गंगालूर-बीजापुर मार्ग पर बीच सड़क पर फेंक दिया.
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5 साल में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की गई जान
पिछले 5 साल में प्रदेशभर में नक्सली हिंसा में 1000 लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 314 आम लोग भी शामिल हैं. इनका नक्सल आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था. वहीं 220 जवान शहीद हुए हैं, साथ ही 466 नक्सली भी मुठभेड़ में मारे गए हैं.