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सफलता की कहानी: स्वरोजगार योजना की मदद से शुरू किया खुद का कारोबार, हो रही बंपर कमाई

शासन की स्वरोजगार योजना से लाभान्वित होकर बीजापुर के एक परिवार ने अपना कारोबार स्थापित कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. दुकान संचालक सुबोध चौधरी बताते हैं कि, इस कारोबार से वे महीने में करीब 2 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं.

self employment scheme
वेल्डिंग वर्कशाॅप
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Published : Jul 16, 2020, 1:25 PM IST

बीजापुर: शासन की स्वरोजगार योजना से लाभान्वित होकर बीजापुर के एक परिवार ने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते एक अच्छा कारोबार स्थापित किया है. बीजापुर नगर की नंदिनी चौधरी और उनके पति सुबोध चौधरी ने एक वेल्डिंग वर्कशाप का कारोबार शुरू किया है. इस काम में बेटा भी उनका हाथ बंटा रहा है. इसके अलावा इस वर्कशॉप ने इलाके के 15 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया है. नंदिनी और उसके पति ने स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शासन की योजना की प्रशंसा की है.

नंदिनी के पति सुबोध चौधरी ने बताया कि साल 2016 में उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी केसी साहा ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उत्पादन क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया था और शासन की ओर दी जाने वाली ऋण-अनुदान योजना के बारे में बताया था. जिसके बाद उन्होंने ये वर्कशॉप शुरू करने की सोची.

10 लाख रुपए के ऋण की स्वीकृति

सुबोध इस सेक्टर में पहले काम कर चुके थे, इसलिए अनुभव को ध्यान रखते हुए इस कार्य के लिए ऋण-अनुदान प्राप्त करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत प्रोजेक्ट तैयार कर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग में जमा किया था, जिसके बाद उन्हें बैंक से 10 लाख रुपए का कर्ज मिला था, जिसमें सरकार की ओर से 3 लाख 50 हजार रुपए का अनुदान उपलब्ध कराया गया.

करोबार में बढ़ोतरी

सुबोध ने बताया कि कर्ज की राशि के साथ ही उन्होंने अपनी खुद के 10 लाख रुपए भी इस कारोबार में लगाए हैं. शरुआत में वो दरवाजे, खिड़की, ग्रिल का काम करते थे, लेकिन सामग्री की गुणवत्ता को देखते हुए ग्राम पंचायतों के साथ सरकारी निर्माण एजेंसीज के ठेकेदारों और निजी लोगों से बड़े पैमाने पर दरवाजे, खिड़की, ग्रिल इत्यादि सामग्रियों की मांग होने लगी.

पढ़ें: राजनीति और सरलता का संगम: जब खुद खेतों में धान का रोपा लगाने लगीं सांसद फूलोदेवी नेताम, देखें तस्वीरें

बढ़ते कारोबार को देखते हुए उन्होंने अपनी दुकान में मशीन और कारीगरों की संख्या में भी बढ़ोतरी की है. वे बताते हैं कि, उनका बड़ा बेटा भी उनके इस काम में उनका हाथ बंटाता है, जिससे दुकान के बेहतर संचालन में मदद मिल रही है. वे बताते है कि शुरू में उनका व्यापार काफी छोटा था, लेकिन अब वे लोहे के दरवाजे, खिड़की, ग्रिल, पाईप के एंगल, सेन्ट्रींग प्लेट सहित एल्यूमिनियम सेक्शन, स्टील के रेलिंग आदि का कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा स्थानीय किसानों ने फेन्सिंग के लिए चैनलिंक फेन्सिंग तार की मांग की है. इसका उत्पादन भी बड़ी मात्रा में शुरू किया गया है.

शासन की योजना की प्रशंसा

सुबोध ने बताया कि, इन सभी कार्यों के जरिए वे हर महीने करीब डेढ़ से दो लाख रुपए कमा रहे हैं. इसके साथ ही लोन की रकम की पूरी अदायगी बैंक को कर दी है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण मार्च में लॉक्डाउन की वजह से काम-धंधा प्रभावित हुआ है, लेकिन अनलॉक के बाद अब कम को फिर से तेजी पकड़ ली है. सुबोध ने स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शासन की योजना की प्रशंसा करते हुए बताया कि वे अपने इस काम से घर-परिवार को पूरी तरह खुशहाली की ओर अग्रसर कर चुके हैं.

बीजापुर: शासन की स्वरोजगार योजना से लाभान्वित होकर बीजापुर के एक परिवार ने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते एक अच्छा कारोबार स्थापित किया है. बीजापुर नगर की नंदिनी चौधरी और उनके पति सुबोध चौधरी ने एक वेल्डिंग वर्कशाप का कारोबार शुरू किया है. इस काम में बेटा भी उनका हाथ बंटा रहा है. इसके अलावा इस वर्कशॉप ने इलाके के 15 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया है. नंदिनी और उसके पति ने स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शासन की योजना की प्रशंसा की है.

नंदिनी के पति सुबोध चौधरी ने बताया कि साल 2016 में उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी केसी साहा ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उत्पादन क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया था और शासन की ओर दी जाने वाली ऋण-अनुदान योजना के बारे में बताया था. जिसके बाद उन्होंने ये वर्कशॉप शुरू करने की सोची.

10 लाख रुपए के ऋण की स्वीकृति

सुबोध इस सेक्टर में पहले काम कर चुके थे, इसलिए अनुभव को ध्यान रखते हुए इस कार्य के लिए ऋण-अनुदान प्राप्त करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत प्रोजेक्ट तैयार कर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग में जमा किया था, जिसके बाद उन्हें बैंक से 10 लाख रुपए का कर्ज मिला था, जिसमें सरकार की ओर से 3 लाख 50 हजार रुपए का अनुदान उपलब्ध कराया गया.

करोबार में बढ़ोतरी

सुबोध ने बताया कि कर्ज की राशि के साथ ही उन्होंने अपनी खुद के 10 लाख रुपए भी इस कारोबार में लगाए हैं. शरुआत में वो दरवाजे, खिड़की, ग्रिल का काम करते थे, लेकिन सामग्री की गुणवत्ता को देखते हुए ग्राम पंचायतों के साथ सरकारी निर्माण एजेंसीज के ठेकेदारों और निजी लोगों से बड़े पैमाने पर दरवाजे, खिड़की, ग्रिल इत्यादि सामग्रियों की मांग होने लगी.

पढ़ें: राजनीति और सरलता का संगम: जब खुद खेतों में धान का रोपा लगाने लगीं सांसद फूलोदेवी नेताम, देखें तस्वीरें

बढ़ते कारोबार को देखते हुए उन्होंने अपनी दुकान में मशीन और कारीगरों की संख्या में भी बढ़ोतरी की है. वे बताते हैं कि, उनका बड़ा बेटा भी उनके इस काम में उनका हाथ बंटाता है, जिससे दुकान के बेहतर संचालन में मदद मिल रही है. वे बताते है कि शुरू में उनका व्यापार काफी छोटा था, लेकिन अब वे लोहे के दरवाजे, खिड़की, ग्रिल, पाईप के एंगल, सेन्ट्रींग प्लेट सहित एल्यूमिनियम सेक्शन, स्टील के रेलिंग आदि का कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा स्थानीय किसानों ने फेन्सिंग के लिए चैनलिंक फेन्सिंग तार की मांग की है. इसका उत्पादन भी बड़ी मात्रा में शुरू किया गया है.

शासन की योजना की प्रशंसा

सुबोध ने बताया कि, इन सभी कार्यों के जरिए वे हर महीने करीब डेढ़ से दो लाख रुपए कमा रहे हैं. इसके साथ ही लोन की रकम की पूरी अदायगी बैंक को कर दी है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण मार्च में लॉक्डाउन की वजह से काम-धंधा प्रभावित हुआ है, लेकिन अनलॉक के बाद अब कम को फिर से तेजी पकड़ ली है. सुबोध ने स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शासन की योजना की प्रशंसा करते हुए बताया कि वे अपने इस काम से घर-परिवार को पूरी तरह खुशहाली की ओर अग्रसर कर चुके हैं.

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