बीजापुर: 5 अप्रैल को जन्मी प्री मैच्योर बेबी की हालत में सुधार होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है. बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है. इस बच्ची ने गर्भधारण के 24 हफ्तों में ही जन्म ले लिया था, जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची को दवाई के बलबूते जीवित रखा था. 2 महीनों तक डॉक्टरों की देखरेख में रहने के बाद बच्ची अब स्वस्थ हो गई है.
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धुर नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 5 अप्रैल को एक प्री मैच्योर बच्ची का जन्म हुआ था. जन्म के समय बच्ची का वजन 500 ग्राम था. बच्ची की हालत देखकर उसे बीजापुर के जिला अस्पताल में 7 अप्रैल को भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर बच्ची की देखभाल कर रहे थे. डॉक्टर विवेक केंद्रर ने बताया कि जब बच्ची को अस्पताल में लाया गया था, तब वह 5.70 ग्राम की थी. जब बच्ची का जन्म हुआ था तब वह 4.10 ग्राम की थी. बच्ची को जन्म से ही सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, उसे ऑक्सीजन के सहारे रखा गया था. डॉक्टरों की देखरेख में बच्ची का वजन बढ़ने लगा, जिसके बाद उसे 26 जून को डिस्चार्ज किया गया.
मां को देखभाल करने की दी गई ट्रेनिंग
2 महीने 18 दिन तक अस्पताल में रखने के बाद बच्ची को 25 जून को डिस्चार्ज किया गया था और एक दिन मां को बच्ची की देखभाल करने की ट्रेनिंग दी गई. बता दें कि राजेश्वरी गोंडे को प्रसव पीड़ा के बाद अप्रैल में हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. गर्भधारण के 24 हफ्तों में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया. जन्म के समय बच्ची का वजन 500 ग्राम के करीब था. जन्म से ही बेबी को सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया जैसी परेशानी थी. प्री मैच्योर बेबी की आंत विकसित नहीं होने के कारण वो मां का दूध भी नहीं पचा पा रही थी, जिसके बाद डॉक्टर्स ने बच्ची को मेडिसिन और मेहनत के बलबूते पर स्वस्थ किया.