बेमेतरा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते संक्रमण के बावजूद जिले के मजदूरों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है. बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. इन दिनों जिले में पलायन को बढ़ावा देने वाले दलाल भी सक्रिय हो गए हैं. जो लगातार मजदूरों को ठेकेदारों के जरिए वाहन से पलायन कराने में सहायक बन रहे हैं. सूत्रों की मानें तो जिले के 50 फीसदी मजदूर फिर से पलायन कर चुके हैं. वहीं 50 फीसदी मजदूर पलायन की तैयारी में हैं.
मार्च में शुरू हुई वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रकोप के बाद हुए लॉकडाउन के बाद दिल्ली, लखनऊ, आगरा, पुणे और मुंबई से मजदूर बड़ी संख्या में पदयात्रा कर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. यात्रा के दौरान कई मजदूरों ने दम तोड़ दिया था. तो कई मजदूर अस्वस्थ हो गए थे. जिसके बाद अब फिर खतरे को जानते हुए भी मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है.
ऑनलाइन पास बना पलायन का जरिया
जिले में पखवाड़े भर पहले ही एक महाराष्ट्र की बस में करीब 50 से 60 मजदूरों को बिना परमिशन के ले जाते पकड़ा गया था. जिसके बाद श्रम विभाग ने फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद सभी को छोड़ दिया था.
25 फीसदी मजदूरों को नहीं मिला रोजगार
पलायन का एक मुख्य कारण बेरोजगारी को माना जा रहा है. जिले में पलायन करके आए 25 फीसदी मजदूरों को भी प्रशासन रोजगार नहीं दे पाया है. जिला पंचायत कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक जिले में लॉकडाउन के दौरान 29 हजार 500 श्रमिक बेमेतरा आए थे. जिनमें से 7 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया था. बाकी मजदूर करीब 4 महीने तक बेरोजगारी झेलने के एक बार फिर से पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं. दूसरे राज्यों के दलाल और ठेकेदार रोज वाहनों में आकर मजदूरों को गांव से ले जा रहे.
बनाए गए जॉब कार्ड: कलेक्टर
मामले पर कलेक्टर शिव अनंत तायल ने बताया कि दूसरे राज्यों से आए मजदूरों को जिले में रोजगार दिए गए हैं. करीब 11 हजार नए जॉब कार्ड बनवाए गए थे. जिसके तहत मजदूरों को रोजगार दिया गया है.