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बेमेतरा: वर्मी कम्पोस्ट खाद ने बदली जिंदगी, महिलाओं को मिला रोजगार

स्वसहायता समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही है. इसके साथ ही ग्रामीणों को खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जिससे फसलों और पौधों को लाभ मिल रहा है.

Women of group manufacturing vermi compost manure
वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रहीं समूह की महिलाएं
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Published : Jun 4, 2020, 11:40 AM IST

बेमेतरा: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन NRLM (बिहान) अन्तर्गत विकासखण्ड साजा के ग्राम पंचायत टिपनी की जय महामाया महिला स्वसहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही है. स्वसहायता समूह की महिलाएं ग्रामीणों को पारंपरिक खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं.

स्वसहायता समूह से जुड़े सदस्यों का मानना है कि वर्मी कम्पोस्ट खाद रासायनिक खाद की अपेक्षा भूमि के लिए ज्यादा उपयोगी है. इससे भूमि को कोई नुकसान नहीं होता है, बल्कि इसके उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, साथ ही फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है.

खाद बनाने का दे रहे प्रशिक्षण

ग्राम टिपनी की महामाया स्वसहायता समूह पिछले 7 महीनों से जैविक खाद बनाने का काम कर रही है. समूह के सदस्य ग्रामीणों को पारंपरिक खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.

Women of group manufacturing vermi compost manure
वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रहीं समूह की महिलाएं

खाद बनाने से समूह को हो रहा फायदा

जिला कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभी तक स्वसहायता समूह ने 14 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर 10 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ग्राम पंचायत के ही किसानों को 14 हजार रुपए में विक्रय किया है. साथ ही 4 ट्रॉली बेस्ट डी कम्पोस्ट खाद (उपचारित गोबर खाद) की खरीदी 2 हजार 500 प्रति ट्राली की दर से 10 हजार रुपये का ग्राम पंचायत टिपनी के ही किसानों ने ही स्व-सहायता समूह से लिये है.

खेतों में प्राकृतिक खाद का छिड़काव

किसानों नेे इन कम्पोस्ट खाद की खरीदी कर अपने खेतों और बाड़ी में किए गए फसल उत्पादन में इस प्राकृतिक खाद का छिड़काव कर रही है. जो बोये गये फसलों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है.

फसलों के लिए लाभदायक खाद

महिला स्व-सहायता समूह इस तरह बना रहे प्राकृतिक खाद. यह जैविक खाद पुरानी प्रचलित प्राकृतिक खाद ही है. इसे तैयार करने में मेहनत तो काफी ज्यादा लगती है, लेकिन खाद बनने के बाद यह फसल और पौधों के लिए काफी लाभदायक होती है.

खाद तैयार करने की विधि

समूह ने कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए 2 टैंक तैयार किया हैं. सबसे पहले बड़ी मात्रा में सूखी पत्तियों को टैंक में डाला जाता है. इन पत्तों को डेढ़ महीने तक सड़ाया जाता है. फिर खाली बेड में नीम के पत्ते और अनाज का भूसा डालकर गोबर का घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है.

इसके बाद निर्धारित मात्रा में केंचुआ खाद डाला जाता है, जो सूखे पत्तों और गोबर के मिश्रण को खाकर उसे 30 से 45 दिन में वर्मी कम्पोस्ट खाद में तब्दील कर देते हैं. एक टैंक से एक बार में 10 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त होती है.

स्व-सहायता समूह को हो रहा फायदा

खाद के निर्माण में प्रति किलोग्राम 4 रुपये का व्यय होता है. जबकि इसकी बिक्री प्रति किलोग्राम 8 से 10 रुपये की दर से होता है. इस तरह समूह को प्रति किलोग्राम बिक्री में 4 से 6 रुपये का लाभ प्राप्त हो रहा है.

पर्यावरण के लिए भी अच्छा

वर्मी कम्पोस्ट निर्माण में समूह के सदस्यों को नियमित आजीविका प्राप्त हो रही है. वर्मी कम्पोस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का आदर्श प्रतिशत मौजूद होता है. भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है, जो की पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.

बेमेतरा: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन NRLM (बिहान) अन्तर्गत विकासखण्ड साजा के ग्राम पंचायत टिपनी की जय महामाया महिला स्वसहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रही है. स्वसहायता समूह की महिलाएं ग्रामीणों को पारंपरिक खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं.

स्वसहायता समूह से जुड़े सदस्यों का मानना है कि वर्मी कम्पोस्ट खाद रासायनिक खाद की अपेक्षा भूमि के लिए ज्यादा उपयोगी है. इससे भूमि को कोई नुकसान नहीं होता है, बल्कि इसके उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, साथ ही फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है.

खाद बनाने का दे रहे प्रशिक्षण

ग्राम टिपनी की महामाया स्वसहायता समूह पिछले 7 महीनों से जैविक खाद बनाने का काम कर रही है. समूह के सदस्य ग्रामीणों को पारंपरिक खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.

Women of group manufacturing vermi compost manure
वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर रहीं समूह की महिलाएं

खाद बनाने से समूह को हो रहा फायदा

जिला कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभी तक स्वसहायता समूह ने 14 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर 10 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ग्राम पंचायत के ही किसानों को 14 हजार रुपए में विक्रय किया है. साथ ही 4 ट्रॉली बेस्ट डी कम्पोस्ट खाद (उपचारित गोबर खाद) की खरीदी 2 हजार 500 प्रति ट्राली की दर से 10 हजार रुपये का ग्राम पंचायत टिपनी के ही किसानों ने ही स्व-सहायता समूह से लिये है.

खेतों में प्राकृतिक खाद का छिड़काव

किसानों नेे इन कम्पोस्ट खाद की खरीदी कर अपने खेतों और बाड़ी में किए गए फसल उत्पादन में इस प्राकृतिक खाद का छिड़काव कर रही है. जो बोये गये फसलों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है.

फसलों के लिए लाभदायक खाद

महिला स्व-सहायता समूह इस तरह बना रहे प्राकृतिक खाद. यह जैविक खाद पुरानी प्रचलित प्राकृतिक खाद ही है. इसे तैयार करने में मेहनत तो काफी ज्यादा लगती है, लेकिन खाद बनने के बाद यह फसल और पौधों के लिए काफी लाभदायक होती है.

खाद तैयार करने की विधि

समूह ने कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए 2 टैंक तैयार किया हैं. सबसे पहले बड़ी मात्रा में सूखी पत्तियों को टैंक में डाला जाता है. इन पत्तों को डेढ़ महीने तक सड़ाया जाता है. फिर खाली बेड में नीम के पत्ते और अनाज का भूसा डालकर गोबर का घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है.

इसके बाद निर्धारित मात्रा में केंचुआ खाद डाला जाता है, जो सूखे पत्तों और गोबर के मिश्रण को खाकर उसे 30 से 45 दिन में वर्मी कम्पोस्ट खाद में तब्दील कर देते हैं. एक टैंक से एक बार में 10 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त होती है.

स्व-सहायता समूह को हो रहा फायदा

खाद के निर्माण में प्रति किलोग्राम 4 रुपये का व्यय होता है. जबकि इसकी बिक्री प्रति किलोग्राम 8 से 10 रुपये की दर से होता है. इस तरह समूह को प्रति किलोग्राम बिक्री में 4 से 6 रुपये का लाभ प्राप्त हो रहा है.

पर्यावरण के लिए भी अच्छा

वर्मी कम्पोस्ट निर्माण में समूह के सदस्यों को नियमित आजीविका प्राप्त हो रही है. वर्मी कम्पोस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का आदर्श प्रतिशत मौजूद होता है. भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है, जो की पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.

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