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बेमेतरा: महिला और बाल विकास विभाग ने रुकवाया बाल-विवाह

बेमेतरा में महिला और बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रुकवाया. विभाग ने दोनों पक्ष के लोगों को समझाइश देते हुए शपथ पत्र भी लिया.

Women and Child Development Department halts child marriage in Bemetara
विभाग ने बाल विवाह होने से रोका
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Published : Nov 29, 2020, 4:28 PM IST

बेमेतरा: देवउठनी एकादशी के बाद अब जिले में विवाह का दौर शुरू हो गया है. इस बीच बेमेतरा में बाल विवाह का मामला सामने आया है. जिले के बेरला ब्लॉक के ग्राम अतरगढ़ी में 19 वर्षीय युवक के साथ 16 वर्षीय बालिका का ब्याह रचाने की तैयारी चल रही थी.जहां महिला और बाल विकास की टीम ने परिजनों को समझाइश देकर शादी रुकवाई.

पढ़ें- रायपुर: 18 जुआरी गिरफ्तार, साढ़े 14 लाख रुपए नकद बरामद

नाबालिग की हो रही शादी की सूचना मुखबिर ने जिला महिला और बाल विकास की टीम को दी. टीम ने गांव के सरपंच के साथ जाकर वर-वधु पक्ष को समझाइश देते हुए शादी रुकवाई. जिसके बाद बारात वापस कराई और लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष होने पर ही विवाह करने की सलाह दी है.

परिजनों से लिया शपथ पत्र

बालिका के परिजनों ने महिला एवम बाल विकास की टीम को बताया कि हमें पता था कि 18 साल से कम आयु की बालिका और 21 वर्ष से कम आयु से बालक का विवाह गैरकानूनी है. अधिकारियों ने परिजनों को समझाइश दी, जिसके बाद परिजनों ने 18 वर्ष पूरा हो जाने के बाद ही विवाह कराने का शपथ पत्र भरवाया.

विवाह प्रतिषेध नियम के बारे में दी जानकारी

महिला एवं बाल विकास की टीम ने परिजनों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिका और 21 वर्ष से कम आयु का बालक का विवाह करना या करवाना अपराध है. जो भी व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है,तो उसे भी 2 वर्ष तक कठोर कारावास और 1 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है.

बेमेतरा: देवउठनी एकादशी के बाद अब जिले में विवाह का दौर शुरू हो गया है. इस बीच बेमेतरा में बाल विवाह का मामला सामने आया है. जिले के बेरला ब्लॉक के ग्राम अतरगढ़ी में 19 वर्षीय युवक के साथ 16 वर्षीय बालिका का ब्याह रचाने की तैयारी चल रही थी.जहां महिला और बाल विकास की टीम ने परिजनों को समझाइश देकर शादी रुकवाई.

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नाबालिग की हो रही शादी की सूचना मुखबिर ने जिला महिला और बाल विकास की टीम को दी. टीम ने गांव के सरपंच के साथ जाकर वर-वधु पक्ष को समझाइश देते हुए शादी रुकवाई. जिसके बाद बारात वापस कराई और लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की उम्र 21 वर्ष होने पर ही विवाह करने की सलाह दी है.

परिजनों से लिया शपथ पत्र

बालिका के परिजनों ने महिला एवम बाल विकास की टीम को बताया कि हमें पता था कि 18 साल से कम आयु की बालिका और 21 वर्ष से कम आयु से बालक का विवाह गैरकानूनी है. अधिकारियों ने परिजनों को समझाइश दी, जिसके बाद परिजनों ने 18 वर्ष पूरा हो जाने के बाद ही विवाह कराने का शपथ पत्र भरवाया.

विवाह प्रतिषेध नियम के बारे में दी जानकारी

महिला एवं बाल विकास की टीम ने परिजनों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिका और 21 वर्ष से कम आयु का बालक का विवाह करना या करवाना अपराध है. जो भी व्यक्ति ऐसा करता या कराता है या विवाह में सहयोग प्रदान करता है,तो उसे भी 2 वर्ष तक कठोर कारावास और 1 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है.

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