बेमेतरा : बेमेतरा जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर नवागढ़ मार्ग पर पडकीडीह के पास मरका गांव स्थित है. यहां स्वयंभू शिव शंकर का दिव्य दरबार है. माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन होता है. जिसमें देशभर से संत महात्मा और श्रद्धालु मरका धाम आते हैं.भगवान स्वयंभू का दरबार होने के कारण इस गांव को शंभूपुरी मरकाधाम के नाम से जाना जाता है. स्वयंभू शिव के आकार में हो रही लगातार वृद्धि लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है.
शिवतीर्थ में श्रद्धालुओं की आस्था : शंभुपुरी मरका में पश्चिम से पूर्व की ओर बह रही हाफ नदी और उत्तर की ओर बह रही तुरतुरिया नाला के संगम तट पर स्वयंभू शिवलिंग की सिद्धि है. लोगों का मानना है कि इसके आकार में लगातार हो रही वृद्धि भक्तों को संबल प्रदान कर रहा है. तुरतुरिया नाले में बना प्राकृतिक कुंड देवों के देव महादेव को प्रिय बेलपत्र का बगीचा शिवतीर्थ होने का जीता जागता प्रमाण है. अब वर्तमान में इस तीर्थ में 1 दर्जन से अधिक मंदिर हो गए हैं.
साल में दो बार लगता है मेला : शम्भुपूरी सत्संग समिति मरका बगीचा में बीते 67 वर्षों से माघ पूर्णिमा को श्रीमद् भागवत कथा और मेले का आयोजन करती है. प्रदेश भर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में हाफ नदी और तुरतुरिया नाला के संगम तट पर बने कुंड पर माघ के पूर्णिमा को स्नान करते हैं. इस धाम की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल रही है. इसके कारण अब भोलेनाथ के उपासक और श्रद्धालु प्रदेशभर से पहुंचते हैं. माघ पूर्णिमा, महाशिवरात्रि को यहां विशेष मेला आयोजन किया जाता है. जिसका क्षेत्रवासियों को वर्षों से इंतजार रहता है.
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एक ही प्रांगण में कई मंदिर मौजूद : मरका धाम में शिव मंदिर के अलावा राधा कृष्ण मंदिर, राम जानकी मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, हनुमान मंदिर और सतनाम धर्म का प्रतीक जैतखाम स्थापित है. मरका क्षेत्र की जनता की आस्था का हृदय स्थल है.वहीं तुरतुरिया नाले और हाफ नदी का संगम तट ,प्राकृतिक कुंड,और स्वम्भू शिव के आकार में हो रही वृद्धि श्रद्धालुओं को संबल प्रदान करते हैं.वहीं मंदिर के आसपास भोलेनाथ को अतिप्रिय बेलपत्रों से आच्छादित बगीचा है जो शिवधाम होने का प्रतीक माना जाता है.