बेमेतरा: जिले के साजा ब्लॉक की महिला ने मशरूम का व्यवसाय शुरू किया है. ये पोषण आहार तो है ही, इससे बीमारियों के लड़ने की क्षमता बढ़ाती है. उनकी इस शुरुआत से कई लोगों को
साजा ब्लॉक के ग्राम पंचायत करमू के सहायक ग्राम तोरण निवासी संगीता पटेल ने मशरूम का व्यवसाय शुरू किया है. मशरूम की खेती सिर्फ 60 दिनों में हो जाती है. ये लगभग 700 रुपए प्रति किलोग्राम बिकती है. संगीता पटेल ने ETV भारत को बताया कि मशरूम की खेती या मशरुम फार्मिंग करने के लिए विभिन्न जानकारियां होना जरूरी हैं. जैसे- मशरूम कैसे उगाये जाते हैं, कब उगाये जाते हैं, मशरूम के लिए कम्पोस्ट कैसे तैयार की जाती है. वे कहती हैं कि ये जानकारी बहुत जरूरी है कि मशरूम उगाने के लिए कैसे वातावरण और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है. जिसे इसके बारे में पता है, वो मशरूम फार्मिंग का बिजनेस स्टार्ट कर सकता है
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ग्रामीण क्षेत्रों में भी हो सकती है मशरूम फार्मिंग
संगीता बताती हैं, जैसा कि किसी भी फसल के उत्पादन करने के लिए होता है, वैसे ही मशरूम फार्मिंग में भी मेहनत लगती है. खेती में शारीरिक मेहनत अधिक होती है, लेकिन मशरूम खेती से जुड़ा हुआ बिजनेस है, इसलिए ग्रामीण इलाकों में भी यह बिजनेस आराम से हो सकता है. इस विधि में मशरूम उत्पादन करने के लिए सबसे पहले कुछ रसायनों की मदद से गेंहू के भूसे से जीवाणु इत्यादि को नष्ट किया जाता है, जिससे उस भूसे में आसानी से मशरूम उगाई जा सके.