बेमेतरा: नवरात्र पर जिन मंदिरों में माता की एक झलक पाने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता था, वे चौखट अब सूने पड़े हुए हैं. अंचल के देवी मंदिरों में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर दर्शनार्थियों की संख्या कम है. मंदिर के मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया है, जिससे भक्त दूर से ही देवी के दर्शन कर रहे हैं. ज्योति दर्शन और प्रसाद से भी भक्तों को वंचित होना पड़ रहा है.
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प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से एक बेमेतरा के श्रीसिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया धाम बुचीपुर में चैत्र और शारदीय नवरात्र के पर्व पर हर साल मेला लगा करता था. इस साल कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मेले का आयोजन नहीं किया गया है. मंदिर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया गया है, जिससे भक्त दूर से ही माता के दर्शन प्राप्त कर रहे हैं. मनोकामना ज्योत तो जलाई गई है, लेकिन श्रद्धालुओं को दर्शन नहीं मिल पा रहा हैं.
बगैर मास्क नो एंट्री
भक्तों को बगैर मास्क लगाए मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. प्रवेश मिलते ही सैनिटाइजर दिया जा रहा है. मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर क्रमबद्ध तरीके से प्रवेश दिया जा रहा है.
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18वीं सदी का है मंदिर
श्रीसिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया धाम बुचीपुर का इतिहास 18वीं सदी पुराना है. ये मंदिर करीब 170 साल पुराना है. लोककथाओं के मुताबिक, गांव के मालगुजार ओंकारपुरी गोस्वामी के मुक्तियार ठाकुर राम वर्मा को मां महामाया देवी स्वप्न में दिखीं और उन्हें अपना स्थान बताकर ग्राम बुचीपुर में मंदिर निर्माण कराने की बात कही. मुक्तियार ठाकुर राम ने अपने सपने की बात मालगुजार ओंकारपुरी को बताई, जिसके बाद उन दोनों को नवागढ़ के तालाब से स्वप्न में बताए गए स्थान से देवी मां महामाया की प्रतिमा मिली. इस प्रतिमा को लाकर बुचीपुर में हवेली के सामने प्राण-प्रतिष्ठित किया गया. मूर्ति स्थापना के बाद वर्मा दंपति को वैराग्य हो गया और वे नित्य सेवा भाव में लीन रहने लगे.
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संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
मां महामाया धाम में भक्त संतान प्राप्ति की मांग लिए दूर-दूर से आते हैं. ऐसी मान्यता है कि बुचीपुर गांव के पास ग्राम कटई में हैजा महामारी का प्रकोप आया था, जिसकी चपेट में एक असहाय वृद्धा का इकलौता पुत्र भी आ गया. प्रर्थना करने पर माता मां महामाया देवी ने उसके बेटे की जान बचाई और वृद्धा को मनोवांछित फल की प्राप्ति हुई.
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प्रदेशभर से आते हैं श्रद्धालु
मां महामाया धाम बुचीपुर में श्रद्धालु पूरे प्रदेशभर से आते हैं. मंदिर बंद होने की वजह से भक्तों को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में श्रद्धालु मुख्य द्वार पर ही पूजा-अर्चना कर वापस लौट रहे हैं. इस पर मंदिर प्रशासन का कहना है कि कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए प्रशासन के सख्त निर्देशों का पालन किया जा रहा है. यही कारण है कि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं और दूर से ही दर्शन करने की व्यवस्था की गई है.
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