बेमेतरा: बेमेतरा जिला का साजा विधानसभा सीट प्रदेश के हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. विधानसभा चुनाव में यहां से 7 बार के विधायक और मंत्री रहे रविन्द्र चौबे को ईश्वर साहू ने पटखनी दी है. साजा से पहली बार चुनाव लड़े ईश्वर साहू ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की. गुरुवार को ईश्वर साहू पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे. यहां सबसे पहले उन्होंने विधानसभा की चौखट पर माथा टेककर प्रणाम किया. इसके बाद साहू ने विधानसभा के अधिकारियों को अपना दस्तावेज सौंपा
ईश्वर साहू ने विधानसभा की चौखट पर टेका मत्था: दरअसल 3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती हुई. इसके बाद साजा से मजदूर ईश्वर साहू ने जीत दर्ज की. वो विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित चेहरा रहे. ईश्वर साहू नागपुर की सब्जी मंडी में 25 साल तक मजदूरी की. उसके बाद वह साजा आ गए. वह यहां रह रहे थे. लेकिन अप्रैल 2023 में बिरनपुर हिंसा में उनके बेटे भुवनेश्वर साहू की मौत हो गई. वह बेटे के इंसाफ के लिए घूमे. ईश्वर साहू का दावा है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला. इस बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ईश्वर साहू को साजा से टिकट दे दिया. उसके बाद उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज की. उन्होंने कद्दावर कांग्रेस नेता रविन्द्र चौबे को करारी शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचे हैं. जब वे बुधवार को अपने समर्थकों के साथ छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे, तो विधानसभा की चौखट पर उन्होंने मत्था टेका. इसके बाद वो विधानसभा पहुंचे और अपना दस्तावेज जमा कर अपनी सदस्यता की औपचारिकता पूरी की.
जानिए कौन हैं ईश्वर साहू: कुछ माह पहले बिरनपुर में हिंसा हुई थी. इस हिंसा में भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी. ईश्वर साहू भुनेश्वर साहू के पिता है. बीजेपी ने ईश्वर साहू को साजा विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया था. ईश्वर साहू ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से वोट के साथ भुनेश्वर साहू की हत्या को लेकर न्याय की अपील की थी. लोगो ने उन्हें वोट देकर जीत दिलाई है.
रविन्द्र चौबे की एक गलती पड़ी उन पर भारी: जब बिरनपुर में हिसा हुई थी और भुनेश्वर साहू की हत्या हुई थी. तब वहां के विधायक रविन्द्र चौबे मौके पर नहीं पहुंचे थे. ये चौबे की बड़ी गलती थी. शायद यही गलती उनके हार की वजह बन गई और बीजेपी प्रत्याशी और भुनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को जनता ने समर्थन देकर विजयी बनाया है.