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ETV भारत की खबर का असर: बेमेतरा में स्कूल की बदहाली पर खुली शासन की नींद - Bemetara

बेमेतरा के बेसिक स्कूल की बदहाली पर ETV भारत की ख़बर के बाद प्रशासन की नींद टूटी है. स्कूल की मरम्मत के लिए शासन ने 32 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है.

repair school in Bemetara
स्कूल की बदहाली पर टूटी शासन की नींद
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Published : Dec 7, 2019, 4:03 PM IST

Updated : Dec 7, 2019, 4:45 PM IST

बेमेतरा: ETV भारत की ख़बर का बड़ा असर हुआ है. बेमेतरा के पुराने बेसिक स्कूल की बदाहली की ख़बर दिखाए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और स्कूल के मरम्मत और नव निर्माण के लिए 32 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. आपको बता दें कि इस स्कूल का निर्माण साल 1917 में हुआ था. यह बेमेतरा का सबसे पुराना स्कूल है और यहां की शान कहा जाता है. लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और शासन की उपेक्षा से यह स्कूल जर्जर हो गया. स्कूल की छत पर पॉलीथिन लगाई गई है और इस जर्जर हालात में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

स्कूल की बदहाली पर टूटी शासन की नींद

बदलेगी बेसिक स्कूल की सूरत

स्कूल की बदहाली की वजह से यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही थी. वर्ष 1917 में बने बेसिक स्कूल में कुल 8 कक्ष हैं, जिसमें केवल केवल एक ही कक्ष में बच्चों को बैठाया जा सकता है बाकी 7 कक्ष पूरी तरह से जर्जर हैं, जिसके कारण 2 से 5 तक की कक्षाएं एक ही कक्ष में लगाई जाती हैं. जब ETV भारत पर यह ख़बर दिखाई गई तो शासन की नींद टूटी और स्कूल की मरम्मत और नवनिर्माण के लिए 32 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की. जिससे इस स्कूल के कायाकल्प की उम्मीद जगी है. शासन के इस पहल के बाद अब स्कूल की सूरत बदलेगी और यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी.

बेमेतरा: ETV भारत की ख़बर का बड़ा असर हुआ है. बेमेतरा के पुराने बेसिक स्कूल की बदाहली की ख़बर दिखाए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और स्कूल के मरम्मत और नव निर्माण के लिए 32 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. आपको बता दें कि इस स्कूल का निर्माण साल 1917 में हुआ था. यह बेमेतरा का सबसे पुराना स्कूल है और यहां की शान कहा जाता है. लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और शासन की उपेक्षा से यह स्कूल जर्जर हो गया. स्कूल की छत पर पॉलीथिन लगाई गई है और इस जर्जर हालात में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

स्कूल की बदहाली पर टूटी शासन की नींद

बदलेगी बेसिक स्कूल की सूरत

स्कूल की बदहाली की वजह से यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही थी. वर्ष 1917 में बने बेसिक स्कूल में कुल 8 कक्ष हैं, जिसमें केवल केवल एक ही कक्ष में बच्चों को बैठाया जा सकता है बाकी 7 कक्ष पूरी तरह से जर्जर हैं, जिसके कारण 2 से 5 तक की कक्षाएं एक ही कक्ष में लगाई जाती हैं. जब ETV भारत पर यह ख़बर दिखाई गई तो शासन की नींद टूटी और स्कूल की मरम्मत और नवनिर्माण के लिए 32 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की. जिससे इस स्कूल के कायाकल्प की उम्मीद जगी है. शासन के इस पहल के बाद अब स्कूल की सूरत बदलेगी और यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी.

Intro:एंकर- नगर की शान कहे जाने वाले सन 1917 में बने प्राचीन बेसिक स्कूल के जर्जर हालत पर Etv Bharat पर खबर दिखाये जाने के बाद इसके मरम्मत एवं नवनिर्माण के लिए शासन ने 32 लाख 29 हजार की राशि स्वीकृत की हैं।Body:बता दें कि अंग्रेज शासन काल में बने नगर के गौरव पर जाने वाले सबसे प्राचीन बेसिक स्कूल के जर्जर हालात पर प्रमुखता से खबर दिखाई थी जिसके बाद प्रशासन ने शासन से राशि की मांग की थी जिसके परिणामस्वरूप 32 लाख 29 हजार की स्वीकृति मिली है।Conclusion:बता दे कि नगर के सबसे पुराने स्कूल के जर्जर हलात कारण बच्चो का स्कूल से मोहभंग हो रहा था लागतार विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही थी अब कायाकल्प के बाद एक बार फिर स्कूल की रौनक बढ़ेगी।
Last Updated : Dec 7, 2019, 4:45 PM IST
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