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बेमेतरा : राउत नाचा कर मनाया गया गोवर्धन पूजा का पर्व

जिले में धूमधाम के साथ गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया. इस दौरान यादव समाज के लोगों ने राउत नाचा भी किया.

गोवर्धन पूजा
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Published : Oct 28, 2019, 10:21 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 11:29 PM IST

बेमेतरा : पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में गोवर्धन पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया गया. छत्तीसगढ़ी परंपरा में दिवाली के दूसरे दिन ये त्योहार मनाया जाता है, इस दिन रीति-रिवाजों के साथ गाय की पूजा की जाती है. जिले में भी गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया गया, जहां गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई.

गोवर्धन पूजा का पर्व

जिले के गांव में गौठान के पास सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की गई, जहां शाम को यादव समाज के लोगों ने राउत नाचा करते हुए बछिया की पूजा की,जिसके बाद यदुवंशियों ने सामूहिक नृत्य किया.

पढ़ें: जब राउत नाचा पर जमकर थिरके भूपेश, देखते रह गए लोग

प्रदेश में इस दिन सभी गौशालाओं में गोबर से गोवर्धन पहाड़ बनाया जाता है, जिसकी पूजा-अर्चना करने के बाद अन्नकूट की पूजा की जाती है. इस दिन गायों को खिचड़ी खिलाने की परंपरा भी है.

बेमेतरा : पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में गोवर्धन पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया गया. छत्तीसगढ़ी परंपरा में दिवाली के दूसरे दिन ये त्योहार मनाया जाता है, इस दिन रीति-रिवाजों के साथ गाय की पूजा की जाती है. जिले में भी गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया गया, जहां गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई.

गोवर्धन पूजा का पर्व

जिले के गांव में गौठान के पास सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की गई, जहां शाम को यादव समाज के लोगों ने राउत नाचा करते हुए बछिया की पूजा की,जिसके बाद यदुवंशियों ने सामूहिक नृत्य किया.

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प्रदेश में इस दिन सभी गौशालाओं में गोबर से गोवर्धन पहाड़ बनाया जाता है, जिसकी पूजा-अर्चना करने के बाद अन्नकूट की पूजा की जाती है. इस दिन गायों को खिचड़ी खिलाने की परंपरा भी है.

Intro:एंकर-आज जिले अंचल सहित पुरे अंचल में गोवर्धन पूजा की धूम रही और गांव गांव में बड़े धूम धाम से गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया गया एवं गांव के बर्तनों में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा अर्चना की गई जिसे देखने पूरा गांव उमड़ पड़ा।Body:दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट एवम गोवर्धन पूजा की जाती है. यह प्रकृति की पूजा है जिसका आरम्भ श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार, पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुई थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई छतीसगढ़ में यह पर्व दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है एवम गोबर से पहाड़ धारण किये गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है।
विशेष तौर पर छत्तीसगढ़ के गांव में गौठान के पास सामूहिक गोवर्धन मनाया जाता है जहां साय काल की बेला में यादव समाज के लोगों द्वारा राउत नाचा कर बछिया से गोवर्धन को खून पाया जाता है जिसके बाद यदुवंशियों द्वारा वहां सामूहिक नृत्य किया जाता है इसे देखने पूरा गांव उमड़ पड़ता है।Conclusion:गोवर्धन पूजा छत्तीसगढ़ में पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है एवं सभी घर में गौशालाओं में गोवर्धन बनाई जाती है एवं गायों के द्वारा उन्हें खुंदाया जाता है जो शगुन का प्रतीक है एवं उनकी पूजा अर्चना कर अन्नकूट की पूजा की जाती है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है । इस दिन गायो को खिचड़ी खिलाने की परंपरा है।
Last Updated : Oct 28, 2019, 11:29 PM IST
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