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बेमेतरा : धूमधाम से निकली गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा

जिले में धूमधाम से गौरा गौरी का पर्व मनाया गया, नगर भ्रमण करने के बाद मूर्ति का विसर्जन किया गया.

गौरा-गौरी विसर्जन यात्रा
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Published : Nov 9, 2019, 10:11 PM IST

बेमेतरा : जिले में बड़े ही धूमधाम से गौरा गौरी का विसर्जन किया गया. दीपावली के बाद से शुरू इस पर्व को पूरे प्रदेश में मनाया जाता है. तुलसी पूजा के दूसरे दिन गौरा गौरी का विसर्जन किया गया.

गौरा-गौरी विसर्जन यात्रा

सुबह से ही नगर के विभिन्न वार्डो से गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में नगरवासी गड़वा बाजा, बैंड बाजा और डीजे की धुन में नाचते गाते शामिल हुए. दीपावली पर्व से लेकर देवउठनी एकादशी तक क्षेत्र में गौरा गौरी पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में शिव पार्वती के विवाह के लिए बारात निकाली जाती है. गौरा गौरी चौक में विवाह संपन्न कराकर पूजा अर्चना की जाती है, जिसके बाद नगर भ्रमण कराकर विसर्जन यात्रा निकाली जाती है.

मिट्टी से गौरा गौरी की मूर्ति बनाई जाती है, जिसे विवाह की सभी रस्मों के बाद पूजा अर्चना की जाती है और नदी और तालाबों में गौरा गौरी को विसर्जित कर दिया जाता है. इस दौरान सोटा मारने की परंपरा प्रचलित है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं.

बेमेतरा : जिले में बड़े ही धूमधाम से गौरा गौरी का विसर्जन किया गया. दीपावली के बाद से शुरू इस पर्व को पूरे प्रदेश में मनाया जाता है. तुलसी पूजा के दूसरे दिन गौरा गौरी का विसर्जन किया गया.

गौरा-गौरी विसर्जन यात्रा

सुबह से ही नगर के विभिन्न वार्डो से गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में नगरवासी गड़वा बाजा, बैंड बाजा और डीजे की धुन में नाचते गाते शामिल हुए. दीपावली पर्व से लेकर देवउठनी एकादशी तक क्षेत्र में गौरा गौरी पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में शिव पार्वती के विवाह के लिए बारात निकाली जाती है. गौरा गौरी चौक में विवाह संपन्न कराकर पूजा अर्चना की जाती है, जिसके बाद नगर भ्रमण कराकर विसर्जन यात्रा निकाली जाती है.

मिट्टी से गौरा गौरी की मूर्ति बनाई जाती है, जिसे विवाह की सभी रस्मों के बाद पूजा अर्चना की जाती है और नदी और तालाबों में गौरा गौरी को विसर्जित कर दिया जाता है. इस दौरान सोटा मारने की परंपरा प्रचलित है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं.

Intro:एंकर- नगर में आज गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा की धूम रही सुबह से ही नगर के विभिन्न वार्डों से गौरा गौरी की विसर्जन यात्रा निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में नगरवासी बैंड बाजा और डीजे की धुन में नाचते गाते शामिल हुए वहीं गड़वा बाजा में गौरा गौरी गीत और बैगाओं का सोटा चलता है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।Body:बता दें कि दीपावली पर्व से लेकर देवउठनी एकादशी तक क्षेत्र में गौरा गौरी पर्व मनाया जाता है मुख्यतः आदिवासी एवम बैगा समाज द्वारा मनाया जाने वाला यह पर्व शिव पार्वती के विवाह के रूप में मनाई जाती है एवं गौरा गौरी चौक विवाह संपन्न कराकर पूजा अर्चना की जाती है जिसके बाद नगर भ्रमण कराकर विसर्जन यात्रा निकाली जाती है और मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है।Conclusion:बता दे कि शिव है गऊरा - गऊरा है जिसकी बैल सवारी है और पार्वती यानी गऊरी है इनकी सवारी कछुए की होती है ।गौरा गौरी की मूर्तियां बनाने के बाद लकड़ी के पिड़हे पर उन्हें रखकर बड़े सुन्दरता के साथ सजाया जाता है। लकड़ी की एक पिड़हे पर बैल पर गऊरा और दूसरे पिड़हे पर कछुए पर गऊरी रखी जाती है पिड़हे के चारों कोनों में चार खम्बे लगाकर उसमें दिया तेल बत्ती लगाया जाता हैं जो बहुत सुन्दर दृश्य है। गऊरा गऊरी झांकी पूरे गांव में घूमती रहती है। घूमते वक्त दो कुंवारे लड़के या लड़की गऊरा गऊरी के पिड़हे सर पर रखकर चलते हैं और आसपास गऊरा गऊरी गीत आरम्भ हो जाते हैं, नाच-गाना दोनों ही आरम्भ हो जाते हैं जिसके बाद गौरी गौरी का ब्याह रचाया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है दूसरे दिवस नदी तलाबों में विग्रह विसर्जन कर दिया जाता है।
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