बेमेतरा : अन्न दान का महापर्व छेरछेरा धूमधाम story of chherchera mahaparv के साथ मनाया जा रहा है. सुबह से ही बच्चे, युवक और युवतियां हाथों में टोकरी, बोरी लेकर घर-घर जाकर छेरछेरा मांगकर पर्व की परंपरा निभा रहे हैं. वही लोगों ने अपनी नई उपज धान का चावल दान देकर बच्चों को खुश किया. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता chherchera mahaparv celebrated in chhattisgarh है. इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगकर त्यौहार की परंपरा निभाते हैं. लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सुबह से ही बच्चे, युवक और युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी लेकर घर-घर छेरछेरा मांगते chherchera mahaparv 2023 हैं.
क्यों मनाया जाता है छेरछेरा पर्व : गांवों में धान मिंसाई हो जाने के बाद हर घर में धान का भंडार होता है. जिसके कारण लोग छेरछेरा मांगने वालों को नई उपज का दान करते है.सुबह से गांवों में घर-घर में 'छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेरहेरा' की गूंज सुनाई देती है. यह परंपरागत "हाना "(लोकोक्ति) है. जिसे बोलकर दान लिया जाता है. पौष पूर्णिमा के अवसर पर मनाए जाने वाले इस पर्व के लिए लोगों में काफी उत्साहित रहते हैं. गौरतलब है कि इस पर्व में अन्न दान की परंपरा का निर्वहन किया जाता है जो शगुन का प्रतीक है.
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छेरछेरा में लगता है बड़ा मेला : छेरछेरा पूर्णिमा के अवसर पर बेमेतरा जिला में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन की पुरानी परंपरा रही
Chherchha festival in Bemetara है. जिले के नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ढनढनी गांव में जूनी सर्वर स्थान पर श्रीमद् भागवत कथा और मेला का आयोजन होता है. जिसमें क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं वहीं जिले के सतनाम धर्म के धार्मिक स्थल चेटुआपुरी धाम में मेला का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा बेमेतरा जिला के जिया में कबीर पंथ के अनुयायी कबीर सत्संग समारोह का आयोजन करते हैं. आज से गांवों में रामचरितमानस सम्मेलन( अखंड नवधा रामायण) का आयोजन शुरू होता है.