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बेमेतरा: शुरू होकर भी बंद है बस सेवा, कर्मचारियों के न होने से परेशान हैं संचालक

बेमेतरा में बस संचालक यात्री, ड्राइवर-कंडक्टर की मार झेल रहे हैं. इनके नहीं मिलने से बस सेवा बहाल है. चाहते हुए भी बस सर्विस शुरू नहीं हो पा रही है. बस संचालकों का कहना है कि डीजल का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है.

The bus is not runing in bemetara
बसों के पहिये थमें
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Published : Sep 13, 2020, 12:40 PM IST

Updated : Sep 13, 2020, 2:53 PM IST

बेमेतरा: जिले में यात्री बसों के दोबारा शुरू होने के बाद भी बस संचालकों को सवारी नहीं मिलने के कारण बस के पहिए थम गए हैं. बस संचालकों का कहना है कि यात्री नहीं मिल रहे हैं. साथ ही ड्राइवर-कंडक्टर भी नहीं हैं, इस कारण चाहते हुए भी अपनी बस को नहीं चला पा रहे हैं. कुल मिलाकर जिले में अभी भी यात्री बस प्रारंभ होने को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है. कुछ मार्गों में एक-दो बस ही चलाई जा रही है.

शुरू होकर भी बंद है बस सेवा


कई बस मालिक बस शुरू करना चाहते हैं, लेकिन बस स्टैंड में सवारी नहीं मिलने के कारण अपनी बस को नहीं चला पा रहे हैं. यात्री बस लगातार सड़कों पर नहीं चलेंगी, तब तक यात्री बस में सवारी मिलना मुश्किल है. 6 महीने से यात्री बस बंद है और लोगों को अभी भी यात्री बस नियमित चलने की संभावना नजर नहीं आ रही है. बस मालिकों का कहना है कि यात्री बस खाली चलाने पर हर रोज के होने वाले नुकसान की भरपाई उठा पाने में हर वाहन कंपनी के मालिक सक्षम नहीं हैं. बीते 6 महीने से उन्हें कई तरह के टैक्स और खर्च से जूझना पड़ा है.

पढ़ें : मीनपा मुठभेड़:बस्तर आईजी ने किया 23 नक्सलियों के मारे जाने का खुलासा

दुर्ग से मुंगेली तक सेवा दे रही

रायपुर से 4 और दुर्ग से 3 बस बेमेतरा आ रही हैं. दुर्ग से आने वाली बस मुंगेली तक सेवा दे रही हैं. वही रायपुर से आने वाली बस कवर्धा तक सेवा दे रही हैं. बता दें कि बेमेतरा जिले के छोटे बस संचालक आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए बस सेवा शुरू नहीं कर पाए हैं.


'डीजल का नहीं निकल पा रहा खर्चा'
फिलहाल दूसरे जिले से चार गाड़ियां रायपुर से कवर्धा चल रही हैं. दो कंपनी दुर्ग से बेमेतरा तक बस चला रहे हैं. वाहन संचालन करने वालों को लाभ की जगह नुकसान हो रहा है. लोगों का कहना है कि जहां पर 2000 रुपए तक डीजल खर्च हो रहा है, वहीं सवारी से मुश्किल से 400 रुपए ही मिल पा रहे हैं, इसीलिए कुछ छोटी कंपनियां चाहते हुए भी अपनी बस को चलाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं. वहीं बस स्टैंड में यात्री भी नहीं मिल पा रहे हैं.

टैक्स माफ करने की अपील

बस संचालकों ने बताया 1 बस से ड्राइवर कंडक्टर और हेल्पलर तीन परिवार का पेट पलता है. बस का ख़र्चा भी निकालना पड़ता है, जो अभी के हालात में संभव नहीं है. क्यों कि अभी सवारी की कमी है, वहीं सोशल डिस्टेन्स को ध्यान में रखते हुए बस कम सवारी में बस चलाना सम्भव नहीं है. बस संचालकों ने सरकार से 6 महीने की टैक्स राशि मांफ करने की अपील की है.

बेमेतरा: जिले में यात्री बसों के दोबारा शुरू होने के बाद भी बस संचालकों को सवारी नहीं मिलने के कारण बस के पहिए थम गए हैं. बस संचालकों का कहना है कि यात्री नहीं मिल रहे हैं. साथ ही ड्राइवर-कंडक्टर भी नहीं हैं, इस कारण चाहते हुए भी अपनी बस को नहीं चला पा रहे हैं. कुल मिलाकर जिले में अभी भी यात्री बस प्रारंभ होने को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है. कुछ मार्गों में एक-दो बस ही चलाई जा रही है.

शुरू होकर भी बंद है बस सेवा


कई बस मालिक बस शुरू करना चाहते हैं, लेकिन बस स्टैंड में सवारी नहीं मिलने के कारण अपनी बस को नहीं चला पा रहे हैं. यात्री बस लगातार सड़कों पर नहीं चलेंगी, तब तक यात्री बस में सवारी मिलना मुश्किल है. 6 महीने से यात्री बस बंद है और लोगों को अभी भी यात्री बस नियमित चलने की संभावना नजर नहीं आ रही है. बस मालिकों का कहना है कि यात्री बस खाली चलाने पर हर रोज के होने वाले नुकसान की भरपाई उठा पाने में हर वाहन कंपनी के मालिक सक्षम नहीं हैं. बीते 6 महीने से उन्हें कई तरह के टैक्स और खर्च से जूझना पड़ा है.

पढ़ें : मीनपा मुठभेड़:बस्तर आईजी ने किया 23 नक्सलियों के मारे जाने का खुलासा

दुर्ग से मुंगेली तक सेवा दे रही

रायपुर से 4 और दुर्ग से 3 बस बेमेतरा आ रही हैं. दुर्ग से आने वाली बस मुंगेली तक सेवा दे रही हैं. वही रायपुर से आने वाली बस कवर्धा तक सेवा दे रही हैं. बता दें कि बेमेतरा जिले के छोटे बस संचालक आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए बस सेवा शुरू नहीं कर पाए हैं.


'डीजल का नहीं निकल पा रहा खर्चा'
फिलहाल दूसरे जिले से चार गाड़ियां रायपुर से कवर्धा चल रही हैं. दो कंपनी दुर्ग से बेमेतरा तक बस चला रहे हैं. वाहन संचालन करने वालों को लाभ की जगह नुकसान हो रहा है. लोगों का कहना है कि जहां पर 2000 रुपए तक डीजल खर्च हो रहा है, वहीं सवारी से मुश्किल से 400 रुपए ही मिल पा रहे हैं, इसीलिए कुछ छोटी कंपनियां चाहते हुए भी अपनी बस को चलाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं. वहीं बस स्टैंड में यात्री भी नहीं मिल पा रहे हैं.

टैक्स माफ करने की अपील

बस संचालकों ने बताया 1 बस से ड्राइवर कंडक्टर और हेल्पलर तीन परिवार का पेट पलता है. बस का ख़र्चा भी निकालना पड़ता है, जो अभी के हालात में संभव नहीं है. क्यों कि अभी सवारी की कमी है, वहीं सोशल डिस्टेन्स को ध्यान में रखते हुए बस कम सवारी में बस चलाना सम्भव नहीं है. बस संचालकों ने सरकार से 6 महीने की टैक्स राशि मांफ करने की अपील की है.

Last Updated : Sep 13, 2020, 2:53 PM IST
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