बेमेतरा: छत्तीसगढ़ में त्योहारों को अपने परंपरागत तरीके से मनाने का अलग ही रिवाज है. यहां हर त्यौहार एक अलग रंग लेकर आता है. अक्षय तृतीया जिसे छत्तीसगढ़ में अक्ति के नाम से जाना है. इस त्यौहार को छत्तीसगढ़ में अपने अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. इस दिन लोग मंदिर देवालयों और बरगद, पीपल के पेड़ में मिट्टी के नए घड़े (मटका) से जल अर्पित करते हैं.
प्रदेश में अक्षय तृतीया के दिन से शादी-विवाह और शुभ कामों की शुरुआत की जाती है. वहीं अक्षय तृतीया के दिन से ही मिट्टी के घड़े का उपयोग किया जाता है. मिट्टी के नए घड़े से लोग पहले भगवान को जल अर्पित करते हैं. फिर दूसरे कामों के लिए उसका उपयोग करते हैं.
आज भी कायम है परंपरा
लॉकडाउन की वजह से भले ही अक्षय तृतीया के अवसर पर शादी-विवाह नहीं हो रहे हैं, लेकिन लोग परंपरागत रूप से अक्षय तृतीया की सुबह से ही मंदिर देवालयों और बरगद, पीपल, नीम जैसे पेड़ों में जल अर्पण कर पूजा अर्चना करते दिखे.