बेमेतरा : जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर स्थित श्री सिद्ध समी गणेश मंदिर की स्थापना 1300 साल पहले तांत्रिक विद्या से की गई थी. इस सिद्ध मंदिर के अग्रभाग में समी वृक्ष है. धर्म के मर्म को जानने वाले इसे एक दुर्लभ संयोग बताते हैं. गणेश की पूजा के बाद समी पत्र को प्राप्त कर भक्त धन्य हो जाते हैं और यहां पूरे देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर का इतिहास
मंदिर में शिलालेख में उकेरे शब्दों के मुताबिक सन् 704 में नवागढ़ रियासत के राजा नरबर साय ने श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित की थी. मंदिर के अग्रभाग में समी वृक्ष लगा हुआ है. मंदिर परिसर में अष्टकोणीय कुआं, विशालकाय पत्थरों के लेख, पुरातन विद्या और गौरवशाली इतिहास के साक्षी हैं.
गणेश का दुलर्भ संयोग
मंदिर में गणेश के साथ समी वृक्ष का होना दुर्लभ संयोग है. समी वृक्ष को साक्षात शनि का अवतार माना गया है. इसके पूजन-दर्शन व स्पर्श मात्र से विशेष प्रभाव पड़ता है व विकारी तत्वों से मुक्ति मिलती है. नवागढ़ के इस चमत्कारी तीर्थ में कष्टों के निवारण व मंगलकामना के लिए देश के कोने-कोने से सालभर भक्तों के आने का क्रम जारी रहता है.
मंदिर में बढ़ रहे देवगण
मंदिर परिसर के चारों ओर राज्य व देश के सिद्ध गणेश मंदिर की दुर्लभ मूर्तियों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं, जो एक ही जगह संपूर्ण तीर्थ का दर्शन कराती है. सभी ऐतिहासिक महत्व के हैं, जैसे सिद्धी टेक, जिला नागर महाराष्ट्र, गिरिजात्मज पुणे, चिंतामणी पुणे, महागणपति, वरद विनायक, मयूरेश्वर, बल्लालेश्वर, विघ्नेश्वर में स्थापित गणेश के दर्शन नवागढ़ के इस दुर्लभ मंदिर में किए जा सकते हैं.