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Tribals protest against bridge: इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण का विरोध, आदिवासियों ने निकाली रैली - पेसा कानून

छत्तीसगढ़ में सुकमा से सरगुजा तक आदिवासियों ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. पेसा कानून के उल्लंघन और ग्राम सभाओं को नजरअंदाज करने के कारण आदिवासी समुदाय सरकार से नाराज है. उनकी बात नहीं सुनने पर ग्रामीणों ने भूपेश सरकार को चुनाव में खमियाजा भुगतने की चेतावनी भी दी है. इस बार ग्रामीण पुल निर्माण का विरोध कर रहे हैं.

Tribals protest against construction bridg
पुल निर्माण का विरोध
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Published : Jan 15, 2023, 10:45 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

आदिवासियों ने किया पुल निर्माण का विरोध

बीजापुर: ताजा मामला बीजापुर के भैरमगढ़ इलाके का है. जहां इंद्रावती नदी पर पुंडरी ताडबाकरी गांव में एक पुल निर्माण कार्य किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय आदिवासियों का आरोप है कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर ही यह निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया. जब गांववालों ने पिछले साल एक मार्च को इसके विरोध में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया. तब सरकारी बलों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने बैठे आदिवासियों पर 26 मार्च को कथित रूप से लाठीचार्ज कर दिया.

इंद्रावती नदी के किनारे निकाली रैली: इस घटना में कम से कम 50 लोगों के घायल होने की जानकारी ग्रामीणों ने दी है. जबकि इस आंदोलन में शामिल 8 आदिवासियों को जेल में डालने आरोप लगाया गया है. अब दोबारा से इन आदिवासियों ने एकजुटता दिखाई है और 15 जनवरी से इंद्रावती नदी के किनारे रैली निकाली. जिसके अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. यहां करीब 11 ग्राम पंचायतों के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं.

यह भी पढ़ें: paragliding will start soon in kanker: कांकेर के जवान कराएंगे आसमां की सैर, जल्द शुरु होगी पैराग्लाइडिंग

पेसा कानून और ग्राम सभा की अनदेखी का आरोप: उनका कहना है कि, "जब तक सरकार पेसा कानून और ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती, तब तक उनके इलाके में सरकारी निर्माण कार्य का विरोध किया जाएगा. यदि सरकार को आदिवासियों का विकास करना है, तो उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी. ना तो सरकार नियम कानून का पालन कर रही है और ना ही आदिवासियों को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने दे रही."

भूपेश सरकार को चुनाव में खमियाजा भुगतने की दी चेतावनी: मूलवासी बचाओ मंच इंद्रावती क्षेत्र के पदाधिकारियों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि, "यदि सरकार पिछले साल की तरह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास करेगी, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है. आने वाले दिनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में यदि आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता है, तो इसका खामियाजा कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को भुगतना पड़ेगा."


13 जगहों पर जारी है धरना प्रदर्शन: आदिवासियों का दावा है कि बस्तर संभाग में कम से कम 13 जगहों पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है. घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे हुए इलाके में हजारों आदिवासी दिन रात आंदोलन में डटे हुए हैं. इन इलाकों में मीडिया की पहुंच नहीं होने या फिर अनदेखी के चलते खबरें बाहर नहीं आ पा रही है.

आदिवासियों ने किया पुल निर्माण का विरोध

बीजापुर: ताजा मामला बीजापुर के भैरमगढ़ इलाके का है. जहां इंद्रावती नदी पर पुंडरी ताडबाकरी गांव में एक पुल निर्माण कार्य किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय आदिवासियों का आरोप है कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर ही यह निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया. जब गांववालों ने पिछले साल एक मार्च को इसके विरोध में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया. तब सरकारी बलों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने बैठे आदिवासियों पर 26 मार्च को कथित रूप से लाठीचार्ज कर दिया.

इंद्रावती नदी के किनारे निकाली रैली: इस घटना में कम से कम 50 लोगों के घायल होने की जानकारी ग्रामीणों ने दी है. जबकि इस आंदोलन में शामिल 8 आदिवासियों को जेल में डालने आरोप लगाया गया है. अब दोबारा से इन आदिवासियों ने एकजुटता दिखाई है और 15 जनवरी से इंद्रावती नदी के किनारे रैली निकाली. जिसके अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. यहां करीब 11 ग्राम पंचायतों के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं.

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पेसा कानून और ग्राम सभा की अनदेखी का आरोप: उनका कहना है कि, "जब तक सरकार पेसा कानून और ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती, तब तक उनके इलाके में सरकारी निर्माण कार्य का विरोध किया जाएगा. यदि सरकार को आदिवासियों का विकास करना है, तो उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी. ना तो सरकार नियम कानून का पालन कर रही है और ना ही आदिवासियों को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने दे रही."

भूपेश सरकार को चुनाव में खमियाजा भुगतने की दी चेतावनी: मूलवासी बचाओ मंच इंद्रावती क्षेत्र के पदाधिकारियों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि, "यदि सरकार पिछले साल की तरह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास करेगी, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है. आने वाले दिनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में यदि आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता है, तो इसका खामियाजा कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को भुगतना पड़ेगा."


13 जगहों पर जारी है धरना प्रदर्शन: आदिवासियों का दावा है कि बस्तर संभाग में कम से कम 13 जगहों पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है. घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे हुए इलाके में हजारों आदिवासी दिन रात आंदोलन में डटे हुए हैं. इन इलाकों में मीडिया की पहुंच नहीं होने या फिर अनदेखी के चलते खबरें बाहर नहीं आ पा रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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