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बस्तर दशहरा पर्व 2022: विशालकाय रथ निर्माण के लिए ऐसे आती है लकड़ियां

बस्तर दशहरे में दूसरी रस्म डेरी गढ़ई विधि विधान संपन्न होने के बाद मुख्य आकर्षण का केंद्र विशालकाय रथ का निर्माण किया जाता है. रथ निर्माण के लिए जंगल से लकड़ी लाने की प्रक्रिया पूरी की गई. राजस्व विभाग की टीम और ग्रामीणों ने जंगल से रथ के लिए उपयुक्त लकड़ी का चयन किया.

बस्तर दशहरा पर्व
बस्तर दशहरा पर्व
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Published : Sep 14, 2022, 2:37 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई विधि विधान के साथ बीते दिनों संपन्न किया गया था. बस्तर दशहरे में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र विशालकाय रथ का निर्माण करने के लिए जंगल से लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. लगभग 30 फीट ऊंची और 30 टन वजनी विशालकाय रथ बनाने के लिए सरई के बड़े पेड़ों को काटकर चिह्मित जगहों पर जमा किया जाता है. रथ को बनाने के लिए विशेष झाड़उमर गांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण कारीगर रथ का निर्माण करते हैं.

यह भी पढ़ें: दर्री एनीकट बह गया, बदल गई शिवनाथ नदी की दिशा!

ऐसे आती है लकड़ियां: बस्तर जिले के अलग-अलग गांव से सैकड़ों ग्रामीण हर्षोल्लास के साथ एकत्रित होकर दरभा क्षेत्र के घने जंगल में पहुंचे. राजस्व विभाग की टीम और ग्रामीण द्वारा जंगल से उपयुक्त लड़की का चयन किया गया. उसे काटा गया. जिसके बाद दर्जनों ग्रामीण मिलकर विशालकाय लकड़ी को रस्सी की मदद से बांधकर कड़ी मशक्कत के बाद मुख्यमार्ग तक पहुंचाया गया. विशालकाय लकड़ी को ट्रक में डालकर जगदलपुर के सिरहसार भवन के नजदीक पहुंचाया गया.

एक तरफ पूरे भारत देश में दशहरे पर्व के दौरान रावण का पुतला दहन किया जाता है. बस्तर में 8 चक्के वाले विशालकाय रथ में बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में भ्रमण करवाया जाता है. यही रथ दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है. जिसे देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक अलग-अलग स्थानों से बस्तर पहुंचते हैं.

जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की दूसरी रस्म डेरी गढ़ई विधि विधान के साथ बीते दिनों संपन्न किया गया था. बस्तर दशहरे में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र विशालकाय रथ का निर्माण करने के लिए जंगल से लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. लगभग 30 फीट ऊंची और 30 टन वजनी विशालकाय रथ बनाने के लिए सरई के बड़े पेड़ों को काटकर चिह्मित जगहों पर जमा किया जाता है. रथ को बनाने के लिए विशेष झाड़उमर गांव और बेड़ा उमरगांव के ग्रामीण कारीगर रथ का निर्माण करते हैं.

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ऐसे आती है लकड़ियां: बस्तर जिले के अलग-अलग गांव से सैकड़ों ग्रामीण हर्षोल्लास के साथ एकत्रित होकर दरभा क्षेत्र के घने जंगल में पहुंचे. राजस्व विभाग की टीम और ग्रामीण द्वारा जंगल से उपयुक्त लड़की का चयन किया गया. उसे काटा गया. जिसके बाद दर्जनों ग्रामीण मिलकर विशालकाय लकड़ी को रस्सी की मदद से बांधकर कड़ी मशक्कत के बाद मुख्यमार्ग तक पहुंचाया गया. विशालकाय लकड़ी को ट्रक में डालकर जगदलपुर के सिरहसार भवन के नजदीक पहुंचाया गया.

एक तरफ पूरे भारत देश में दशहरे पर्व के दौरान रावण का पुतला दहन किया जाता है. बस्तर में 8 चक्के वाले विशालकाय रथ में बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में भ्रमण करवाया जाता है. यही रथ दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती है. जिसे देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक अलग-अलग स्थानों से बस्तर पहुंचते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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