जगदलपुर: बीते 15 साल से जगदलपुर शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की मांग उठ रही है. जो 2020 में भी पूरी नहीं हो पाई है. आलम यह है कि शहर से निकलने वाला गंदा पानी सीधे बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी और ऐतिहासिक तालाब दलपत सागर में छोड़ा जा रहा है. इसी का नतीजा है कि दलपत सागर अपने अस्तित्व को तेजी से खो रहा है. वहीं इंद्रावती की स्थिति भी दिन पर दिन खराब होती जा रही है.
शहर की बढ़ती आबादी के बावजूद भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर नगर निगम के अधिकारी गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है. शहर के 48 वार्डों से निकलने वाला दूषित पानी और बरसाती पानी को बड़े नालों के माध्यम से बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी और ऐतिहासिक दलपत सागर में छोड़ा जा रहा है. इधर सीवरेज के पानी से भी कोरोना संक्रमण फैलने की पुष्टि होने के बाद भी जगदलपुर नगर निगम बेसुध है.
हालांकि 2 साल पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहर से बाहर बालीकोंटा इलाके में 64 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की घोषणा की और इसका शिलान्यास भी हुआ. लेकिन आज तक सिर्फ 30% ही काम पूरा हो सका है. लिहाजा शहर से निकलने वाला गंदा पानी नदी और दलपत सागर में छोड़ा जा रहा है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है.
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नगर निगम में पिछले 3 कार्यकाल से शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की मांग उठती रही. भाजपा शासनकाल में मंत्री अमर अग्रवाल ने जगदलपुर शहर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की घोषणा की. जिसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चले गई. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही बस्तर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहर के सीरासार भवन में लगभग 64 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की घोषणा की. लेकिन 2 साल में ट्रीटमेंट प्लांट का 30 फीसदी काम ही हो पाया.
लग सकता है 2 साल का समय
नगर निगम के आयुक्त का कहना है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने के दौरान पाइप लाइन के माध्यम से शहर का गंदा पानी और बरसाती पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा और यहां से पानी को साफ कर पेयजल और खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा. लेकिन अब तक शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है. उनका कहना है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूरा बनने में अभी 2 साल का समय और लग सकता है.
मंडरा रहा संक्रमण का खतरा
जानकारों का कहना है कि लंबे समय से बस्तर वासियों की मांग के बावजूद भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू नहीं हो सका है, ना ही इस प्लांट को लेकर कभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई. लिहाजा शहर के ऐतिहासिक तालाब दलपत सागर और इंद्रावती नदी दूषित हो रही है और इस दूषित पानी की वजह से लोगों में बीमारी फैलने के साथ-साथ अब कोरोना संक्रमण का खतरा भी मंडरा रहा है.
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दलपत सागर मंच के संयोजक संजीव शर्मा का कहना है कि वे लंबे समय से दलपत सागर में शहर के गंदे पानी को छोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं. बावजूद इसके निगम प्रशासन अपनी मनमानी में लगा हुआ है और अगर भविष्य में इससे किसी तरह के संक्रमण फैलता है तो इसका जिम्मेदार निगम प्रशासन होगा. वहीं स्थानीय जानकार संजीव पचौरी का कहना है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर निगम प्रशासन बिल्कुल भी गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है.ऐसे में घरों से निकलने वाले गंदे पानी से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.