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SPECIAL: गांव में हॉस्पिटल तक नहीं, पैदल चलकर वोट डालने पहुंचे ग्रामीण दवा खरीद कर ले गए

कुडुमखोदरा धुर नक्सल प्रभावित गांव के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, लेकिन इस इलाके के लोग आज भी विकास से अछूते हैं और नक्सलगढ़ में अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

पैदल चलकर वोट डालने पहुंचे ग्रामीण
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Published : Oct 21, 2019, 11:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव के लिए हुए मतदान में विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. सुबह से ही ग्रामीण मतदाताओं में मतदान के प्रति काफी जागरूकता देखने को मिली और यही वजह रही कि बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता पोलिंग बूथ पहुंचे. खास बात ये रही कि पिछले 2018 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 80% से अधिक मतदान हुआ. कोई नाव से तो कोई पैदल चलकर वोट डालने पहुंचा.

पैदल चलकर वोट डालने पहुंचे ग्रामीण

लोकतंत्र के इस महापर्व में कुछ ऐसे लोग भी शामिल होने पहुंचे जो विकास से अछूते हैं और नक्सलगढ़ में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. चित्रकोट विधानसभा के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां के मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थानांतरित किया गया था. ..कुडुमखोदरा के मतदाता 10 से 12 किलोमीटर पैदल चल कर अपने मताधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र पहुंचे. वोटर्स ने बताया कि गांव में हॉस्पिटल नहीं हैं और उन लोगों ने सुविधाओं का मुंह तक नहीं देखा लेकिन लोकतंत्र के पर्व का हिस्सा बनने वे जरूर पहुंचे. कुछ मतदाता वोट डालने आए, तो साथ में दवाई लेते गए.

नक्सल प्रभावित गांव से वोट डालने आए लोग
कुडुमखोदरा धुर नक्सल प्रभावित गांव है, जिसके चलते मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थापित किया गया था. बीसपुर की दूरी कुडुमखोदरा गांव से 12 किलोमीटर की है और आने जाने के लिए कोई माध्यम भी नहीं है. इसके बावजूद 550 की आबादी वाले गांव के ग्रामीणों का मतप्रतिशत 55% रहा.

  • यहां के ग्रामीण हर चुनाव में इसी उमीद से मतदान करने पहुंचते हैं कि उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए कभी कोई जनप्रतिनिधि कुछ करेगा. पिछले कई चुनाव में ये ग्रामीण 12 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने पहुंच रहे हैं. इस गांव की समस्या जस के तस बनी हुई है.
  • ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में न ही स्वास्थ्य केंद्र है और न ही पेयजल की सुविधा है और न ही सड़क और बिजली है. बावजूद उसके ये मतदान करने पहुंचे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि उनके गांव का विकास होगा.
  • मतदान करने पहुंचे ग्रामीणों में कुछ ऐसे भी ग्रामीण थे जो हाथ में दवाई लिए हुए थे. उनका कहना है कि उनके गांव में अस्पताल नहीं, स्वास्थ्य की भी कोई सुविधा नहीं है.
  • ये मतदान करने आए तो इसी दौरान भी दवाई भी ले लिए. हालांकि अब इस गांव में उतनी नक्सल समस्या नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी लेकिन दहशत आज भी बरकरार है.

जगदलपुर: चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव के लिए हुए मतदान में विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. सुबह से ही ग्रामीण मतदाताओं में मतदान के प्रति काफी जागरूकता देखने को मिली और यही वजह रही कि बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता पोलिंग बूथ पहुंचे. खास बात ये रही कि पिछले 2018 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 80% से अधिक मतदान हुआ. कोई नाव से तो कोई पैदल चलकर वोट डालने पहुंचा.

पैदल चलकर वोट डालने पहुंचे ग्रामीण

लोकतंत्र के इस महापर्व में कुछ ऐसे लोग भी शामिल होने पहुंचे जो विकास से अछूते हैं और नक्सलगढ़ में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. चित्रकोट विधानसभा के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां के मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थानांतरित किया गया था. ..कुडुमखोदरा के मतदाता 10 से 12 किलोमीटर पैदल चल कर अपने मताधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र पहुंचे. वोटर्स ने बताया कि गांव में हॉस्पिटल नहीं हैं और उन लोगों ने सुविधाओं का मुंह तक नहीं देखा लेकिन लोकतंत्र के पर्व का हिस्सा बनने वे जरूर पहुंचे. कुछ मतदाता वोट डालने आए, तो साथ में दवाई लेते गए.

नक्सल प्रभावित गांव से वोट डालने आए लोग
कुडुमखोदरा धुर नक्सल प्रभावित गांव है, जिसके चलते मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थापित किया गया था. बीसपुर की दूरी कुडुमखोदरा गांव से 12 किलोमीटर की है और आने जाने के लिए कोई माध्यम भी नहीं है. इसके बावजूद 550 की आबादी वाले गांव के ग्रामीणों का मतप्रतिशत 55% रहा.

  • यहां के ग्रामीण हर चुनाव में इसी उमीद से मतदान करने पहुंचते हैं कि उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए कभी कोई जनप्रतिनिधि कुछ करेगा. पिछले कई चुनाव में ये ग्रामीण 12 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने पहुंच रहे हैं. इस गांव की समस्या जस के तस बनी हुई है.
  • ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में न ही स्वास्थ्य केंद्र है और न ही पेयजल की सुविधा है और न ही सड़क और बिजली है. बावजूद उसके ये मतदान करने पहुंचे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि उनके गांव का विकास होगा.
  • मतदान करने पहुंचे ग्रामीणों में कुछ ऐसे भी ग्रामीण थे जो हाथ में दवाई लिए हुए थे. उनका कहना है कि उनके गांव में अस्पताल नहीं, स्वास्थ्य की भी कोई सुविधा नहीं है.
  • ये मतदान करने आए तो इसी दौरान भी दवाई भी ले लिए. हालांकि अब इस गांव में उतनी नक्सल समस्या नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी लेकिन दहशत आज भी बरकरार है.
Intro:Note- ख़बर लाइव यू से भेजी गई है। नक्सलगढ़ में मतदान के नाम से।

जगदलपुर । चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव के लिए आज हुए मतदान में विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। सुबह से ही ग्रामीण मतदाताओं में मतदान के प्रति काफी जागरूकता देखने को मिली और यही वजह रही कि बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता मतदान केंद्रों में अपने मत का प्रयोग करने पहुंचे और पिछले 2018 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 80% से अधिक मतदान हुआ। इधर लोकतंत्र के इस महापर्व में कुछ ऐसे लोग भी शामिल होने पहुंचे जो विकास के दावे से काफी अछूते हैं और नक्सल गढ़ में अपना जीवन यापन कर रहे हैं।


Body:चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव के मतदान की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। और हर चुनाव की तरह इस बार भी मतदान प्रतिशत बेहतर रहा, हर चुनाव की तरह इस बार भी ग्रामीण मतदाताओं ने बढ़ चढ़ कर अपनी सहभागिता दिखाई है। चित्रकोट विधानसभा के धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहाँ के मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थानांतरित किया गया था कुडुमखोदरा के मतदाता 10 से 12 किलोमीटर पैदल चल कर अपने मताधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र पहुंचे।




Conclusion:दरअसल कुडुमखोदरा धूर नक्सल प्रभावित गावँ है जिसके चलते मतदान केंद्र को बीसपुर में स्थापित किया गया था। बीसपुर की दूरी कुडुमखोदरा गावँ से 12 किलोमीटर की है और आने जाने के लिए कोई माध्यम भी नही है। इसके बावजूद 550 की आबादी वाले गावँ के ग्रामीणों का मतप्रतिशत 55% रहा। क्योंकि यह ग्रामीण हर चुनाव में इसी उमीद से मतदान करने पहुचते है कि उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए कभी कोई जनप्रतिनिधि कुछ करेगा। लेकिन पिछले कई चुनाव में ये ग्रामीण 12 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने पहुच रहे है । पर इनकी गांव की समस्या जस के तस बनी हुई है ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में नाही स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही पेयजल की सुविधा है और ना ही सड़क और बिजली है बावजूद उसके मतदान करने पहुंचे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि उनके गांव का विकास होगा और जो भी प्रत्याशी चुनाव जीत कर आएगा वे उनके गांव में यह सब सुविधा देगा मतदान करने पहुंचे ग्रामीणों में कुछ ऐसे भी ग्रामीण भेजो हाथ में दवाई लिए हुए थे उनका कहना है कि उनके गांव में अस्पताल नहीं स्वास्थ्य की भी कोई सुविधा नहीं है इसलिए वह मतदान करने आए हुए हैं इसी दौरान भी दवाई भी ले लिए हालांकि अब इस गांव में उतनी नक्सल समस्या नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी लेकिन दहशत आज भी बरकरार है। इधर पर बड़ी बड़ी वाहनों में चलने वाले जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेने अभी तक इनके गाँव नही पहुचे। बावजूद इसके चुनाव के प्रति ग्रामीणों का उत्साह और विश्वास कम नही हुआ है, हर बार की तरह इस बार भी अपने मत का प्रयोग करने 12 किलोमीटर पैदल चल कर ग्रामीण पहुचे और लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में शामिल हुए।

वन टू वन - ग्रामीणों के साथ
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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