जगदलपुर: बोधघाट विद्युत व सिंचाई परियोजना के सर्वे कार्य को रोकने के लिए बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा सहित बीजापुर के 59 गांव के ग्रामीण लामबंद होने लगे हैं. बोधघाट परियोजना संघर्ष समिति की अगुवाई में इन गांव के सरपंचों व ग्रामीणों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर सर्वे का काम रोकने की गुहार लगाई है. संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुकमन कश्यप का कहना है कि 40 साल बाद फिर परियोजना को शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है. 18 पंचायतों के 59 गांव प्रभावित हो रहे हैं. उन गांव की जमीन बेहद उपजाऊ है, समिति के अध्यक्ष ने देवी देवताओं के नाराज होने की बात भी कही है.
'जल, जंगल और जमीन को खतरा'
![memorandum submitted to collector against bodhghat project in jagdalpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-02-bodhghatpariyojnavirodh-avbb-7205404_04112020152500_0411f_1604483700_218.jpg)
सुकमन कश्यप ने कहा कि 40 साल पहले भी 1989 में केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार द्वारा बोधघाट परियोजना शुरू करने की कोशिश की गई थी. लेकिन तब भी ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था और आज जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी है, ऐसे में ग्रामीण नहीं चाहते हैं कि फिर से बोधघाट परियोजना का काम शुरू हो. ग्रामीणों का मानना है कि इस परियोजना के शुरू होने से उनका जल, जंगल, जमीन खत्म हो जाएगी. साथ ही पुरखों के जमीन और घर इस परियोजना में बर्बाद हो जाएंगे.
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बोधघाट परियोजना के विरोध में सौंपा ज्ञापन
![memorandum submitted to collector against bodhghat project in jagdalpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9430269_95_9430269_1604491485772.png)
ग्रामीणों ने बोधघाट परियोजना का पुरजोर विरोध किया है, बोधघाट परियोजना संघर्ष समिति व ग्रामीणों का साथ खुले तौर पर सर्व आदिवासी समाज से जुड़े नेताओं ने भी दिया है. बस्तर कलेक्टर के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के दौरान सर्व आदिवासी समाज के नेता बढ़-चढ़कर भाग लेते नजर आए.
बोधघाट परियोजना को लेकर ग्रामीणों की धरमाबढ़ा गांव में हुई बैठक के खिलाफ प्रशासन ने एक्शन लेते हुए सर्व आदिवासी समाज के चार नेताओं के खिलाफ धारा 144 का उल्लघंन का आरोप लगाते हुए FIR भी दर्ज किया है. सर्व आदिवासी समाज के नेता व चित्रकोट के पूर्व विधायक लच्छू राम कश्यप ने कहा है कि बोधघाट परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध स्वतः है, जबकि प्रशासन इस विरोध को दबाने के लिए FIR दर्ज करने जैसी कार्रवाई कर रहा है, जो गलत है.