बस्तरः बस्तर संभाग को मलेरिया मुक्त (malaria free) बनाने प्रशासन के द्वारा महा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन यह अभियान कारगर साबित होता दिखाई नहीं दे रहा है. तीन चरण के इस अभियान में हर चरण में 1500 से अधिक मलेरिया पॉजिटिव मरीज (malaria positive patients) मिलने की पुष्टि हो रही है. जिसमें बच्चों की सबसे ज्यादा है. लगातार बच्चे इसके चपेट में आ रहे हैं.
22 से 21 दिसंबर तक तीसरे चरण का अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत 13 दिनों में ही डोर-टू-डोर सर्वे व उपचार के दौरान संभाग में लगातार मलेरिया पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. मरीजों में आधे से अधिक संख्या बच्चों की है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 13 दिनों में मलेरिया से पीड़ित मरीज (patients suffering from malaria) की संख्या 2950 है.
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मलेरिया पीड़ित बच्चों की संख्या अधिक
इसमें से 1945 मरीज केवल 0-14 साल के बच्चे हैं. अचानक एक बार फिर से इतनी बड़ी संख्या में मलेरिया पॉजिटिव बच्चों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है. अधिकारियों को उम्मीद थी कि अब तक चलाए गए अभियान के बाद मलेरिया पीड़ित बच्चों की संख्या में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.
देश का वार्षिक परजीवी सूचकांक एपीआई 0.21 है. जबकि संभाग के 16 ब्लॉकों का वार्षिक सूचकांक 10 से अधिक है. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्य में पहली बार मलेरिया परजीवी को समूल नष्ट करने के उद्देश्य से बस्तर संभाग समेत चिन्हित ब्लॉकों में मलेरिया मुक्त अभियान चलाया जा रहा है.
13 दिनों में 30 गर्भवती महिलाएं मलेरिया से पीड़ित
बस्तर संभाग को मलेरिया मुक्त करने के लिए चलाये जा रहे इस अभियान के तीसरे चरण में 13 दिनों में ही 30 गर्भवती महिलाएं भी इस बीमारी से पीड़ित पाई गई हैं. इसमें सबसे अधिक 10 महिलाएं बीजापुर जिले की हैं. इसके बाद 6 महिलाएं दंतेवाड़ा और सुकमा व बस्तर जिले की है.
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मलेरिया से निपटने के लिए विभाग के पास पर्याप्त दवाई होने की बात कह रहा है लेकिन जागरूकता के अभाव और प्रशासन की अनदेखी के चलते लगातार ग्रामीण अंचलों में मलेरिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है.