बस्तर : जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के लगभग 150 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. जिससे ओपीडी से लेकर अन्य जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से प्रभावित हुई है. जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि बाकी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी जूनियर डॉक्टरों का मानदेय बढ़ाया जाए. वे पिछले कई सालों से अस्पताल में सेवा दे रहे हैं. बावजूद इसके उनके मानदेय में वृद्धि नहीं की गई है. पुराने दर पर ही अब तक अपनी सेवा दे रहे हैं. कई बार कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन सौंपने के बाद उनके हित में फैसला नहीं लिया गया है. जिसके चलते अब उन्होंने अनिश्चितकालीन आंदोलन का मन बना लिया है.
कितने डॉक्टर्स हड़ताल पर : हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर पुष्पराज प्रधान और डॉ प्रशांत ने बताया कि ''जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में 150 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर हैं. जो यहां विषम परिस्थिति में भी अपनी सेवा दे रहे हैं. कम संसाधनों के बावजूद भी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन उनके मानदेय वृद्धि को लेकर सरकार बिल्कुल भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी जूनियर डॉक्टरों की मांगों को जायज नहीं बताया है. जिसे लेकर जूनियर डॉक्टरों में काफी आक्रोश भी है.''
सरकार ने नहीं की सुनवाई : जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि '' पिछले कई साल से मानदेय में वृद्धि नहीं किया गया है. अस्पताल के सभी प्रमुख विभाग में जूनियर डॉक्टर प्राथमिकता से अपनी सेवा दे रहे हैं. लेकिन मानदेय बढ़ाने को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हमारा मानदेय अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है. 2 सालों से लगातार इसके लिए सरकार से पत्राचार भी किया जा रहा है. बैठक के माध्यम से वृद्धि के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया है. लेकिन वादों के बावजूद भी उनकी मांगें पूरी नहीं हुई है.''
ये भी पढ़ें- बस्तर की सड़कों पर पुलिस ने क्यों निकाली बाइक रैली
अन्य राज्यों से कम मिल रहा मानदेय : डॉक्टरों का कहना है कि '' छत्तीसगढ़ में पोस्ट पीजी डॉक्टर्स को ना केवल अपनी श्रेणी से कम बल्कि अपने से निचली श्रेणी से भी कम मानदेय दिया जा रहा है. जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. काली पट्टी लगाकर जूनियर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.''
हड़ताल से मरीज परेशान: डॉक्टरों के ड्यूटी पर नहीं होने से अस्पताल के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है. पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में अब जूनियर डॉक्टर के भी हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. हड़ताल को देखते हुए भी अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों के समय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है.