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पुलिसवाले भाई की बातों से हुआ प्रभावित, नक्सली ने किया सरेंडर, फिल्म दीवार जैसी है इनकी कहानी

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Published : Aug 22, 2019, 6:26 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

छत्तीसगढ़ सरकार की पूर्नवास नीति से प्रभावित होकर एक नक्सली दंपति ने सरेंडर किया है. सरेंडर नक्सली पर 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था. आत्मसमर्पित नक्सली सोमारू ने बताया कि उनका भाई बीजापुर जिले के बांगापाल थाने में आरक्षक के पद पर पदस्थ है और 2017 से लेटर के माध्यम से बार-बार सरेंडर करने को कहता रहा था. इ

सरेंडर नक्सली दंपति

जगदलपुर: सरकार की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर गुरुवार को बस्तर पुलिस के सामने पांच-पांच लाख के इनामी नक्सल दंपति ने सरेंडर किया है. सरेंडर नक्सली लंबे समय से नक्सली संगठन में काम कर रहे थे. इन पर ओडिशा पुलिस ने 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था. ये नक्सली छत्तीसगढ़ और ओडिशा में लंबे समय से सक्रिय रहकर कई बड़े वारदातों को अंजाम दे चुके हैं.

नक्सली दंपति ने किया सरेंडर

सरेंडर नक्सली सोमारू नक्सलियों के दलम में एलओएस कमांडर था जबकि उसकी पत्नी मंजु एसओएस की सदस्य रही है. बस्तर पुलिस को सरेंडर नक्सलियों से पूछताछ के दौरान नक्सली संगठन के बारे में जानकारी मिली है. बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि सरेंडर नक्सली सोमारू 7 साल की उम्र से नक्सलियों के संगठन से जुड़ा हुआ था. 2006 से 2014 तक बस्तर में सक्रिय रहने के दौरान नक्सली लीडर राजमन का वह गनमैन रहा. इसके बाद उसे एरिया कमांडर और फिर एलओएस कमांडर बनाया गया.

कई बड़ी वारदातों में थे शामिल
सरेंडर नक्सली दंपति ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहने के दौरान कई बड़ी वारदातों में शामिल रह चुके हैं. बस्तर में नक्सलियों द्वारा किये गए बड़ी वारदातों में भेज्जी, बीजापुर और गंगालुर, नारायणपुर मनकेली ब्लास्ट जैसे कई बड़े वारदातें में शामिल रहा.

वहीं महिला नक्सली मंजु भी 2007 से नक्सलियों के दल में शामिल होकर सुकमा जिले के रानीबोदली में जवानों के कैंप में आगजनी और सीआरपीएफ जवानों को एंबुश मे फंसाकर मुठभेड़ में मार गिराने जैसे वारदात में शामिल रह चुकी है. 2014 में दोनों का ही ओडिशा राज्य में स्थानातंरण कर दिया गया था, जहां दोनों ने नक्सलियों के सामने शादी कर ली.

सरकार की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर किया सरेंडर
आत्मसमर्पित नक्सली सोमारू ने बताया कि उनका भाई बीजापुर जिले के बांगापाल थाने में आरक्षक के पद पर पदस्थ है और 2017 से लेटर के माध्यम से बार-बार सरेंडर करने को कहता रहा था. इसके बाद दोनों ही नक्सलियों ने आईजी के समक्ष सरेंडर कर दिया. सोमारू की पत्नी मंजु ने बताया कि ओडिशा में नक्सल संगठन पहले के मुकाबले काफी कमजोर हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में संगठन के लोग अभी भी सक्रिय है और यह संगठन कमजोर होता नहीं दिखाई दे रहा है.

30 से ज्यादा जवानों को किया शहीद
आईजी ने बताया कि दोनों ही नक्सलियों ने संगठन में रहने के दौरान 30 से ज्यादा जवानों को शहीद किया है. पिछले 5 साल तक ओडिशा इलाके में सक्रिय रहने के बाद दोनों ने छत्तीसगढ सरकार के पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर सरेंडर किया है. फिलहाल पुलिस ने पुर्नवास नीति के तहत नक्सली दंपति को 10-10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने के साथ जल्द ही पुर्नवास नीति का लाभ देने की बात कही है.

जगदलपुर: सरकार की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर गुरुवार को बस्तर पुलिस के सामने पांच-पांच लाख के इनामी नक्सल दंपति ने सरेंडर किया है. सरेंडर नक्सली लंबे समय से नक्सली संगठन में काम कर रहे थे. इन पर ओडिशा पुलिस ने 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था. ये नक्सली छत्तीसगढ़ और ओडिशा में लंबे समय से सक्रिय रहकर कई बड़े वारदातों को अंजाम दे चुके हैं.

नक्सली दंपति ने किया सरेंडर

सरेंडर नक्सली सोमारू नक्सलियों के दलम में एलओएस कमांडर था जबकि उसकी पत्नी मंजु एसओएस की सदस्य रही है. बस्तर पुलिस को सरेंडर नक्सलियों से पूछताछ के दौरान नक्सली संगठन के बारे में जानकारी मिली है. बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि सरेंडर नक्सली सोमारू 7 साल की उम्र से नक्सलियों के संगठन से जुड़ा हुआ था. 2006 से 2014 तक बस्तर में सक्रिय रहने के दौरान नक्सली लीडर राजमन का वह गनमैन रहा. इसके बाद उसे एरिया कमांडर और फिर एलओएस कमांडर बनाया गया.

कई बड़ी वारदातों में थे शामिल
सरेंडर नक्सली दंपति ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहने के दौरान कई बड़ी वारदातों में शामिल रह चुके हैं. बस्तर में नक्सलियों द्वारा किये गए बड़ी वारदातों में भेज्जी, बीजापुर और गंगालुर, नारायणपुर मनकेली ब्लास्ट जैसे कई बड़े वारदातें में शामिल रहा.

वहीं महिला नक्सली मंजु भी 2007 से नक्सलियों के दल में शामिल होकर सुकमा जिले के रानीबोदली में जवानों के कैंप में आगजनी और सीआरपीएफ जवानों को एंबुश मे फंसाकर मुठभेड़ में मार गिराने जैसे वारदात में शामिल रह चुकी है. 2014 में दोनों का ही ओडिशा राज्य में स्थानातंरण कर दिया गया था, जहां दोनों ने नक्सलियों के सामने शादी कर ली.

सरकार की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर किया सरेंडर
आत्मसमर्पित नक्सली सोमारू ने बताया कि उनका भाई बीजापुर जिले के बांगापाल थाने में आरक्षक के पद पर पदस्थ है और 2017 से लेटर के माध्यम से बार-बार सरेंडर करने को कहता रहा था. इसके बाद दोनों ही नक्सलियों ने आईजी के समक्ष सरेंडर कर दिया. सोमारू की पत्नी मंजु ने बताया कि ओडिशा में नक्सल संगठन पहले के मुकाबले काफी कमजोर हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में संगठन के लोग अभी भी सक्रिय है और यह संगठन कमजोर होता नहीं दिखाई दे रहा है.

30 से ज्यादा जवानों को किया शहीद
आईजी ने बताया कि दोनों ही नक्सलियों ने संगठन में रहने के दौरान 30 से ज्यादा जवानों को शहीद किया है. पिछले 5 साल तक ओडिशा इलाके में सक्रिय रहने के बाद दोनों ने छत्तीसगढ सरकार के पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर सरेंडर किया है. फिलहाल पुलिस ने पुर्नवास नीति के तहत नक्सली दंपति को 10-10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने के साथ जल्द ही पुर्नवास नीति का लाभ देने की बात कही है.

Intro:जगदलपुर। सरकार के पुर्नवासनीति से प्रभावित होकर बस्तर पुलिस के समक्ष आज ईनामी नक्सली दंपति ने आत्मसमर्पण किया है, दोनो ही नक्सली काफी लंबे समय से नक्सलियो के संगठन मे शामिल थे, और छत्तीसगढ व उडीसा इलाके मे सक्रिय रहकर कई बडे नक्सली वारदातों को अंजाम दे चुके है, सरेंडर नक्सली सोमारू नक्सलियो के दलम मे एलओएस कमांडर था जबकि उसकी पत्नी मंजु एसओएस की सदस्य रही है। इस नक्सली दंपत्ति पर ओडिसा पुलिस ने 5-5 लाख रू. का ईनाम घोषित कर रखा है। सरेंडर किये इन नक्सलियो से पुछताछ के दौरान बस्तर पुलिस को नक्सली संगठन के बारे मे काफी कुछ जानकारी मिली है।  


Body:बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि सरेंडर नक्सली सोमारू 7 वर्ष की उम्र से नक्सलियो के बाल संघम मे जुडा हुआ था, और2006 से 2014 तक बस्तर मे सक्रिय रहने के दौरान नक्सली लीडर राजमन का गनमैन रहा जिसके बाद उसे एरिया कमांडर और फिर एलओएस कमांडर बनाया गया, बस्तर मे इन नक्सलियो द्वारा किये गये बडी वारदातो मे  भेज्जी मुठभेढं, बीजापुर और गंगालुर, नाराय़णपुर मे हुए बडी नक्सली वारदाते शामिल है, वही महिला नक्सली मंजु भी 2007 से नक्सलियो के दलम मे शामिल होकर सुकमा जिले के रानीबोदली मे जवानो के कैंप मे आगजनी और सीआरपीएफ जवानो को एंबुश मे फंसाकर मुठभेंढ मे मार गिराने जैसे वारदात मे शामिल हो चुकी है।


Conclusion:आईजी ने बताया कि दोनो ही नक्सलियो ने संगठन मे रहने के दौरान 30 से अधिक जवानो को शहीद किया है।  पिछले  5 साल तक ओडीसा इलाके मे सक्रिय रहने के बाद दोनो ने ही छत्तीसगढ सरकार के पुर्नवासनीति से प्रभावित होकर सरेंडर किया, फिलहाल पुलिस ने पुर्नवासनीति के तहत नक्सली दंपत्ति को 10-10 हजार रू. प्रोत्साहन राशि देने के साथ जल्द ही पुर्नवासनीति का लाभ देने की बात कही है।
सरेंडर किये नक्सली दंपत्ति ने बताया कि वे छत्तीसगढ मे सक्रिय रहने के दौरान कई बडी वारदातो मे शामिल रह चुके है, जिसमे सबसे बडी वारदात रानीबोदली आगजनीकाण्ड, भेज्जी मुठभेढ, नारायणपुर मे सीआरपीएफ जवानो पर हमला, मनकेली मे 12 जवानो को ब्लास्ट कर शहीद करने जैसे कई बडी वारदातों मे शामिल रह चुके है,जिसके बाद 2014 मे दोनो को ही ओडीसा राज्य मे स्थानातंरण कर दिया गया , जंहा 2015 मे संगठन के सामने दोनो ने शादी कर ली । सरेंडर नक्सली सोमारू ने बताया कि उनका भाई बीजापुर जिले के बांगापाल थाने मे आरक्षक के पद पर पदस्थ है, और उसने 2017 से लेटर के माध्यम से बार बार सरेंडर करने को कहा  जिसके बाद दोनो ही नक्सलियो ने पुर्नवासनीती से प्रभावित होकर आज बस्तर आईजी के समक्ष सरेंडर किया। सोमारू की पत्नी मंजु ने खुलासा करते हुए बताया कि ओडिसा मे नक्सली संगठन पहले के मुकाबले काफी कमजोर हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ मे संगठन के लोग अभी भी सक्रिय है और यह संगठन कमजोर होता नही दिखायी दे रहा है।  
बाईट1- विवेकानंद सिन्हा, आईजी बस्तर  
बाईट2- सोमारू, सरेंडर नक्सली
बाईट3- मंजु, सरेंडर नक्सली  
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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