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शौचालय का सच: अधिकारी शौचालय नहीं बेवकूफ बना रहे हैं- ग्रामीण

ODF गांव अक्सर सिर्फ कागजों में ही होते हैं, जमीनी हकीकत इन सबसे परे होती है. ग्रामीण आज भी खेत खलिहान में शौच के लिए मजबूर हैं. बस्तर जिले का एरंडवाल पंचायत कागजों में ओडीएफ मुक्त है, लेकिन गांव में शौचालय की तस्वीर कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है.

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ओडीएफ की कहानी
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Published : Sep 13, 2020, 10:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में शौचालय के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार का उजागर हुआ है. बस्तर के अधिकारियों पर शौचालय के नाम पर ग्रामीणों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगा है. कह सकते हैं कि स्वच्छ भारत का सपना बस्तर में सपना ही रह गया है. जबकि ये गांव कागजों में ODF मुक्त बताया जाता है. बस्तर के तोकापाल ब्लॉक के एरंडवाल पंचायत से स्वच्छ भारत की तस्वीरें सामने आई है, जिसमें शौचालय तो है, लेकिन उसमें न ही टॉयलेट सीट है, न ही सेप्टिक टैंक, दरवाजा और छत भी गायब है. इसके बावजूद भी ये गांव ODF मुक्त है.

ओडीएफ गांव में शौचालय का सच

दरअसल, भारत देश को स्वच्छ बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने एक सपना देखा और सपने को साकार करने के लिए एक योजना बनाई गई. इस योजना के तहत देश के सभी घरों में 12 हजार रुपये की लागत से शौचालय बनाने का आदेश दिया गया. साथ ही शौचालय की राशि भी सभी राज्यों को भुगतान की गई. जिसके बाद बस्तर में बिना काम पूरा हुए ही अधिकारियों ने शौचालय निर्माण के लिए आई राशि निकाल ली. गांव ODF हो गया है और शौचालय कागजों में ही सिमट कर रह गया. अधिकारी शौचालय के नाम पर ग्रामीणों को सालों तक बेवकूफ बनाते रहे. मजबूरन ग्रामीण अधर में लटके इस शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं. जहां ग्रामीणों को हर वक्त जंगली जानवर, सांप, बिच्छु का डर सताते रहता है.

शौचालय का काम अधूरा

गांव के एक युवक ने बताया कि सालों से शौचालय का काम अधूरा पड़ा हुआ है, जिम्मेदारों से शौचालय को पूरा करने की बात कहने पर वे गोल-मोल जवाब देते हैं. गांव की ही एक महिला ने बताया कि वे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, जबकि उनके नाम पर जिम्मेदारों ने शौचालय निर्माण के लिए आये पैसे निकाल लिए हैं.

बिना काम, ODF बना गांव

गांव के एक युवक चेतन कश्यप बताते हैं, गांव में शौचालय बनाने का ठेका उन्हें मिला था और जिसके तहत 118 शौचालय का निर्माण किया गया था, जिसका भुगतान आजतक नहीं हुआ है. इसके साथ ही चेतन बताते हैं कि 300 से अधिक शौचालय का निर्माण किया जाना था, लेकिन 118 शौचालय में ही ग्राम पंचायत को ODF घोषित कर दिया गया.

अधिकारिक दौरे के बाद ODF घोषित

इस पूरे मामले में पंचायत के सचिव मसीह दास ने बताया कि 300 से अधिक शौचालय बनाने का निर्देश मिला था. दस्तावेजों में शौचालय पूर्ण रूप से कंप्लीट है. अधिकारियों ने दौरा किया होगा. इसके बाद ही गांव ODF हुआ होगा.

आपको बता दें, छत्तीसगढ़ को स्वच्छता के लिए देश में तीसरा स्थान मिला है. वहीं सर्वे के बाद भारत सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ को ओडीएफ प्लस-प्लस प्रदेश घोषित किया गया. पूरे भारत में छत्तीसगढ़ पहला प्रदेश है, जो ओडीएफ प्लस प्लस घोषित है.

जगदलपुर: बस्तर में शौचालय के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार का उजागर हुआ है. बस्तर के अधिकारियों पर शौचालय के नाम पर ग्रामीणों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगा है. कह सकते हैं कि स्वच्छ भारत का सपना बस्तर में सपना ही रह गया है. जबकि ये गांव कागजों में ODF मुक्त बताया जाता है. बस्तर के तोकापाल ब्लॉक के एरंडवाल पंचायत से स्वच्छ भारत की तस्वीरें सामने आई है, जिसमें शौचालय तो है, लेकिन उसमें न ही टॉयलेट सीट है, न ही सेप्टिक टैंक, दरवाजा और छत भी गायब है. इसके बावजूद भी ये गांव ODF मुक्त है.

ओडीएफ गांव में शौचालय का सच

दरअसल, भारत देश को स्वच्छ बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने एक सपना देखा और सपने को साकार करने के लिए एक योजना बनाई गई. इस योजना के तहत देश के सभी घरों में 12 हजार रुपये की लागत से शौचालय बनाने का आदेश दिया गया. साथ ही शौचालय की राशि भी सभी राज्यों को भुगतान की गई. जिसके बाद बस्तर में बिना काम पूरा हुए ही अधिकारियों ने शौचालय निर्माण के लिए आई राशि निकाल ली. गांव ODF हो गया है और शौचालय कागजों में ही सिमट कर रह गया. अधिकारी शौचालय के नाम पर ग्रामीणों को सालों तक बेवकूफ बनाते रहे. मजबूरन ग्रामीण अधर में लटके इस शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं. जहां ग्रामीणों को हर वक्त जंगली जानवर, सांप, बिच्छु का डर सताते रहता है.

शौचालय का काम अधूरा

गांव के एक युवक ने बताया कि सालों से शौचालय का काम अधूरा पड़ा हुआ है, जिम्मेदारों से शौचालय को पूरा करने की बात कहने पर वे गोल-मोल जवाब देते हैं. गांव की ही एक महिला ने बताया कि वे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, जबकि उनके नाम पर जिम्मेदारों ने शौचालय निर्माण के लिए आये पैसे निकाल लिए हैं.

बिना काम, ODF बना गांव

गांव के एक युवक चेतन कश्यप बताते हैं, गांव में शौचालय बनाने का ठेका उन्हें मिला था और जिसके तहत 118 शौचालय का निर्माण किया गया था, जिसका भुगतान आजतक नहीं हुआ है. इसके साथ ही चेतन बताते हैं कि 300 से अधिक शौचालय का निर्माण किया जाना था, लेकिन 118 शौचालय में ही ग्राम पंचायत को ODF घोषित कर दिया गया.

अधिकारिक दौरे के बाद ODF घोषित

इस पूरे मामले में पंचायत के सचिव मसीह दास ने बताया कि 300 से अधिक शौचालय बनाने का निर्देश मिला था. दस्तावेजों में शौचालय पूर्ण रूप से कंप्लीट है. अधिकारियों ने दौरा किया होगा. इसके बाद ही गांव ODF हुआ होगा.

आपको बता दें, छत्तीसगढ़ को स्वच्छता के लिए देश में तीसरा स्थान मिला है. वहीं सर्वे के बाद भारत सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ को ओडीएफ प्लस-प्लस प्रदेश घोषित किया गया. पूरे भारत में छत्तीसगढ़ पहला प्रदेश है, जो ओडीएफ प्लस प्लस घोषित है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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