जगदलपुरः बस्तर (Bastar) में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था (Health system) होने की वजह से लगातार ग्रामीण अंचल के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा (Better health care) को मोहताज हो रहे हैं. आलम यह है कि विभाग के पास संसाधनों के अभाव में कई ग्रामीण त्वरित इलाज नहीं मिल पाने की वजह से दम तोड़ देते हैं. कई बार बस्तर के अंदरूनी इलाकों से ऐसी तस्वीर निकल कर सामने आई है, जिसमें एंबुलेंस (Ambulances) न होने की वजह से गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को खाट में लिटाकर उप-स्वास्थ्य केंद्र (sub health center) तक पहुंचाया जाता है.
मेंटनेंस के अभाव में वाहन बन रहे कबाड़
एक तरफ जहां स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधन का अभाव है. तो वहीं दूसरी तरफ विभाग के पास जो संसाधन है, वह मेंटेनेंस के अभाव में कबाड़ हो रही है. दरअसल स्वास्थ्य विभाग में 20 से अधिक ऐसे वाहने हैं, जो मेंटेनेंस के अभाव में कबाड़ हो चुकी है. सही रखरखाव और समय पर इसकी मेंटेनेंस न होने की वजह से अब यह वाहने पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो गई है. हालांकि विभाग के अधिकारी इन वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देने की बात कह रहे हैं. वहीं बस्तर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए नये वाहने भी क्रय नहीं किये जा रहे है. जिस वजह से बस्तर में स्वास्थ सुविधा हाशिये पर है.
10 वर्षों से नहीं हुई वाहनों की निलामी
बता दें कि शहर के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में महारानी अस्पताल के परिसर में और जिले के स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों में दर्जनों गाड़ी मेंटेनेंस के अभाव में कंडम पड़ी है. पिछले 10 साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इन वाहनों की ना तो नीलामी की गई है और ना ही इनका मेंटेनेंस. यह वाहनें पूरी तरह से कबाड़ हो चुकी है. कागजी तौर पर विभाग की ओर से इन वाहनों को राइट ऑफ किया जा चुका है. वही, विभाग में किराए के गाड़ी से सरकारी दौरा किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि इन वाहनों के मेंटेनेंस के लिए शासन मदद नहीं भेजती. लेकिन इन वाहनों को ठीक करने के लिए इस मदद का इस्तेमाल नहीं किया जाता. अगर इस्तेमाल भी होता है तो इक्का-दुक्का गाड़ी को ठीक करवाकर बाकी वाहनों को उसी हाल में छोड़ दिया जाता है.
वाहन की किल्लत से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा बेहतर इलाज
वहीं, सबसे बुरा हाल बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का है, जहां स्वास्थ्य विभाग के पास वाहनें नहीं होने की वजह से सही समय पर ग्रामीणों को इलाज नहीं मिल पाता है. खासकर गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के वक्त संसाधन नहीं मिल पाने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शहर के स्वास्थ विभाग के कार्यालयों के साथ-साथ, स्वास्थ्य केंद्रों में भी कई वाहने पूरी तरह से कबाड़ हो चुकी है. लेकिन जिम्मेदार ना तो इसके मेंटेनेंस के लिए जागरूक है और ना ही शासन को इस समस्या से अवगत कराने के लिए, लिहाजा बस्तर में ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के दावे पूरे खोखले साबित हो रहे हैं.
अच्छी गाड़ियों की स्थिति भी बदतर
बता दें कि यह हाल केवल स्वास्थ विभाग का ही नहीं है बल्कि कलेक्ट्रेट और जिला पंचायत में पूर्व में आवंटित वाहनें मिस मेंटेनेंस के कारण कबाड़ में तब्दील हो गई है. रखरखाव के अभाव में अच्छी कंडीशन की गाड़ियां भी धूल खा रही है. शहर के कलेक्ट्रेट परिसर में ऐसी कई वाहने खड़ी है. हालांकि पुलिस विभाग द्वारा 2 साल पहले विभागीय वाहनों समेत जब्त लावारिस वाहनों की बड़ी संख्या में नीलामी की गई थी, लेकिन इसके अलावा अन्य विभागों द्वारा कंडम वाहनों का निपटान नहीं किया जा सका है. जिसके चलते शासन के मद से खरीदी गई लाखों रुपए की वाहनें पूरी तरह से कबाड़ हो चुकी है.