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नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो चुका नक्सली आंदोलन, आतंक के बल पर टिका हुआ है संगठन: बस्तर IG

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने नक्सलियों के खिलाफ एक प्रेस नोट जारी किया था. आईजी ने नक्सलियों के आंदोलन को नेतृत्वविहीन और दिशाहीन बताया है. उन्होंने कहा है कि नक्सलियों की कोई विचारधारा नहीं है, वे सिर्फ आतंक के बल पर टिके हुए हैं.

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Published : Sep 11, 2020, 12:33 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

bastar ig sundarraj p press note
बस्तर आईजी सुंदरराज पी

जगदलपुर: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नक्सलियों के आंदोलन को नेतृत्वविहीन और दिशाहीन बताया है. उनके मुताबिक नक्सल संगठन की कोई विचारधारा नहीं है, वे लोग सिर्फ आतंक के बल पर टिके हुए हैं. शीर्ष नक्सली नेताओं को खुश रखने और टारगेट पूर्ति करने के लिए निचले स्तर की हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.

आईजी सुंदरराज पी ने लिखा है कि क्या सीपीआई नक्सल संगठन के महासचिव बसवराजू और सेन्ट्रल कमेटी इन निर्दोष आदिवासियों की हत्या की जिम्मेदारी लेंगे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद अब तक महिला और नाबालिगों सहित 1 हजार 769 निर्दोष ग्रामीणों को नक्सलियों ने मार डाला है.

20 साल में मारे गए 1 हजार 769 निर्दोष आदिवासी

आईजी सुंदरराज पी ने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि आदिवासियों के हितैषी होने का झूठा प्रचार-प्रसार कर जनता को गुमराह करने वाले नक्सली संगठन की असलियत यह है कि विगत 20 वर्षों में करीब 1 हजार 769 निर्दोष आदिवासियों की पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या कर दी गई. इनमें कई नाबालिग बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांग ग्रामीण भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये कैसा सिद्धांत है कि आदिवासियों के हित की लड़ाई बोलकर निर्दोष आदिवासियों को नक्सली खुद मार रहे हैं.

ग्रामीण कर रहे हैं नक्सलियों का विरोध

नक्सलियों की इस कार्यप्रणाली का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में नक्सल आंदोलन को स्थानीय क्षेत्रीय ग्रामीण स्वेच्छा से समर्थन नहीं दे रहे हैं. भविष्यविहीन नक्सल आंदोलन के प्रति युवाओं का किसी भी तरह का आकर्षण नहीं रहा है.

इस परिस्थिति में सिर्फ अपना वर्चस्व कायम रखने और शीर्ष नेतृत्व को खुश रखने के लिए निचले स्तर के नक्सली कमांडर के टारगेट पूर्ति करना और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर देना, सड़कों और पुल-पुलियों को क्षतिग्रस्त करना, शासकीय भवनों को नुकसान पहुंचाना जैसे नकारात्मक और विनाशकारी कामों को अंजाम दे रहे हैं.

नक्सलियों के लिए जारी किए गए 5 सवाल

  • क्या नक्सलियों के महासचिव और सेन्ट्रल कमेटी के निर्देश पर ही सैकड़ों बेगुनाह आदिवासियों की हत्या की गई.
  • यदि उनके निर्देश पर ही हत्या की गई, तो किसी भी व्यक्ति की जान लेने का उन्हें कहां से अधिकार प्राप्त हुआ?
  • 1 हजार 769 ग्रामीणों की वजह से नक्सली संगठन को क्या क्षति हुई, जिसकी वजह से उन्हें मारा गया, इसका ब्योरा दे सकते हैं क्या?
  • क्या वर्तमान में नक्सलियों के खिलाफ जनता जो अवाज उठा रही है, उसे दबाने के लिए उनकी हत्या की जा रही है?
  • संगठन छोड़कर बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण कर रहे अपने नक्सली साथियों को देख बौखलाहट ही कहीं हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने की बड़ी वजह तो नहीं है?

आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सलियों की सेन्ट्रल कमेटी को इन 5 सवालों के माध्यम से खुली चेतावनी देते हुए बताया गया है कि बस्तर क्षेत्र की सर्वांगिण विकास और शांति स्थापित करने के लिए शासन-प्रशासन और सुरक्षाबल समर्पित होकर काम कर रहे हैं. नक्सली आंदोलन अब ऐसे पड़ाव पर पहुंच चुका है, जहां से उसका खात्मा जल्द ही होगा.

जगदलपुर: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नक्सलियों के आंदोलन को नेतृत्वविहीन और दिशाहीन बताया है. उनके मुताबिक नक्सल संगठन की कोई विचारधारा नहीं है, वे लोग सिर्फ आतंक के बल पर टिके हुए हैं. शीर्ष नक्सली नेताओं को खुश रखने और टारगेट पूर्ति करने के लिए निचले स्तर की हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.

आईजी सुंदरराज पी ने लिखा है कि क्या सीपीआई नक्सल संगठन के महासचिव बसवराजू और सेन्ट्रल कमेटी इन निर्दोष आदिवासियों की हत्या की जिम्मेदारी लेंगे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद अब तक महिला और नाबालिगों सहित 1 हजार 769 निर्दोष ग्रामीणों को नक्सलियों ने मार डाला है.

20 साल में मारे गए 1 हजार 769 निर्दोष आदिवासी

आईजी सुंदरराज पी ने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि आदिवासियों के हितैषी होने का झूठा प्रचार-प्रसार कर जनता को गुमराह करने वाले नक्सली संगठन की असलियत यह है कि विगत 20 वर्षों में करीब 1 हजार 769 निर्दोष आदिवासियों की पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या कर दी गई. इनमें कई नाबालिग बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांग ग्रामीण भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये कैसा सिद्धांत है कि आदिवासियों के हित की लड़ाई बोलकर निर्दोष आदिवासियों को नक्सली खुद मार रहे हैं.

ग्रामीण कर रहे हैं नक्सलियों का विरोध

नक्सलियों की इस कार्यप्रणाली का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में नक्सल आंदोलन को स्थानीय क्षेत्रीय ग्रामीण स्वेच्छा से समर्थन नहीं दे रहे हैं. भविष्यविहीन नक्सल आंदोलन के प्रति युवाओं का किसी भी तरह का आकर्षण नहीं रहा है.

इस परिस्थिति में सिर्फ अपना वर्चस्व कायम रखने और शीर्ष नेतृत्व को खुश रखने के लिए निचले स्तर के नक्सली कमांडर के टारगेट पूर्ति करना और निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर देना, सड़कों और पुल-पुलियों को क्षतिग्रस्त करना, शासकीय भवनों को नुकसान पहुंचाना जैसे नकारात्मक और विनाशकारी कामों को अंजाम दे रहे हैं.

नक्सलियों के लिए जारी किए गए 5 सवाल

  • क्या नक्सलियों के महासचिव और सेन्ट्रल कमेटी के निर्देश पर ही सैकड़ों बेगुनाह आदिवासियों की हत्या की गई.
  • यदि उनके निर्देश पर ही हत्या की गई, तो किसी भी व्यक्ति की जान लेने का उन्हें कहां से अधिकार प्राप्त हुआ?
  • 1 हजार 769 ग्रामीणों की वजह से नक्सली संगठन को क्या क्षति हुई, जिसकी वजह से उन्हें मारा गया, इसका ब्योरा दे सकते हैं क्या?
  • क्या वर्तमान में नक्सलियों के खिलाफ जनता जो अवाज उठा रही है, उसे दबाने के लिए उनकी हत्या की जा रही है?
  • संगठन छोड़कर बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण कर रहे अपने नक्सली साथियों को देख बौखलाहट ही कहीं हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देने की बड़ी वजह तो नहीं है?

आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सलियों की सेन्ट्रल कमेटी को इन 5 सवालों के माध्यम से खुली चेतावनी देते हुए बताया गया है कि बस्तर क्षेत्र की सर्वांगिण विकास और शांति स्थापित करने के लिए शासन-प्रशासन और सुरक्षाबल समर्पित होकर काम कर रहे हैं. नक्सली आंदोलन अब ऐसे पड़ाव पर पहुंच चुका है, जहां से उसका खात्मा जल्द ही होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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