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बलौदाबाजार: 'जान आफत में डाल करते हैं नदी पार, गुहार सुन लो सरकार'

बिलाईगढ़ ब्लॉक के अलीकूद गांव में लोग आज भी पक्की सड़क और पुल के लिए तरस रहे हैं. यहां के लोग हर पल सकरी और जोखिम भरे रास्तों से आवागमन करने को मजबूर हैं.पुल से गुजरने वाला हर व्यक्ति जान हथेली में लेकर पुल पार करता है.

Villagers crossing the bridge putting their lives at risk in balodabazar
जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे ग्रामीण
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Published : Feb 15, 2020, 10:15 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 10:27 PM IST

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ सरकार विकास के भले ही लाख दावे और वादे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. इलाके के कई गांव ऐसे हैं, जहां न तो सड़के हैं न, तो पुल हैं, जिससे ग्रामीण लकड़ी से बने पुल से रोजाना जान जोखिम में डालकर गुजर-बसर कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे ग्रामीण

बिलाईगढ़ ब्लॉक के अलीकूद गांव की, जहां के लोग आज भी पक्की सड़क और पुल के लिए लालायित है. यहां के लोग हर पल सकरी और जोखिम भरे रास्तों से आवागमन करने को मजबूर हैं. बांस से बने इस पुल को देखकर लगता है कि कभी भी टूटकर नदी में गिर जाएगा. पुल से गुजरने वाला हर व्यक्ति जान हथेली में लेकर पुल पार करता है.

न तो पक्की सड़कें हैं, न तो किसी नदी पर पुल

आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में न तो पक्की सड़कें हैं, न तो किसी नदी पर पुल है. अगर गलती से कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. सड़कें नहीं होने से कभी-कभी मरीज रास्ते पर ही दम तोड़ देते हैं. इतना ही नहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को तो रोज इस मुसीबत से दो-दो हाथ करना पड़ता है.

कई बार नेता-मंत्रियों से लगाई गुहार

ग्रामीणों ने बताया कि मामले को लेकर कई बार नेता मंत्रियों से सड़क, पुल और बुनियादी जरुरतों के लिए गुहार लगाया गया है, लेकिन प्रशासन ग्रामीणों की उम्मीद को सरकारी तंत्र के तपिश की तरह भाप बनाकर उड़ा दिया. वहीं सरंपच भी अधिकारियों का राग आलाप कर रहे हैं.

ग्रामीणों को खाली आश्वासन का झुनझुना

बहरहाल, भूपेश सरकार को सत्ता में आए 1 साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन इन ग्रामीणों की तरफ शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दिया गया. इलाके के ग्रामीणों को खाली आश्वासन का झुनझुना मिलता रहा, जिसका जीता जागता उदाहरण है ये लकड़ी का पुल है, जो सरकार को उसी के दावों पर आइना दिखा रहा है.

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ सरकार विकास के भले ही लाख दावे और वादे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. इलाके के कई गांव ऐसे हैं, जहां न तो सड़के हैं न, तो पुल हैं, जिससे ग्रामीण लकड़ी से बने पुल से रोजाना जान जोखिम में डालकर गुजर-बसर कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे ग्रामीण

बिलाईगढ़ ब्लॉक के अलीकूद गांव की, जहां के लोग आज भी पक्की सड़क और पुल के लिए लालायित है. यहां के लोग हर पल सकरी और जोखिम भरे रास्तों से आवागमन करने को मजबूर हैं. बांस से बने इस पुल को देखकर लगता है कि कभी भी टूटकर नदी में गिर जाएगा. पुल से गुजरने वाला हर व्यक्ति जान हथेली में लेकर पुल पार करता है.

न तो पक्की सड़कें हैं, न तो किसी नदी पर पुल

आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में न तो पक्की सड़कें हैं, न तो किसी नदी पर पुल है. अगर गलती से कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. सड़कें नहीं होने से कभी-कभी मरीज रास्ते पर ही दम तोड़ देते हैं. इतना ही नहीं स्कूल जाने वाले बच्चों को तो रोज इस मुसीबत से दो-दो हाथ करना पड़ता है.

कई बार नेता-मंत्रियों से लगाई गुहार

ग्रामीणों ने बताया कि मामले को लेकर कई बार नेता मंत्रियों से सड़क, पुल और बुनियादी जरुरतों के लिए गुहार लगाया गया है, लेकिन प्रशासन ग्रामीणों की उम्मीद को सरकारी तंत्र के तपिश की तरह भाप बनाकर उड़ा दिया. वहीं सरंपच भी अधिकारियों का राग आलाप कर रहे हैं.

ग्रामीणों को खाली आश्वासन का झुनझुना

बहरहाल, भूपेश सरकार को सत्ता में आए 1 साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन इन ग्रामीणों की तरफ शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दिया गया. इलाके के ग्रामीणों को खाली आश्वासन का झुनझुना मिलता रहा, जिसका जीता जागता उदाहरण है ये लकड़ी का पुल है, जो सरकार को उसी के दावों पर आइना दिखा रहा है.

Last Updated : Feb 15, 2020, 10:27 PM IST
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